अब पाकिस्तान के साथ एनएसए डोभाल के नेतृत्व में चल रही बैक डोर डिप्लोमेसी, जानें क्या है इसकी वजह
भारत और पाकिस्तान दोनों देशों ने इस बात के संकेत दे दिए हैं कि द्विपक्षीय रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने की नई कोशिश हो सकती है। सूत्रों की मानें तो रिश्तों को नई दिशा देने की जिम्मेदारी एक बार फिर एनएसए अजीत डोभाल के हाथ में है...
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच पश्चिमी सीमा पर संघर्ष विराम को लेकर बनी सहमति के बाद अभी यह कहना तो जल्दबाजी होगी कि दोनों देशों के बीच एक बार फिर राजनीतिक वार्ता का नया दौर शुरू हो सकेगा। लेकिन दोनों देशों ने गुरुवार को इस बात के संकेत दे दिए कि द्विपक्षीय रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघलाने की नई कोशिश हो सकती है। संकेत यह भी है कि पाकिस्तान के साथ रिश्तों को नई दिशा देने की जिम्मेदारी एक बार फिर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के हाथ में है।
बैक डोर डिप्लोमेसी के तहत बड़ी पहल
डोभाल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के सलाहकार मोईद एम. यूसुफ के साथ बैक डोर डिप्लोमेसी के तहत संपर्क में हैं। मालूम हो कि हाल में पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध में कुछ कामयाबी मिली है और दोनों देशों ने पैंगोंग झील के दोनों किनारों से अपनी सेनाओं को पीछे हटा लिया है।
अंदरखाने गंभीर चर्चा
पाकिस्तान के साथ संघर्ष विराम संबंधी संयुक्त बयान आने के बाद गुरुवार शाम साप्ताहिक प्रेस वार्ता में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव का पाकिस्तान को लेकर बदला अंदाज ही इस बात की गवाही दे रहा था कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर सरकार के भीतर कुछ गंभीर विमर्श चल रहा है।
राजनीतिक वार्ता भी शुरू
अनुराग श्रीवास्तव से जब यह पूछा गया कि क्या संघर्ष विराम के बाद राजनीतिक वार्ता भी शुरू की जाएगी तो उनका जबाव था, 'भारत पाकिस्तान के साथ एक सामान्य पड़ोसी देश जैसा रिश्ता चाहता है। जहां तक पाकिस्तान के साथ दूसरे मुद्दों का सवाल है तो हमारी स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ है।' साफ है कि अभी तक आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को खुल कर घेरने वाले श्रीवास्तव ने कोई तल्ख टिप्पणी करने से परहेज किया।
कूटनीतिक संपर्क बरकरार
उधर, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के सलाहकार मोईद यूसुफ ने एक संक्षिप्त आडियो बयान में संघर्ष विराम के फैसले को एक ठोस और सकारात्मक कदम करार देते हए यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संपर्क बना हुआ है और आने वाले दिनों में कई और रास्ते खुलेंगे।
मिले बड़े संकेत
मोईद यूसुफ ने इसे पाकिस्तान और पाकिस्तानी कूटनीति की सफलता करार देते हुए कहा कि ईश्वर ने चाहा तो संपर्क के और रास्ते खुलेंगे। हम लगातार यह कहते रहे हैं कि पाकिस्तान शांति चाहता है। उन्होंने यह भी जताने की कोशिश की कि पाक सरकार ने अंतरराष्ट्रीय दबाव बना कर भारत को वार्ता की मेज पर लाने में सफलता पाई है। जानकारों का कहना है कि मोईद और डोभाल के बीच पिछले कुछ महीनों में रिश्तों की दिशा व दशा बदलने को लेकर कई स्तरों पर बातचीत हुई है। हालांकि बाद में मोईद ने एक ट्वीट कर बैक डोर बातचीत को आधारहीन बताया और कहा कि उनकी और डोभाल के बीच ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई।
अभी करना होगा इंतजार
सूत्रों का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ते संघर्ष विराम समझौते से आगे बढ़ते हैं या नहीं इसके लिए भी इंतजार करना होगा। वैसे वर्ष 1999 के कारगिल युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 2003 में भी संघर्ष विराम पर सहमति बनी थी और उसके बाद द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने के लिए कई स्तरों पर तकरीबन पांच वर्षों तक बातचीत हुई थी। यह बातचीत का दौर वर्ष 2008 के मुंबई हमले से कुछ समय पहले तक चला था। मुंबई हमले के बाद रिश्ते काफी खराब हो गए थे, लेकिन फिर वर्ष 2010-11 के बाद बातचीत का सिलसिला शुरू किया गया था।
पठानकोट हमले के बाद से बंद हुई थी बातचीत
वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद भी बातचीत हुई थी। अंतिम बार दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने को लेकर दिसंबर, 2015 में इस्लामाबाद में बातचीत हुई थी जो जनवरी, 2016 में पठानकोट हमले के बाद स्थगित है।
बाजवा भी दे चुके हैं संकेत
यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि वर्ष 2015 में भी एनएसए डोभाल ने बैक डोर डिप्लोमेसी के साथ तत्कालीन पाकिस्तानी एनएसए के साथ चर्चाएं की थीं। बताते चलें कि पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल बाजवा ने इस महीने की शुरुआत में यह कहा था कि भारत के साथ शांति बहाली के लिए नए सिरे से कोशिश होनी चाहिए। तभी से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर बातचीत शुरू होने के कयास लगाए जा रहे हैं।