G20 Summit: अमेरिका व चीन के बीच तनाव और बढ़ने के संकेत, भारत अपने हितों को लेकर सतर्क
G20 Riyadh Summit अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अलावा वहां के कई वरिष्ठ राजनयिकों ने भी चीन को कठघरे में खड़ा करना शुरु कर दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कोरोना वायरस को लेकर वैश्विक कूटनीतिक गर्मी बढ़ने लगी है। एक तरफ अमेरिका और चीन के बीच इसको लेकर आरोप-प्रत्यारोप शुरु हो चुका है वही यूरोपीय संघ के देशों के बीच भी ना सिर्फ आपसी स्तर पर सामंजस्य बिगड़ता दिख रहा है बल्कि चीन को लेकर वहां भी एक तरह का गुस्सा सामने आने लगा है। ऐसे में गुरुवार को समूह-20 देशों के नेताओं की वर्चुअल मीटिंग पर सभी की नजर है। धीरे धीरे 170 देशों को अपनी जद में ले चुके कोरोनावायरस को लेकर किसी अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह राष्ट्र प्रमुखों की पहली वैश्विक बैठक है। बढ़ते तनाव की इस स्थिति में भारत के लिए भी अपने वैश्विक हितों को सुरिक्षत करने की चुनौती है।
महामारी से अब तक गई 18 हजार की हुई मौत
इस बीमारी से अभी तक 18 हजार से ज्यादा जानें जा चुकी हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र ने अभी तक इस पर कोई बैठक नहीं बुलाई है। इसके पीछे वजह यह माना जा रहा है कि चीन अभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का अध्यक्ष है। यूएनएससी में पांच स्थायी सदस्यों के अलावा 10 अस्थायी सदस्य होते हैं और इनमें से हर सदस्य को एक-एक महीने के लिए प्रमुख बनाया जाता है तो आपातकालीन बैठक आदि बनाने का प्रस्ताव करता है। चीन आधिकारिक तौर पर साफ कर चुका है कि हालात ऐसे नहीं है कि इस पर बैठक बुलाई जाए। सनद रहे कि यूएन की ही स्वास्थ्य संबंधी इकाई विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ने जिस तरह से कोरोनावायरस को लेकर लचर प्रतिक्रिया दिखाई है उसकी भी आलोचना की जा रही है। आरोप लगाया जा रहा है कि डब्लूएचओ ने समय पर चीन में उत्पन्न इस वायरस को लेकर दुनिया को सतर्क नहीं किया।
चीन के प्रति अमेरिका का रवैया सख्त
उधर, अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अलावा वहां के कई वरिष्ठ राजनयिकों ने भी चीन को कठघरे में खड़ा करना शुरु कर दिया है। ट्रंप ने इस वायरस को 'चीनी वायरस' कह कर अपनी मंशा साफ कर दी है कि अमेरिका आने वाले दिनों में इस वायरस को लेकर चीन के प्रति उनका रवैया और सख्त होगा। दूसरी तरफ यूरोपीय संघ के विदेश मामलों व सुरक्षा नीतियों के मंत्री जे बी फोंटेल्स ने भी चीन की नीति पर सवाल उठा दिया है। उन्होंने सीधे तौर पर कोरोनावायरस से जुड़ी सूचना को छिपाने का भी आरोप लगाया है और कहा है कि अभी चीन की तरफ से दुनिया के कई देशों को चिकित्सा उपकरण दे कर यह साबित करने की कोशिश की जता रही है कि वह अमेरिका से विपरीत एक उत्तरदायी देश है व मदद करने को तैयार है। उन्होंने आने वाले दिनों में अमेरिका व चीन के बीच बढ़ते तनाव की संभावना जताते हुए यूरोप के हितों को सुरक्षित करने की बात कही है।
भारत भी पूरे बदलते हालात पर अपनी नजर रखे हुए है। पिछले दो हफ्तों में पीएम नरेंद्र मोदी जहां दुनिया के कुछ प्रमुख वैश्विक नेताओं से टेलीफोन पर बात की है वही विदेश मंत्री एस जयशंकर भी अपने समकक्षों के साथ संपर्क में है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि भारत की पहली वरीयता दूसरे देशों में रहने वाले अपने नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश लाना या जहां वे रह रहे हैं उन्हें सुरक्षा मुहैया कराना है। समूह-20 देशों के प्रमुखों की गुरुवार को होने वाली बैठक में भारत इस बीमारी से लड़ने को लेकर अपने कुछ नए विचार पेश करेगा।