गरीबी उन्मूलन के लिए बंधन बैंक के साथ काम कर चुके हैं नोबेल विजेता अभिजीत और उनकी पत्नी
नोबेल पुरस्कार विजयी अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि वह अभिजीत विनायक बनर्जी को संयुक्त रूप से अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुने जाने पर बहुत खुश हैं।
जागरण संवाददाता, कोलकाता। वैश्विक गरीबी कम करने के लिए अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डुफलो बंधन बैंक के साथ काम कर चुके हैं। बंधन बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि अभिजीत और उनकी पत्नी 2011 में बंधन बैंक से जुड़े थे। तब यह एक सूक्ष्म-वित्तीय संस्थान (एमएफआइ) था, जो गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत गरीबी कम करने के प्रभावी लक्ष्यों का आकलन करता था। इसी कार्यक्रम में दोनों बंधन बैंक के जुड़े थे।
नोबेल विजेता व उनकी पत्नी से करीबी रिश्ता
बंधन बैंक के एमडी और सीईओ चंद्रशेखर घोष ने बताया कि 2006 से नोबेल विजेता व उनकी पत्नी से उनका करीबी रिश्ता रहा है। बेसलाइन और पोस्ट-प्रोग्राम के तहत तैयार किए गए दस्तावेज करीब 1,000 घरों में किए गए सर्वेक्षण पर केंद्रित हैं। उन्हें बंधन के टारगेटिंग द हार्ड-कोर पुअर (टीएचपी) कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। इस कार्यक्रम का लक्ष्य आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों, जो गरीबी में जकड़े हुए हैं, उन्हें वित्तीय मध्यस्थता द्वारा सक्षम बनाना था।
अभिजीत को नोबेल मिलने पर अमर्त्य सेन ने जताई खुशी
नोबेल पुरस्कार विजयी अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कि वह अभिजीत विनायक बनर्जी को संयुक्त रूप से अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुने जाने पर बहुत खुश और उत्साहित हैं। गौरतलब है कि सेन को 1998 में अर्थशास्त्र के नोबेल से नवाजा गया था।
बनर्जी ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की
सेन ने कहा कि मुझे लगता है कि यह पुरस्कार सर्वाधिक योग्य लोगों को दिया जा रहा है। 86 वर्षीय सेन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र और दर्शन के प्रोफेसर हैं, जहां से बनर्जी ने 1988 में पीएचडी की डिग्री हासिल की थी।
भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी
भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee) और उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो (Esther Duflo) को नोबेल पुरस्कार 2019 से सम्मानित किया गया है। 58 वर्षीय अभिजीत और एस्थर को वैश्विक स्तर पर गरीबी को कम करने को लेकर किए गए कार्यो के लिए ये सम्मान दिया गया है।
अभिजीत का जन्म महाराष्ट्र में हुआ
अभिजीत का जन्म 21 फरवरी 1961 में महाराष्ट्र के धुले में हुआ। पिता दीपक बनर्जी और मां निर्मला बनर्जी दोनों ही कोलकाता के जाने माने प्रोफेसर थे। पिता दीपक बनर्जी प्रेसीडेंसी कॉलेज में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर थे और मां कोलकाता के सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में प्रोफेसर थीं।
1983 में जेएनयू से किया पोस्ट ग्रैजुएशन
अभिजीत बनर्जी ने कोलकाता में ही अपनी प्रारंभिक शिक्षा ली। कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से ही उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री ली। 1983 में अभिजीत ने जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सटी ने इकोनॉमिक्स से एमए किया। इसके बाद अभिजीत ने 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
पहली पत्नी अरुंधति से तलाक
अभिजीत बनर्जी ने एमआइटी में साहित्य की लैक्चरार अरुंधति तुली से शादी की। अभिजीत और अरुंधति दोनों कोलकाता में एक साथ ही बड़े हुए। 1991 में उनका एक बेटा भी हुआ जिसका नाम कबीर बनर्जी है। मार्च 2016 में कबीर का निधन हो गया। अभिजीत और अरुंधति ने बाद में तलाक ले लिया। इसके बाद अभिजीत ने एमआइटी में ही प्रोफेसर एस्थर डुफ्लो से शादी कर ली।
जेएनयू में खुशी
अर्थशास्त्र के नोबेल पुरस्कार के लिए चुने गए अभिजीत विनायक बनर्जी का यहां प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से गहरा नाता रहा है। उन्हें पुरस्कार मिलने की खुशी में जेएनयू गर्व से फूले नहीं समा रहा है। 1981 में कलकत्ता यूनिवर्सिटी से बीएससी की डिग्री हासिल करने बाद अभिजीत इकोनॉमिक्स से एमए करने जेएनयू आ गए।
छात्र की उपलब्धि से पूर्व प्रोफेसर अंजान मुखर्जी बेहद खुश
1983 में उनको पढ़ाने वाले जेएनयू के अर्थशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर अंजान मुखर्जी अपने छात्र की उपलब्धि से बेहद काफी खुश हैं। उन्होंने कहा, मैंने उन्हें ईमेल भेजकर खुशी जताई है। अभिजीत उत्कृष्ट छात्र रहे हैं। वह हमेशा दूसरे छात्रों से अलग रहे। कक्षा में बहुत ही ध्यान से सभी व्याख्यान सुनते थे। उन्होंने कहा कि मुझे यकीन था कि अभिजीत को नोबेल पुरस्कार जरूर मिलेगा क्योंकि जिस तरह से उन्होंने वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए योगदान दिया है, वह तारीफ के योग्य है।
अभिजीत के मॉडल पर दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 'चुनौती' योजना शुरू
भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत विनायक बनर्जी के मॉडल पर ही दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 'चुनौती' योजना शुरू की गई है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा- आज भारतीयों के लिए बड़ा दिन है
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अभिजीत को नोबेल मिलना सभी भारतीयों के लिए बड़ा दिन है। उनके अग्रणी कार्यो से दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षण की व्यवस्था बदल गई और लाखों छात्रों को लाभ मिला।
अभिजीत ने दिल्ली सरकार को शिक्षा के क्षेत्र में कई सुझाव दिए
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली सरकार को अभिजीत ने शिक्षा के क्षेत्र में कई सुझाव दिए हैं। उनसे कई बार शिक्षा व्यवस्था पर बातचीत की गई थी। शिक्षा मंत्री होने के नाते भी मुझे उनपर गर्व है। प्रो. बनर्जी और प्रो. एस्थर डुफ्लो के सहयोग और उनके शोध से प्रेरणा लेकर दिल्ली सरकार ने प्रथम संस्था की शिक्षण पद्धति को अपनाया और परिणाम बजट की पहल की।
क्या है चुनौती योजना
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने लिए 2016 में 'चुनौती 2018' के नाम से नई योजना शुरू की गई थी। इसमें छठी कक्षा से दसवीं तक के छात्रों को विशेष योजना के तहत पढ़ाए जाने की पहल की गई थी।