प्रदूषण से हाहाकार, बैठक में पांच राज्यों में से शामिल हुए सिर्फ दिल्ली के मंत्री
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री के भी पहुंचने के पीछे हालांकि मजबूरी छिपी हुई थी, क्योंकि वह इसके भुक्तभोगी जो है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। प्रदूषण के बढ़ते स्तर को लेकर केंद्र और दिल्ली भले ही फिक्रमंद है, लेकिन इसे लेकर बाकी राज्यों की कोई दिलचस्पी नहीं है। इसका अंदाजा गुरूवार को दिल्ली और पड़ोसी राज्यों की बुलाई गई उस बैठक से लगाया जा सकता है, जिसमें दिल्ली को छोड़ किसी भी राज्य के पर्यावरण मंत्री नहीं पहुंचे। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री के भी पहुंचने के पीछे हालांकि मजबूरी छिपी हुई थी, क्योंकि वह इसके भुक्तभोगी जो है।
वहीं राज्यों के गैर जिम्मेदाराना और बेरूखी भरे रवैए से केंद्रीय पर्यावरण मंत्री डॉ हर्षवर्द्धन नाखुश भी दिखे। वह इसलिए भी नाराज थे, क्योंकि सभी राज्यों को काफी पहले से सूचित भी किया गया था। इस दौरान उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री से बैठक के बीच में ही फोन पर बात कर इस गैर मौजूदगी को लेकर आपत्ति दर्ज कराने की कोशिश भी की, लेकिन उनका फोन नहीं लगा। यही वजह रही कि पर्यावरण मंत्रियों के साथ इस अहम बैठक को जहां तीन से चार घंटे तक चलना था, वह घंटे भर में कुछ औपचारिकताओं के साथ ही खत्म हो गई।
बैठक के बाद पत्रकारों से चर्चा में डॉ हर्षवर्द्धन ने राज्यों के पर्यावरण मंत्रियो के बैठक में न आने के सवाल पर कहा कि वह इसे लेकर राज्यों से बात करेंगे, लेकिन अभी यह मौका नहीं है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन की ओर इशारा करते हुए कहा कि जो आए हैं उन्हें हमने पेश कर दिया है। इस दौरान उन्होंने प्रदूषण के विषय पर राजनीति से ऊपर उठकर मिलजुलकर काम करने की नसीहत दी। साथ ही कहा कि दिल्ली सरकार के साथ मिलकर वह एक नंवबर से ही 15 दिन का एक बड़ा अभियान शुरु कर रहे है। जिसके लिए 70 टीमों को मैदान में उतारा गया है, जो दिल्ली की एक गली में घूमकर प्रदूषण फैलाने वाले कारणों की तलाश करेगी और उसके खिलाफ कार्रवाई भी करेगी। इस टीम में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, दिल्ली सरकार और नगर निगमों के अधिकारी भी शामिल रहेंगे। बैठक में दिल्ली से पर्यावरण मंत्री के साथ मुख्य सचिव भी पहुंचे थे, जबकि बाकी राज्यों से सचिव स्तर से भी छोटे अधिकारी आए थे।
पराली पर भी दिखे असंतुष्ट
पंजाब और हरियाणा में उम्मीदों के मुताबिक पराली जलाने की घटनाओं में रोकथाम न लग पाने के मुद्दे पर भी बैठक में चर्चा हुई। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक इनमें कमी तो आयी है, लेकिन इनमें औसतन 30 फीसद की ही कमी अब तक दर्ज हुई है,जो संतोषजनक नहीं है। दोनों ही राज्यों ने इसे 70 से 90 फीसद तक कम करने का दावा किया था। इसके लिए बजट में करीब 12 सौ करोड़ का प्रावधान भी किया गया।
दिल्ली को शिकायतों पर तेजी से अमल के दिए निर्देश
केंद्रीय मंत्री ने इस दौरान बैठक में मौजूद दिल्ली के पर्यावरण मंत्री और मुख्य सचिव को सीपीसीबी टीमों की ओर से प्रदूषण फैलाने को लेकर दर्ज कराई गई शिकायतों पर तेजी से अमल करने के निर्देश दिए। मौजूदा समय में सीपीसीबी ने दिल्ली में प्रदूषण फैलाने से जुड़ी दो हजार से ज्यादा शिकायतें दर्ज कराई है। लेकिन अमल सिर्फ दस फीसद पर ही हुआ है।
सड़कों पर उतारी गई फिल्टर लगी 35 बसें
वायु प्रदूषण के बढ़े स्तर से दिल्ली को बचाने के लिए सरकार ने एक और अहम कदम उठाया है। इसके तहत दिल्ली की सड़कों पर मानव रचना स्कूल की ओर से विकसित की गई 35 फिल्टर लगी बसों को ट्रायल के तौर पर सड़कों पर उतारा गया है। गुरूवार को केंद्रीय मंत्री ने इन बसों को हरी झंडी दिखाई। इस बसों के छतों पर यह फिल्टर लगाए गए है।