मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से तरक्की के नए मुकाम पर भारत
एक दशक में भारत की जीडीपी दोगुनी हो गई है। अगर भारत में इसी तरह से आर्थिक क्षेत्र में सुधार होते रहे तो जल्द ही वह एशिया की सबसे प्रमुख आर्थिक ताकत बन सकता है।
[सतीश सिंह]। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की छठी बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई है। इसके पहले फ्रांस इस स्थान पर काबिज था। विश्व बैंक के अनुसार भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वर्ष 2017 में 2.597 टिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि फ्रांस का 2.582 टिलियन अमेरिकी डॉलर। गौरतलब है कि नवंबर, 2016 में हुई नोटबंदी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में थोड़ी सुस्ती आ गई थी। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कारण भी भारतीय अर्थव्यवस्था में थोड़ी मंदी की स्थिति बनी हुई थी, लेकिन वर्ष 2017 में विनिर्माण और उपभोक्ता खर्च में आई तेजी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में फिर से सुधार आने लगा।
भारत की जीडीपी दोगुनी
एक दशक में भारत की जीडीपी दोगुनी हो गई है। अगर भारत में इसी तरह से आर्थिक क्षेत्र में सुधार होते रहे तो जल्द ही वह एशिया की सबसे प्रमुख आर्थिक ताकत बन सकता है। कहा जा रहा है कि फ्रांस की प्रति व्यक्ति आय भारत से कई गुना अधिक है। दरअसल भारत की आबादी मौजूदा समय में लगभग 1 अरब 34 करोड़ है, जबकि फ्रांस की आबादी 6 करोड़ 7 लाख है। कम आबादी के कारण फ्रांस की प्रति व्यक्ति आय भारत से ज्यादा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) के अनुसार इस साल भारत की वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रह सकती है और कर सुधार एवं घरेलू खर्च के कारण वर्ष 2019 में भारत की विकास दर 7.8 प्रतिशत पहुंच सकती है, जबकि दुनिया की औसत विकास दर 3.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।
ब्रिटेन और फ्रांस दोनों को पीछे छोड़ देगा भारत
लंदन स्थित आर्थिक एवं व्यापार शोध संस्थान ने पिछले साल अपने बयान में कहा था कि जीडीपी के संदर्भ में भारत ब्रिटेन और फ्रांस दोनों को पीछे छोड़ देगा। इतना ही नहीं वर्ष 2032 तक भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 के आखिर में ब्रिटेन 2.622 टिलियन यूएस डॉलर के जीडीपी के साथ दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वर्तमान में अमेरिका 1,379 लाख करोड़ रुपये के जीडीपी के साथ दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। दूसरे, तीसरे एवं चौथे स्थान पर क्रमश: चीन, जापान और जर्मनी हैं।
भारत पर कर्ज ज्यादा
आइएमएफ का कहना है कि जीडीपी के अनुपात में भारत पर कर्ज ज्यादा है, लेकिन वह सही आर्थिक नीतियों की मदद से इसे कम करने का प्रयास कर रहा है। वित्त वर्ष 2017 में भारत सरकार का कर्ज जीडीपी का 70 प्रतिशत था। आइएमएफ के शीर्ष कार्यपालकों का कहना है कि भारत संघीय स्तर पर अपने राजकोषीय घाटे को 3 प्रतिशत और कर्ज के अनुपात को 40 प्रतिशत के स्तर पर लाने का प्रयास कर रहा है। वित्त मंत्रालय के अनुसार अप्रैल 2018 में जीएसटी संग्रह 1,03,458 करोड़ रुपये रहा, जो किसी भी महीने में अब तक का सर्वाधिक है। वित्त वर्ष 2018-19 के केंद्रीय बजट में 7.43 लाख करोड़ रुपये जीएसटी संग्रह का अनुमान लगाया गया है।
विदेशी मुद्रा का भंडार 400 अरब डॉलर से अधिक
वित्त वर्ष 2018-19 में प्रति माह 1.08 लाख करोड़ रुपये जीएसटी संग्रह के औसत अनुमान के आधार पर माना जा रहा है कि वित्त वर्ष के अंत में यह 13.05 लाख करोड़ रुपये होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में एशिया इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआइआइबी) की तीसरी सालाना बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि देश का विदेश व्यापार क्षेत्र मजबूत स्थिति में है। देश में विदेशी मुद्रा का भंडार 400 अरब डॉलर से अधिक है, जो देश में निवेश के लिए सकारात्मक माहौल बना रहा है। कीमतों में स्थिरता, विदेशी व्यापार क्षेत्र की मजबूती और राजकोषीय स्थिति नियंत्रण में होने से वृहद आर्थिक संकेतक मजबूत हैं।
विदेशी व्यापार क्षेत्र मजबूत
विदेशी व्यापार क्षेत्र मजबूत बना हुआ है। भारत की अर्थव्यवस्था में वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं का भरोसा बढ़ रहा है। एफडीआइ आवक में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। पिछले चार वर्षो में 222 अरब डॉलर की आवक हुई है। अंकटाड की विश्व निवेश रिपोर्ट के मुताबिक भारत लगातार विश्व में मुख्य एफडीआइ स्थलों में से एक बना हुआ है। कहा जा सकता है कि मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के सकारात्मक परिणाम दिख रहे हैं। आर्थिक सुधारों की वजह से विकास दर में इजाफा हो रहा है।
फ्रांस की तरह ब्रिटेन को भी पछाड़कर 2019 में दुनिया की 5वींं बड़ी ताकत बन जाएगा भारत!