ओबीसी आयोग को मिला संवैधानिक दर्जा, जानिए क्या होगा अधिकार
राज्यसभा में चले लगभग चार घंटे के भाषण के बाद राज्यसभा में हुई वोटिंग में समर्थन में मौजूद सभी 156 सदस्यों ने वोट किया
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को संवैधानिक दर्जा देने वाले बिल को रोकने के लग रहे आरोपों से कांग्रेस आखिरकार अपना पीछा छुड़ा लिया। लोकसभा के बाद सोमवार को कांग्रेस ने राज्यसभा में भी इस बिल का खुल कर समर्थन किया। हालांकि इस दौरान वह पुराने मुद्दों को उठाने से चूकी नहीं, लेकिन इसका ध्यान रखा कि विधेयक का पारित होने में कोई अड़ंगा न लगे। पिछली बार कांग्रेस ने अल्पसंख्यक वर्ग से एक सदस्य को बनाने का संशोधन पारित करा दिया था जिसे भाजपा ने असंवैधानिक करार दिया था। चर्चा के बाद इस बिल को सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। इसके साथ ही ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का संविधान संशोधन सर्वसम्मति से वोट के जरिए पारित हो गया। अब इसे औपचारिक रूप से राष्ट्रपति से मंजूरी मिलनी बाकी है। इसके बाद यह कानून प्रभावी हो जाएगा।
राज्यसभा में चले लगभग चार घंटे के भाषण के बाद राज्यसभा में हुई वोटिंग में समर्थन में मौजूद सभी 156 सदस्यों ने वोट किया, जबकि बिल के खिलाफ एक भी वोट नहीं पड़े। इससे पहले राज्यसभा में इस बिल को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने पेश किया। साथ ही कहा कि लोकसभा में इस बिल को सर्वसम्मति से पास किया गया है, इससे साफ है जनता इसके पक्ष में है। ऐसे में राज्यसभा में भी इसे सर्वसम्मति से पास किया जाना चाहिए।
कांग्रेस की ओर से चर्चा में हिस्सा लेते हुए वी के हरिप्रसाद ने इस दौरान फिर से अल्पसंख्यक का मुद्दा उठाया, साथ ही सरकार ने मांग की कि उसे इस पर विचार करना चाहिए। हालांकि इस दौरान उनका रूख बदला हुआ था। सपा की ओर से चर्चा में प्रोफेसर राम गोपाल ने हिस्सा लिया। उन्होंने सरकार से जातिगत आधार पर जनगणना कराने की मांग की। साथ ही सरकार पर ओबीसी की हो आपस में बांटने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यदि सरकार ने उप-वर्गीकरण के आधार पर आरक्षण को बांटने की कोशिश की, तो आंदोलन होगा। न्यायपालिका में भी आरक्षण लागू करने की मांग की।
आरजेडी के प्रोफेसर मनोज कुमार झा ने सरकार द्वारा ओबीसी के कराए जा रहे वर्गीकरण को गलत बताया और सामाजिक-आर्थिक आधार पर जनगणना रिपोर्ट जारी करने की मांग की। चर्चा में सरकार की ओर से भाजपा नेता भूपेन्द्र यादव ने हिस्सा लिया। उन्होंने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि इस बिल को पारित कराने में जो देरी हुई है, वह कांग्रेस की देन है। यह दर्जा काफी पहले ही आयोग को मिल जाना चाहिए थे। उन्होंने कांग्रेस पर धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कांग्रेस से कहा कि वह वोट बैंक की राजनीति के बजाय सोशल जस्टिस की मिसाल खड़ी करे। बिल का राह का रोड़ा मत बने। वहीं बिल पास होने के बाद सरकार ने इसे एक बड़ी जीत बताया और कहा कि ओबीसी के उत्थान में तेजी आएगी।
संवैधानिक दर्जा के बाद मिलेगा यह अधिकार
-आयोग अब किसी भी ओबीसी जाति को केंद्रीय सूची में शामिल कर सकेगा।
-ओबीसी के उत्थान को लेकर बनने वाली सभी योजनाओं में भागीदारी होगी। अब तक वह बाहर से मूकदर्शक की भूमिका में था।
-आयोग को अब दंड देने का भी अधिकार होगा। जैसी अभी एससी-एसटी आयोग के पास है।
आयोग का होगा यह स्वरूप
-आयोग का एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष होगा। इसके साथ ही इसके तीन सदस्य भी होंगे। इनमें एक महिला होगी।