उम्मीदों की झोली में आश्वासन की फुहार से मायूस हुए 'माननीय'
वित्त मंत्री ने राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति और राज्यपालों का वेतन बढ़ाने की जब घोषणा की तो फिर दलीय सीमा से परे सभी सांसदों ने अपने वेतन-भत्ते में इजाफे की जोरदार मांग उठाई।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। उम्मीदों और आश्वासनों पर ही जनता पांच साल तक झुलाने वाले माननीयों को ठोस आश्वासन भी नाउम्मीद करता है। कुछ ऐसा ही नजारा लोकसभा में आम बजट के दौरान नजारा नजर आया जब सांसदों का वेतन तीन महीने बाद बढ़ाने का वादा किया गया। साथ ही माननीयों से खुद का वेतन बढ़ाने का उनका अधिकार छीनने का फैसला सुनाया गया। अब तक वित्त मंत्री की बजट घोषणाओं पर उत्साह के गोते में जमकर तालियां बजाते माननीयों का मिजाज अरुण जेटली के इस ऐलान ने पल भर में बदल दिया।
वित्त मंत्री ने राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति और राज्यपालों का वेतन बढ़ाने की जब घोषणा की तो फिर दलीय सीमा से परे सभी सांसदों ने अपने वेतन-भत्ते में इजाफे की जोरदार मांग उठाई। कुछ क्षणों तक माननीयों की मुखर आवाज सुनने के बाद जेटली ने वेतन से जुड़ी घोषणा शुरू की तो सांसदों को उम्मीद हुई कि अगली सौगात की गेंद उनकी झोली में ही गिरेगी। मगर वित्त मंत्री ने बढ़ोतरी को अप्रैल से नया तंत्र बनाकर करने की बात कही तो फिर माननीयों के उम्मीदों के सुर का स्वर कुछ उसी तरह आह के अंदाज में धीमा पड़ गया जैसे क्रिकेट में हाथ आया कैच छूटने पर होता है। उनके असंतोष के सुर करीब दो मिनट तक संसद में सुनाई देते रहे। तमाम सांसद एक दूसरे की ओर निराश भाव से निहारते हुए यह पूछते नजर आये कि आखिर इसमें उन्हें मिला क्या है?
एनडीए सरकार के आखिरी पूर्ण बजट पेश होने के दौरान कोई राजनीतिक शोर-शराबा नहीं हुआ। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे समेत विपक्ष के कुछ सदस्यों ने किसानों के लिए राहत का ऐलान देर से करने को लेकर आवाज जरूर उठाई। इसी तरह मध्यम दर्जे की कंपनियों को टैक्स छूट देने की घोषणा पर भी विपक्ष खेमे ने असंतोष का इजहार किया तो वित्तमंत्री ने सवाल दागा कि वे स्पष्ट करें कि क्या वे इसका विरोध कर रहे हैं। वित्तमंत्री के इस दांव के बाद विपक्षी खेमा शांत हो गया।
अगले लोकसभा चुनाव के लिहाज से अहम इस बजट में वित्तमंत्री चुनावी रथ पर सवार होने का बार-बार संदेश देते भी दिखाई दिये। अंग्रेजी में बजट भाषण पढ़ने वाले जेटली ने सौगात वाली सभी घोषणाओं का ऐलान हिन्दी में ही किया। वित्तमंत्री की इस रणनीति से साफ था कि सरकार जनता से जुड़े ऐलानों को सीधे उन तक पहुंचाने का मौका नहीं छोड़ना चाहती थी।
लोकसभा में बजट पेश करने से 10 मिनट पहले ही वित्तमंत्री सदन में अपना बैग लिये पहुंच गये। इस दौरान सदन में उनका गर्मजोशी से सबसे पहले अभिवादन करने वालों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ रहे जिन्होंने उनकी सीट पर जाकर उनसे हाथ मिलाया। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट पेश होने के बाद जेटली से हाथ मिलाकर उनको बधाई दी। वित्तमंत्री की पत्नी संगीता जेटली और उनके पुत्र ने लोकसभा अध्यक्ष दीर्घा से उनका पूरा बजट भाषण गौर से सुना और देखा।