सियासत आ रही आड़े, गैर भाजपा राज्यों को नहीं भा रहा 'पीएम-किसान'
हाल ही में तीन बडे़ राज्यों मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को हराकर कब्जा जमाया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी साल में केंद्र सरकार की ओर से किसानों को दिया जा रहा 'पीएम-किसान' का तोहफा गैर भाजपा शासित राज्यों को नहीं भा रहा है। किसानों को मिलने वाले नगदी लाभ के मामले में भी उनकी राजनीति आड़े आ रही है। केंद्र की राजग सरकार जहां चुनाव की अधिसूचना जारी होने के पूर्व दो हजार रुपये की पहली किस्त किसानों के खाते में जमा करा देने की जल्दी में है, वहीं गैर भाजपा की सरकार वाले राज्य इसमे विलंब कर सकते हैं। उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य अपने यहां से किसानों के आंकड़े भेजने में तत्परता नहीं दिखा रहे हैं।
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इन राज्य सरकारों की ओर से तरह-तरह के स्पष्टीकरण और योजना में कुछ न कुछ जोड़ने अथवा घटाने के आग्रह किये जा रहे हैं। उनके सुझावों और आग्रह पर रोजाना स्पष्टीकरण भेजा रहा है, लेकिन उनके आंकड़े भेजने की रफ्तार बहुत धीमी है। पश्चिम बंगाल और उड़ीसा ने अभी तक एक भी किसान का ब्यौरा नहीं भेजा है।
हाल ही में तीन बडे़ राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा को हराकर कब्जा जमाया है। अगले महीने ही लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है, जिसे लेकर राजनीतिक दलों में पेशबंदी शुरु हो गई है। केंद्र सरकार किसानों के हित में एक बड़ा कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना (पीएम-किसान) की शुरुआत की है। इसके तहत देश के 12 करोड़ से अधिक लघु व सीमांत किसानों को सालाना छह हजार करोड़ रुपये की नगदी मदद दी जाएगी। इसकी पहली किस्त 24 फरवरी से ही किसानों के खाते में जानी शुरु हो जाएगी।
किसानों का डिजिटल आंकड़ा भेजने में उत्तर प्रदेश अव्वल रहा है। पीएम किसान सम्मान निधि से जुड़ने वाले किसानों कुल संख्या में 50 फीसद उत्तर प्रदेश के हैं। तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा है। मंत्रालय का कहना है कि 24 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी गोरखपुर में कुल चुनिंदा 11 किसानों को मंच पर ही पहली किस्त सौंपेंगे, जबकि रिमोट से लगभग ढाई करोड़ किसानों के खाते में रकम जमा कराई जाएगी।
कृषि मंत्रालय में राज्यों से पात्र किसानों के आंकडे़ मंगाये जा रहे हैं। 18 फरवरी से आंकड़े एकत्र किये जाने की शुरुआत की गई है। पहले दिन ही जहां 50 लाख किसानों के आंकड़े आये, उसमें आठ लाख आंकड़े त्रुटिपूर्ण पाये गये हैं। जबकि 19 फरवरी को कुल 70 लाख किसानों के आंकड़े पहुंचे, जिनमे से 10 लाख आंकड़ों में कई तरह की खामियां मिली। त्रुटिपूर्ण आंकड़ों को दुरुस्त कर जल्दी ही भेजने को कहा जा रहा है।
कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अफसरों का एक दल सभी राज्यों के मुख्य सचिव व अन्य अफसरों से रोजाना वीडियोकांफ्रेंसिंग कर उन्हें दिशानिर्देश दे रहा है। कृषि मंत्रालय इन दिनों नोडल मंत्रालय के तौर पर काम कर रहा है। सभी राज्यों की राजधानी में कम से कम एक वरिष्ठ मंत्रियों की ड्यूटी लगाई गई है।