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NRC का विरोध करने वाली कांग्रेस ने सत्‍ता में रहते हुए की थी लागू करने की बात, जानें क्‍या कहा था

नागरिकता कानून और नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (NPR) को एनआरआइसी (नेशनल रजिस्टर आफ इंडियन सिटिजन) से जोड़कर धरना प्रदर्शन और आंदोलन में जुटी कांग्रेस कठघरे में आ गई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 29 Dec 2019 08:16 PM (IST)Updated: Mon, 30 Dec 2019 07:34 PM (IST)
NRC का विरोध करने वाली कांग्रेस ने सत्‍ता में रहते हुए की थी लागू करने की बात, जानें क्‍या कहा था
NRC का विरोध करने वाली कांग्रेस ने सत्‍ता में रहते हुए की थी लागू करने की बात, जानें क्‍या कहा था

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नागरिकता कानून और नेशनल पापुलेशन रजिस्टर (NPR) को एनआरआइसी (नेशनल रजिस्टर आफ इंडियन सिटिजन) से जोड़कर धरना प्रदर्शन और आंदोलन में जुटी कांग्रेस कठघरे में आ गई है। दरअसल, सत्ता में रहते हुए वह खुद भी NRC की बात करती रही है। UPA 2 के काल में गृह मंत्रालय ने साफ कहा था कि वह NRC लाने का इरादा रखती है और नागरिकता उसी के आधार पर तय होगा।

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2011-2012 में संसद में दिया था उत्तर- एनपीआर के बाद आएगा एनआरसी

संसद में एक सवाल के जवाब में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि एनपीआर में सभी दस उंगलियों के निशान, आइरिस, फोटोग्राफ आदि के पहचान लिए जाएंगे और फिर कार्ड दिए जाएंगे लेकिन वह नागरिकता का सबूत नहीं होगा। नागरिकता अधिकार उसी को मिलेगा, जिसका नाम एनआरसी (NRC) में होगा। यह एनआरपी (NPR) के सबसेट के रूप में बाद में आएगा।

कांग्रेस ने शनिवार को अपने स्थापना दिवस के अवसर पर संविधान की दुहाई देते हुए सीएए, एनपीआर और एनआरसी का विरोध किया था। विपक्षी दलों की ओर से आरोप लगाया जा रहा है कि एनआरसी से मुस्लिमों की नागरिकता खतरे में होगी। विपक्षी दलों के कुछ राज्यों ने एनपीआर से भी मना कर दिया है। लेकिन सत्ता में रहते हुए कांग्रेस का विचार अलग था।

संसद में मांगा गया था लिखित जवाब

अगस्त 2011 में गुजरात के भाजपा सांसद सीआर पाटिल व अन्य तथा अगस्त 2012 में हरिन पाठक और योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा में गृहमंत्रालय से लिखित सवाल के जरिए एनपीआर पर जवाब मांगा था। मजे की बात यह है कि दोनों ही सवालों में कहीं भी एनआरसी की जिक्र नहीं था। सवाल एनपीआर को लेकर था और यह पूछा गया था कि सरकार कैसे तय करेगी, एनपीआर के बाद जारी नेशनल आइ कार्ड का गलत तरीके से नागरिकता के सबूत के रूप में दुरुपयोग नहीं होगा।

पड़ताल के लिए पुलिस की ली जाएगी मदद

एक साल के अंतराल में दिए गए दोनों जवाब लगभग एक समान थे, जिसमें बताया गया था कि पांच साल की उम्र के ऊपर के सभी लोगों की उंगलियों और दोनों आंखों के निशान लिए जाएंगे। एनपीआर डेटा से आधार को जोड़ा जाएगा और ऐसे नामों के साथ तैयार लिस्ट को समाज, समुदाय, ग्राम सभा, वार्ड कमेटी के बीच जारी किया जाएगा, ताकि कोई चाहे तो किसी नाम पर आपत्ति दर्ज करा सकता है। संवेदनशील इलाकों में पड़ताल के लिए स्थानीय पुलिस की भी मदद ली जाएगी। यह भी साफ किया गया कि एनपीआर कार्ड मिलने का अर्थ यह नहीं होगा कि हर कोई भारतीय नागरिक है।

तत्कालीन गृहमंत्री ने कहा, एनपीआर कार्ड से नहीं मिलेगा नागरिकता अधिकार

जितेंद्र सिंह ने साफ कहा- 'रेजिटेंड आइडेंटिटी कार्ड से नागरिकता नहीं मिलेगी। हर कार्ड पर साफ लिखा होगा कि यह कार्ड किसी को नागरिकता का अधिकार नहीं देता है। हर किसी नागरिकता अलग से तय होगी, जब एनआरसी की प्रक्रिया होगी। यह एनपीआर का ही अगला हिस्सा होगा।'

विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस के बदल गए विचार  

जाहिर है कि सीएए, एनपीआर और एनआरसी को मुस्लिम विरोधी और भाजपा का एजेंडा बताने वाली कांग्रेस को यह भी साफ करना होगा कि विपक्ष में रहते हुए विचार क्यों बदल गए। ध्यान रहे कि शुरूआत के कुछ दिनों में कांग्रेस चुप थी लेकिन जब वाम और तृणमूल कांग्रेस ने सड़क पर उतरकर लीड लिया तो कांग्रेस भी मैदान में उतर गई। यह भी ध्यान रहे कि जब असम में एनआरसी लागू हुआ तो शुरुआती हिचक के बाद कांग्रेस ने प्रक्रिया पर आपत्ति जताते हुए इसका समर्थन ही किया था।

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