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सबरीमाला विवाद: विरोध के बाद 52 वर्षीय महिला को मिला मंदिर में प्रवेश

तमिलनाडु की एक महिला को शनिवार को सबरीमाल मंदिर में काफी विरोध-प्रदर्शन के बाद प्रवेश दे दिया गया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 06:20 PM (IST)Updated: Sun, 21 Oct 2018 07:27 AM (IST)
सबरीमाला विवाद: विरोध के बाद 52 वर्षीय महिला को मिला मंदिर में प्रवेश
सबरीमाला विवाद: विरोध के बाद 52 वर्षीय महिला को मिला मंदिर में प्रवेश

सबरीमाला, आइएएनएस/प्रेट्र। तमिलनाडु की एक महिला को शनिवार को सबरीमाल मंदिर में काफी विरोध-प्रदर्शन के बाद प्रवेश दे दिया गया। दरअसल, अपने परिवार के साथ आई इस महिला श्रद्धालु को प्रदर्शनकारी पहले 50 साल से कम आयु का मान रहे थे। लेकिन जब उस महिला ने अपनी आयु 52 वर्ष होने का प्रमाणपत्र दिया तो उसे मंदिर में आकर पूजा करने की अनुमति दे दी गई।

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52 वर्षीय लता अपने पति और बेटे के साथ इस प्राचीन पर्वतीय मंदिर के दर्शन करने आई थी। उसे बीच रास्ते में ही रोक दिया गया जब वह मंदिर तक जाने वाली 18 पवित्र सीढि़यां चढ़ने जा रही थी। लेकिन रजोधर्म वाली महिलाओं के मंदिर में प्रवेश का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों को लगा कि उस महिला की आयु 50 साल से कम है। इस विवाद को शांत करने के लिए जब केरल के भाजपा नेता के.सुरेंद्रन और अन्य ने मामले में दखल देकर लता का परिचय पत्र देखा तो उसके बाद उन लोगों ने उसे मंदिर प्रांगण में प्रवेश की अनुमति दे दी।

इस बीच, 38 वर्षीय मंजू नाम की महिला ने भी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के समक्ष उपस्थित होकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत उसे मंदिर परिसर में जाने देने को कहा। इस पर पुलिस अधिकारियों ने उसे हिंदू परंपरावादियों के कड़े रुख से अवगत कराया और चेताया कि ऐसा करना खतरनाक हो सकता है। लेकिन केरल दलित महिला संघ की अध्यक्ष मंजू ने कहा कि उसे इससे कोई लेना-देना नहीं है। अब प्रशासन को यह तय करना है कि वह मंजू को मंदिर तक कब लेकर जा सकते हैं।

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मुख्य पुजारी से मांगेंगे स्पष्टीकरण 
पथनमत्‍ता। त्रावणकोर देवसोम बोर्ड (टीडीबी) के सदस्य केपी शंकर दास ने कहा है कि वह सबरीमाला के तंत्री (पुजारी) के परिवार की इस धमकी से इत्तेफाक नहीं रखते कि प्रतिबंधित आयु की कोई भी महिला अगर मंदिर में प्रवेश करेगी तो वह मंदिर के दरवाजे बंद कर देंगे। उन्होंने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि दस साल से 50 साल की आयु की महिलाएं भी मंदिर में प्रवेश कर सकती हैं। इसलिए हम सब भी इस आदेश से बंधे हुए हैं। मुख्य पुजारी और मंदिर के कर्मचारियों की ऐसी धमकी पर उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा।

हालांकि, दास ने कहा कि रेहाना फातिमा की सबरीमाला मंदिर की यात्रा के पीछे साजिश है। सुप्रीम कोर्ट को सबरीमाला मंदिर के मामलों की अवगत कराया जाएगा। आम सहमति का दरवाजा अभी भी सबके खुला है। हालांकि, मलिकप्पुरम के मुख्य पुजारी अनेश नंबुथरी ने पुजारियों के बयान का समर्थन किया है। उन्‍होंने कहा है कि उन्होंने जो कहा था, उसमें कुछ भी गलत नहीं है।  

मंदिर की परंपराओं पर दखलंदाजी न हो : रजनीकांत
वहीं, प्रसिद्ध अभिनेता रजनीकांत ने कहा है कि मंदिर की परंपराओं का लंबे समय से पालन हो रहा है। इसलिए मंदिर की परंपराओं को लेकर कोई दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए। रजनीकांत ने सबरीमाला मंदिर के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर पहली बार अपना रुख स्पष्ट किया है।

उल्लेखनीय है कि प्राचीन परंपराओं के तहत भगवान अयप्पा के सबरीमाला मंदिर में दस साल से 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी। लेकिन विगत 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रथा को बदलने का आदेश देते हुए सभी महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दे दी।


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