परिवहन सेक्टर में वन नेशन, वन परमिट, वन टैक्स का सुझाव, जानें क्या होगा बदलाव
देश में अलग लॉजिस्टिक्स डिपार्टमेंट स्थापित करने और ट्रकों के मामले में वन परमिट-वन टैक्स प्रणाली जैसे कदम उठाने से देश के परिवहन सेक्टर में तेजी आएगी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। एक अलग लॉजिस्टिक्स डिपार्टमेंट स्थापित करने और ट्रकों के मामले में वन परमिट-वन टैक्स प्रणाली जैसे कदम उठाने से देश के परिवहन सेक्टर में तेजी आएगी। प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने अपने सुझाव में कहा कि इससे देश में कारोबारी सुगमता भी बढ़ेगी।
ये सुझाव बिबेक देबराय की अध्यक्षता वाली लॉजिस्टिक्स विकास समिति की रिपोर्ट 'की चैलेंजेज इन लॉजिस्टिक्स डेवलपमेंट एंड द एसोसिएटेड कॉमर्स - पॉलिसी रिफॉर्म्स फॉर ईज ऑफ डूइंग बिजनेस/ट्रेड इन इंडिया' में दिए गए हैं। हाल में ही यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपी गई है।
ट्रक उद्योग को मदद करने की जरूरत पर बल देते हुए समिति ने अपने सुझाव में कहा है कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले लॉजिस्टिक्स डिवीजन को अपग्रेड कर एक स्वतंत्र विभाग की स्थापना की जानी चाहिए, जो लॉजिस्टिक्स और कारोबारी सुविधा बढ़ाने पर काम करे।
समिति ने कहा कि मोटर वाहन कानून में संशोधन कर वन नेशन, वन परमिट, वन टैक्स प्रणाली बनाई जानी चाहिए, जैसा कि संसदीय समिति ने सुझाव दिया है। ट्रक उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए मोटर ट्रांसपोर्ट वर्कर्स कानून के प्रावधानों में भी जरूरी बदलाव किए जाएं।
वन परमिट-वन टैक्स प्रणाली के मुताबिक सभी ट्रक परमिट पूरे देश में मान्य होंगे। समिति ने कहा कि रेल माल ढुलाई किराए की संरचना को तर्कसंगत किया जाए। कम से कम ऐसा चुने हुए पायलट मार्गो (दिल्ली-जेएनपीटी, दिल्ली-मुंद्रा, आदि) पर किया जा सकता है। रेलवे सेवा को सरल बनाकर, रेलवे किराए को तर्कसंगत बनाकर और समर्पित माल ढुलाई गलियारे (डीएफसी) के काम में तेजी लाकर सरकार को रेल मॉडल की हिस्सेदारी बढ़ाने पर काम करना चाहिए।
समिति ने कहा कि भारतमाला, सागरमाला, डीएफसी जैसी भौतिक इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार परियोजनाओं की प्रकृति परिवर्तनकारी है, लेकिन गवर्नेस और प्रक्रियात्मक सुधार का काम लगातार होने वाली चीज है।
भारत में निर्यात करने में लगते हैं छह दिनों से अधिक
विश्व बैंक की डूइंग बिजनेस रिपोर्ट 2018 के निष्कर्ष बताते हैं कि भारत में निर्यात करने में छह दिनों से अधिक और आयात करने में 13 दिनों से अधिक लगते हैं। इन मामलों में विकसित देशों में इससे काफी कम समय लगता है।
ताजा रिपोर्ट के मुताबिक प्रति टन भारत में प्रति किलोमीटर के लिए सड़क मार्ग से माल ढुलाई लागत (पीपीपी के लिए समायोजन के बाद) अमेरिका के मुकाबले करीब दोगुना है, जबकि इसकी रफ्तार विकसित देशों के मुकाबले काफी कम है।