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Rajya Sabha Debate on Delhi Violence: विपक्ष ने की दिल्ली दंगों की न्यायिक जांच की मांग

राज्यसभा में बहस के दौरान विपक्षी दलों सांप्रदायिक वाइरस को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए दिल्ली के दंगों की न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 12 Mar 2020 09:38 PM (IST)Updated: Thu, 12 Mar 2020 09:38 PM (IST)
Rajya Sabha Debate on Delhi Violence: विपक्ष ने की दिल्ली दंगों की न्यायिक जांच की मांग
Rajya Sabha Debate on Delhi Violence: विपक्ष ने की दिल्ली दंगों की न्यायिक जांच की मांग

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। राज्यसभा में बहस के दौरान विपक्षी दलों 'सांप्रदायिक वाइरस' को लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए दिल्ली के दंगों की न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की। वहीं भाजपा ने विपक्ष को आइना दिखाया। लगभग छह घंटे तक राज्यसभा में गर्मा गर्म बहस हुई। हालांकि लोकसभा से सीख लेते हुए राज्यसभा में कांग्रेस ने वाकआउट नहीं किया।

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विपक्ष का भाजपा का सांप्रदायिक वाइरस फैलाने का आरोप

राज्यसभा में अल्पकालिक चर्चा के दौरान कुछ विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि भाजपा जिस तरह का सांप्रदायिक वाइरस फैला रही है वो कोरोना वाइरस से भी ज्यादा खतरनाक है। विपक्ष ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को भी ये कहकर घेरा कि जब दंगों ने देश की राजधानी को अपनी लपेट में ले रखा था तब वे अमेरिकी राष्ट्रपति की आवभगत में व्यस्त थे। किसी ने भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं पर कार्रवाई नहीं की।

सिब्‍बल बोले, अगर सरकार चाहती तो हिंसा आसानी से रुक सकती थी

वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा 'प्रधानमंत्री 70 घंटे तक खामोश रहे। जबकि पुलिस की मशीनरी दंगाइयों की मदद करने और प्रमाण नष्ट करने में व्यस्त थी। गृहमंत्री ने सीसीटीवी कैमरे नष्ट करते पुलिसकर्मियों की फुटेज देखी होगी। दंगों में 53 लोग मारे गए। इनमें 34 एक समुदाय के थे। लेकिन घृणा फैलाने वाले लोगों के खिलाफ एफआइआर नहीं लिखी जा रही है। अगर सरकार चाहती तो हिंसा आसानी से रुक सकती थी। मगर ये मारने का लाइसेंस था।

दंगा रोकने के लिए एनएसए अजित डोभाल को क्यों जाना पड़ा ?

तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि 'कल हमने गृहमंत्री से सुना कि घृणा फैलाने वाले सारे सोशल मीडिया एकाउंट पर कार्रवाई होगी। गृहमंत्री जी, प्रधानमंत्री जी कृपया इसे शुरू कर उदाहरण प्रस्तुत करें। हमें आश्वस्त करें। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस के बारे में दावा किया जा रहा है कि उसने बहुत अच्छा काम किया। यदि ऐसा है तो दंगा रोकने के लिए एनएसए अजित डोभाल को क्यों जाना पड़ा? डेरेक ने सीएए, एनआरसी तथा एनपीआर को जहरीला संयोजन बताते हुए गृहमंत्री से जानना चाहा कि क्या वो सदन को बता सकते हैं कि दंगों के लिए कौन जिम्मेदार हैं।

भाजपा का आरोप, दंगों के दौरान किसी विपक्षी दल की ओर से शांति की अपील नहीं आई

विपक्ष के प्रहार पर भाजपा की ओर से सुधांशु त्रिवेदी ने मोर्चा संभाला। उन्होंने कहा आम तौर पर दंगे किसी घटना की प्रतिक्रियास्वरूप होते हैं। लेकिन ये पहला दंगा था जिसकी वजह या दंगाइयों की मांग क्या थी, मालूम नहीं। दंगों के लिए आधार भूमि तैयार की गई। सबको पता है कि महात्मा गांधी की राजनीतिक दृष्टि रामराज्य की थी। कहने को तो सीएए विरोधी प्रदर्शन का कोई नेतृत्वकर्ता नहीं था। गृह मंत्री ने बुलाया तब भी कोई नहीं दिखा। जबकि टीवी पर बहस के दौरान कई नेतृत्वकर्ता दिखाई दे रहे थे। तब किसी ने नहीं कहा कि भाई ये हमारे नेतृत्वकर्ता नहीं हैं। दंगों के दौरान किसी विपक्षी दल की ओर से शांति की अपील नहीं आई।

उन्होंने हर बात के लिए दिल्ली पुलिस को जिम्मेदार ठहराया जाने को गलत बताते हुए कहा दिल्ली पुलिस की हालत इराक जैसी हो गई है। जिस पर हर गलत चीज के लिए हमला बोला जाता है। हमारे वक्त में हुए दंगों को सांप्रदायिक बताया जा रहा है। मानो कांग्रेस के समय में हुए दंगे 'सेक्युलर' थे। भाजपा की ओर से कई नेताओं ने कांग्रेस काल मे हुए दंगों का जिक्र किया और कहा कि दिल्ली की घटना में सरकार सक्रियता से जांच कर रही है।


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