CAA और NRC के बारे में दूसरे देशों को दमदार तरीके से समझाने में जुटा भारत
विदेश मंत्रालय का दावा है कि अभी तक नागरिकता संशोधन कानून को लेकर अधिकांश देश भारत के पक्ष को समझ रहे हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिजन्स (NRC) को लेकर जिस तरह से कुछ देशों ने अपनी चिंताएं अलग- अलग तरीके से प्रकट की है, उसे देखते हुए भारत ने इनके समक्ष अपना पक्ष और दमदार तरीके से रखना शुरू किया है। एक तरफ जहां नई दिल्ली स्थित दूसरे देशों के दूतावासों से संपर्क कर उक्त दोनों प्रावधानों पर उनकी भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ दूसरे देशों में स्थित भारतीय मिशन को भी नए सिरे से सक्रिय किया गया है। विदेश मंत्रालय का दावा है कि अभी तक नागरिकता संशोधन कानून को लेकर अधिकांश देश भारत के पक्ष को समझ रहे हैं। कुछ देशों की प्रतिक्रिया अपनी अंदरूनी राजनीति की वजह से आई है।
कुछ इस्लामिक देशों ने विदेश मंत्रालय के समक्ष रखी अपनी चिंताएं
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार का कहना है- हम अपने मिशनों व अन्य प्रतिनिधियों के जरिए दूसरे देशों को मुख्य तौर पर चार तथ्य बता रहे हैं। पहला यह कि सीएए की प्रक्रिया पूरी तरह से भारतीय संविधान के तहत है। दूसरा, यह नागरिकता देने की प्रक्रिया को तेज करता है। तीसरा, यह किसी की नागरिकता को वापस नहीं लेता है। चौथा, यह भारतीय संविधान के दायरे में है। चूंकि यह काफी तकनीकी मामला है इसलिए हम नई दिल्ली में दूसरे देशों के राजनयिकों या उनके प्रतिनिधियों से भी मिल रहे हैं और साथ ही दूसरे देशों में सभी भारतीय दूतावासों आदि के जरिए भी यह काम हो रहा है।
वैसे जिस दिन सीएए पारित हुआ है उसी दिन से यह काम चल रहा है। जहां तक एनआरसी की बात है तो इसके बारे में दूसरे देशों को यह बताया जा रहा है कि यह प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की तरफ से लागू की गई है और सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में ही सारा काम चल रहा है। साथ ही भारत यह बताने की भी कोशिश कर रहा है कि एनआरसी और सीएए दोनों अलग अलग मुद्दे हैं। ज्यादातर देशों ने यह माना है कि एनआरसी भारत का आतंरिक मामला है। यह पूछे जाने पर कि इस्लामिक देशों के संगठन (OIC) की तरफ से कश्मीर, एनआरसी, सीएए पर अलग से बैठक बुलाने को भारत कितनी गंभीरता से ले रहा है तो कुमार का जवाब था कि अभी तक तो यह पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की बयानबाजी ही लग रही है। क्योंकि आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।
भारत इस बारे में ओआइसी के तमाम देशों के साथ संपर्क में
सनद रहे कि पिछले दिनों सउदी अरब के विदेश मंत्री की इस्लामाबाद यात्रा के दौरान पाकिस्तान सरकार की तरफ से यह पेशकश की गई थी कि भारत में मुसलमानों की स्थिति और कश्मीर से धारा 370 हटाने पर ओआइसी (OIC) की अलग से बैठक बुलाई जाए। पाकिस्तान चाहता है कि वर्ष 2020 नाइजर में जब ओआइसी के विदेश मंत्रियों की बैठक हो तो उसी समय अलग से कश्मीर पर बैठक हो।
सूत्रों की मानें तो भारत इस बारे में ओआइसी के तमाम देशों के साथ संपर्क में है। खाड़ी के कुछ देशों के प्रतिनिधियों ने विदेश मंत्रालय से अपनी चिंताओं को बताया है। इन देशों ने यह भी कहा है कि उन्होंने पीएम मोदी की सरकार के साथ रिश्तों को प्रगाढ़ करने की खास कोशिश की है जबकि भारत की तरफ से उठाये जाने वाले कदमों पर उनके देश की जनता की तरफ से सवाल उठाये जा रहे हैं।