अब RBI को निभानी होगी बड़ी भूमिका, 8 को होगी वित्त मंत्री की आरबीआइ पूर्ण बोर्ड के साथ बैठक
वित्त मंत्री ने जिस तरह से अगले पांच वर्षो तक 8 फीसद विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा है उसे देखते हुए घरेलू ब्याज दरों में और गिरावट की दरकार है।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। देश के वित्तीय क्षेत्र को दिक्कतों को दूर करने की जितनी कोशिश सरकार को करनी थी वह आम बजट में की जा चुकी हैं। अब आगे की जिम्मेदारी आरबीआइ को संभालनी होगी। यही वजह है कि सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की आरबीआइ के पूर्ण बोर्ड के साथ होने वाली बैठक को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
वैसे यह बैठक हर बजट के बाद करने की परंपरा है, लेकिन इस बार वित्त मंत्री ने नियमन अधिकार बढ़ाने से लेकर देश में मांग बढ़ाने तक के काम की जितनी जिम्मेदारी आरबीआइ को सौंपी है वह सरकार व केंद्रीय बैंक के बीच बढ़ रहे भरोसे का परिचायक है। यह भरोसा पूर्व के दो गवर्नरों (डॉ. रघुराम राजन और डॉ. उर्जित पटेल) के कार्यकाल में नहीं था।
सोमवार को आरबीआइ बोर्ड की बैठक में बजटीय प्रावधानों के साथ ही अर्थव्यवस्था से जुड़े दूसरे तमाम मुद्दों पर विस्तृत विमर्श होगा। इस बजट में वित्तीय क्षेत्र को लेकर सीधे तौर पर तीन ऐसी घोषणाएं हैं जिन्हें आरबीआइ को लागू करना है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि एनबीएफसी को लेकर आरबीआइ को ज्यादा अधिकार देने का प्रस्ताव। इसके बाद हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (एचएफसी) की निगरानी की जिम्मेदारी आरबीआइ को सौंप दिया है।
तीसरा महत्वपूर्ण सुझाव है कि बैंकिंग सेक्टर में गवर्नेस को सशक्त बनाने संबंधी नियमों को बनाना। सरकार के निर्देश के बाद अब आरबीआइ को उक्त तीनों मामले में विस्तृत दिशानिर्देश लागू करना करना है। एनबीएफसी व एचएफसी संबंधी फैसले को आटोमोबाइल, हाउसिंग, उपभोक्ता सामान की मांग से भी जोड़ कर देखा जा रहा है।
जानकारों का कहना है कि आरबीआइ के तहत आने के बाद अब बैंक एनबीएफसी व एचएफसी को फंड मुहैया कराने में ज्यादा दरियादिली दिखाएंगे। इससे ये ज्यादा होम लोन, आटो लोन व अन्य कर्ज बांट सकेंगे।
वित्त मंत्री ने सरकारी बैंकों के लेकर भी कुछ नए नियम बनाने की जिम्मेदारी आरबीआइ को सौंप दी है। मसलन, एक ही बैंक खाते से दूसरे किसी भी बैंकों की सेवा हासिल करने संबंधी घोषणा को अमल में लाने की जिम्मेदारी भी आरबीआइ को ही निभानी होगी। इसके अलावा बैंकों में गवर्नेस के स्तर को बेहतर बनाने के लिए आरबीआइ को नए नियम बनाने हैं।
माना जा रहा है कि ये सारे मुद्दे सोमवार को वित्त मंत्री व आरबीआइ बोर्ड की बैठक में उठाया जाएगा। इस बैठक में ब्याज दरों के हालात पर भी चर्चा निश्चित तौर पर होगी। कई आर्थिक संस्थानों ने बजटीय प्रावधानों को देखते हुए अनुमान लगाया है कि इससे आरबीआइ के लिए ब्याज दरों में कटौती करना भी आसान होगा। कुछ एजेंसियों ने दिसंबर, 2019 तक रेपो रेट में 0.50 फीसद की कटौती का अनुमान लगाया है।
सनद रहे कि जब से नए गवर्नर शक्तिकांत दास के आने के बाद आरबीआइ ने अपनी तीनों मौद्रिक नीति समीक्षाओं में रेपो रेट में एक के बाद एक तीन कटौती (कुल 75 आधार अंक यानी 0.75 फीसद) की घोषणा की है। वित्त मंत्री ने जिस तरह से अगले पांच वर्षो तक 8 फीसद विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा है उसे देखते हुए घरेलू ब्याज दरों में और गिरावट की दरकार है।
आरबीआइ के भावी कदमों पर नजर
1. एनबीएफसी के नियंत्रण के लिए नियमों को सख्त बनाना
2. हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों पर नियमन के नियम तय करना
3. बैंकों में गवर्नेंस की सशक्त करने संबंधी नियम बनाना
4. एक ही बैंक खाते से दूसरे बैंकों की सेवा हासिल करने संबंधी नियम बनाना।