राम मंदिर निर्माण का समय अब नजदीक : मोहन भागवत
भागवत ने कहा कि राम मंदिर निर्माण का कार्य वर्ष 1986 से चल रहा है और अब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का वक्त आ गया है।
छतरपुर (नईदुनिया)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन राव भागवत ने कहा कि राम मंदिर निर्माण का कार्य वर्ष 1986 से चल रहा है। मुख्य कठिनाई यह है कि जिन्हें राम मंदिर बनाना है, उनको स्वयं राम बनना होगा। जब ऐसा होगा, तब स्वयं ही मंदिर का सुंदर और भव्य परिवेश बनेगा। उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प भी है, प्रयास भी है लेकिन उसके लिए हमें इस लायक बनना पड़ेगा। अब समय नजदीक है, परिस्थितियां भी अनुकूल होने लगी हैं। भागवत छतरपुर के मऊसहानियां स्थित शौर्यपीठ में महाराजा छत्रसाल की 52 फीट ऊंची प्रतिमा के अनावरण समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि श्रीराम अनंत हैं और शाश्वत हैं। हमारी भारत भूमि का सौभाग्य है जहां भगवान ने विभिन्न रूपों में जन्म लिया और इस पावन धरा पर खेलकर हमें धर्म और सत्य का पाठ पढ़ाया। श्रीराम ने सर्व समाज को जोड़ने का काम किया है। सत्य को स्थापित करने के लिए सत्य धर्म अपनाया। हमें भी सबको जोड़ने के लिए सुंदर साथ बनाना पड़ेगा क्योंकि हमारा मूल सत्य सनातन धर्म हैं। हमारा पवित्र धर्म सुरक्षित रहे, इसके लिए हमें भगवान राम के आदर्शों को अपनाना होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मलूक पीठाधीश्वर डॉ. राजेंद्र देवाचार्य महाराज ने की। इस अवसर पर प्रणामी संप्रदाय के संत दिनेश एम पंडित, रामह्दय महाराज, मप्र गौसंवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष स्वामी अखिलेश्वरानंद महाराज, वृंदावन धाम के किशोरदास महाराज, दिव्यानंद महाराज, चित्रकूटधाम से मदनगोपाल दास महाराज, कबीर आश्रम से नारायण दास महाराज, सीताशरण महाराज, जानराय टौरिया के महंत श्रृंगारीदास महाराज सहित संत मंडली उपस्थित रही। महाराजा छत्रसाल महाराज की अश्व पर सवार प्रतिमा के अनावरण समारोह में क्षेत्र की कई विभूतियों का सम्मान किया गया।
52 युद्ध लड़े इसलिए 52 फीट की प्रतिमा का निर्माण
बुंदेली धरती के वीर महाराजा छत्रसाल ने अपने 82 वर्ष के जीवनकाल में 52 युद्ध लड़े और वह अजेय रहे थे। उन्होंने अपने शौर्य और पराक्रम से बुंदेलखंड को मुगलों के हमलों से सुरक्षित रखा था इसलिए छत्रसाल शौर्यपीठ मऊसहानियां में 52 फीट ऊंचाई की अश्व पर सवार प्रतिमा का निर्माण छत्रसाल शोध संस्थान ने कराया है। जमीन से तलवार तक की कुल ऊंचाई भी उनकी उम्र के अनुरूप 82 फीट रखी गई है। लगभग 3 वर्ष पूर्व महाराजा छत्रसाल स्मृति शोध संस्थान का गठन किया गया था। देश की पहली अश्व पर सवार 52 फीट ऊंची अष्टधातु की प्रतिमा की डमी छतरपुर में बनाई गई थी। दो वर्षों तक धातु संग्रहण के साथ ही राजस्थान के कलाकारों ने धातु की ढलाई प्रतिमा निर्माण स्थल पर कर विशाल प्रतिमा को आकार दिया है।
संघ प्रमुख भागवत का दिखा 'राममोह'
छतरपुर जाने से पहले संघ प्रमुख मोहन भागवत का 'राममोह' उन्हें ओरछा नगरी से बांधे रहा। बुधवार को लगभग सात घंटे तक ओरछा में रहे भागवत ने भगवान के दर्शन किए और मंदिर में 'जय श्री राम' का उद्घोष भी किया। इसी दौरान दर्शन की कतार में लगे भक्तों ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर आवाज लगाई, जिस पर संघ प्रमुख मुस्कराए और 'बिल्कुल' कहकर आगे बढ़ गए। भागवत रात में सातार स्थित चंद्रशेखर आजाद अज्ञातवास स्थल पर भी गए।