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Citizenship Amendment Bill: विपक्ष ने सरकार पर लगाया हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप

कांग्रेस की ओर से चर्चा में पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी हिस्सा लिया और आरोप लगाया कि सरकार इस विधेयक के जरिए हिंदुत्व के अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रही है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 11 Dec 2019 09:41 PM (IST)Updated: Wed, 11 Dec 2019 09:41 PM (IST)
Citizenship Amendment Bill: विपक्ष ने सरकार पर लगाया हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप
Citizenship Amendment Bill: विपक्ष ने सरकार पर लगाया हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन विधेयक को संविधान की मूलभावना के खिलाफ बताते हुए विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। विधेयक को जहां हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढाने वाला कदम बताया है, वहीं संविधान के अनुच्छेद-14 के मूल अधिकारों और समानता के अधिकारों का उल्लंघन बताया है। साथ ही कहा कि विधेयक को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की भी मांग की।

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राज्यसभा में विधेयक पर बोलते हुए राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि यह अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव करने वाला विधेयक है। इस विधेयक में सिर्फ तीन देशों के चुनिंदा धर्मो के लोगों को नागरिकता देने की ही बात क्यों? उन्होंने कहा कि श्रीलंका, भूटान और म्यांमार में भी हिंदू रहते है, उन्हें क्यों नहीं? इसके साथ ही उन्होंने अफगानिस्तान के मुस्लिमों का भी मुद्दा उठाया और कहा कि वहां मुस्लिम महिलाओं का सबसे ज्यादा उत्पीड़न हुआ है, फिर उन्हें विधेयक में क्यों शामिल नहीं किया गया।

कांग्रेस की ओर से चर्चा में पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने भी हिस्सा लिया और आरोप लगाया कि सरकार इस विधेयक के जरिए हिंदुत्व के अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रही है। जो गलत है। देश सभी धर्म के लोगों का है। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि किसी भी पार्टी का घोषणा पत्र संविधान से ऊंचा नहीं हो सकता है। सरकार को राजहठ छोड़कर विधेयक को संसदीय कमेटी के पास भेजने की मांग की। कपिल सिब्बल ने कहा कि गृह मंत्री ने कहा कि मुसलमानों को डरने की कोई जरूरत नहीं है, तो मै कहना चाहता हूं, कि हिंदुस्तान का मुसलमान आपसे डरता नहीं है। न मै डरता हूं। हम डरते है, तो संविधान से डरते है।

वहीं राज्यसभा में शिवसेना के तेवर भी अलग दिखे। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि हम कितने कठोर हिंदू है, इसके लिए हमें किसी से प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं है। वैसे भी हमने 370 पर आपका समर्थन किया। लेकिन नागरिकता विधेयक को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध हो रहा है। विरोध करने वाले भी देश के नागरिक है, वह कोई देशद्रोही नहीं है। उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि आप जिस स्कूल में पढ़ते है, उसके हम हेडमास्टर है। हमारे स्कूल के हेडमास्टर बाला साहेब ठाकरे, अटल बिहारी वाजपेयी और श्यामा प्रसाद मुखर्जी थे। खास बात यह है कि शिवसेना ने इस विधेयक का लोकसभा में समर्थन किया था।

राज्यसभा में विधेयक का तृणमूल कांग्रेस ने भी विरोध किया। पार्टी सांसद डेरेक-ओब्रायन ने कहा कि सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए विधेयक भारत विरोधी और बंगाल विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि इस सरकार की नीति तीन मुख्य बातों पर टिकी है, जो झूठ, झांसा और जुमला है। एनसीआर पर उन्होंने कहा कि जो एक राज्य में सफल नहीं हो सका, उसे 27 राज्यों में लागू करने की बात की जा रही है। लेकिन बंगाल में इसे कहीं भी लागू नहीं होने देंगे।

आप आदमी पार्टी के संजय सिंह ने सरकार से पूछा कि क्या वह घुसपैठियों का अलग कोई देश बनाने जा रहे है। वैसे भी देश को तोड़ने की आपकी संस्कृति है।

विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए बसपा सांसद सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि विधेयक में नागरिकता के लिए 31 दिसंबर 2014 की कटऑफ तारीख क्यों रखी गई। उन्होंने कहा कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14,15 और 21 का उल्लंघन करता है। मुसलमानों को विधेयक में जगह न देना संविधान के खिलाफ है।

वहीं सीपीआई के विनोय विस्वम ने कहा कि नागरिकता उनके धर्म को देखकर नहीं दी जा सकती है। यह हिन्दुत्व के एजेंड़े की ओर ले जाने वाले बिल है।

समाजवादी पार्टी ने बिल का विरोध किया। पार्टी सांसद जावेद अली खान ने कहा कि यह विधयेक कानून की नजर में ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने बिल पेश करते हुए कहा कि इससे हिन्दुस्तान के मुसलमानों का कोई लेना-देना नहीं है। तो क्या मुसलमान दूसरे दर्जे के नागरिक है?

एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने बिल का विरोध किया और कहा कि यह बिल काफी जल्दबाजी में लाया गया है। इस पर गंभीर चर्चा होनी चाहिए। इसे सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाना चाहिए। आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने भी विधेयक के विरोध में खड़े हुए और कहा कि इस विधेयक के जरिए देश की सरकार भी इजराइल का राह पर है। सीपीआई (एम) सांसद केके रागेश ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने का सरकार का एक हिडेन एजेंडा है। जो इस विधेयक और एनआरसी के जरिए वह आगे बढ़ा रही है। लोगों को धर्म के आधार पर बांटा जा रहा है।


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