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MP Political Crisis: राज्यपाल के निर्देश के बावजूद फ्लोर टेस्ट नहीं, आज होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बेंगलुरु में ठहरे विधायक साथियों ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी मर्जी से यहां हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 17 Mar 2020 10:22 PM (IST)Updated: Wed, 18 Mar 2020 07:05 AM (IST)
MP Political Crisis: राज्यपाल के निर्देश के बावजूद फ्लोर टेस्ट नहीं, आज होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
MP Political Crisis: राज्यपाल के निर्देश के बावजूद फ्लोर टेस्ट नहीं, आज होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश में सियासी संकट अब संवैधानिक संकट का रूप ले चुका है। राज्यपाल लालजी टंडन के दूसरी बार निर्देश के बाद भी मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को भी विधानसभा में फ्लोर टेस्ट नहीं कराया। पहले टंडन ने 16 मार्च को विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन अपने अभिभाषण के तत्काल बाद फ्लोर टेस्ट का निर्देश दिया था।

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मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को फिर पत्र लिख कर कहा- फ्लोर टेस्ट मेरे अधिकार में नहीं

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को फिर राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा कि फ्लोर टेस्ट कराना उनके नहीं बल्कि विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है।

बुधवार को होगी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी कर सुनवाई के लिए 18 मार्च की तारीख मुकर्रर की है। अब सभी की निगाहें बुधवार को होने वाली सुनावई पर टिकी हैं।

कोरोना वायरस की आड़ लेकर विधानसभा 26 मार्च तक स्थगित

गौरतलब है कि राज्यपाल ने 16 मार्च को फ्लोर टेस्ट के लिए कमलनाथ सरकार को निर्देश दिया था। इस बीच राज्य विधानसभा का बजट सत्र कोरोना वायरस की आड़ लेकर 26 मार्च तक स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद राज्यपाल ने सोमवार रात मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर 17 मार्च को फ्लोर टेस्ट कराने का फिर आदेश दिया था। इस पर भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। हालांकि, पत्र के जरिये राज्यपाल को जवाब में कमलनाथ ने इसमें अपनी कोई भूमिका नहीं होने की बात कहते हुए गेंद विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति के पाले में डाल दी है।

एहतियात के लिए विधानसभा की बैठक को स्थगित किया गया: विधानसभा अध्यक्ष

वहीं, प्रजापति का कहना है कि कोरोना वायरस को लेकर देशभर में सतर्कता बरती जा रही है। कई राज्यों के विस सत्र स्थगित हो चुके हैं, इसलिए एहतियात के लिए विधानसभा की बैठक को स्थगित किया गया है। उन्होंने भी एक पत्र राज्यपाल को लिखा है। इसमें उन्होंने लापता विधायकों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है।

मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को दिए ये तर्क

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल टंडन को मंगलवार को लिखे पत्र में कहा 'आपने मुझ पर संसदीय मर्यादाओं का पालन न करने का आरोप लगाया है, जिससे मैं दुखी हूं। बंधक बनाए गए विधायकों को छूटने दीजिए। उन्हें पांच-सात दिन उनके घर रहने दीजिए ताकि वे स्वतंत्र मन से निर्णय ले सकें।' मुख्यमंत्री ने 17 मार्च को फ्लोर टेस्ट न कराने पर सरकार के पास बहुमत नहीं होने की बात मान लेने के जवाब में राज्यपाल को लिखा है कि यह असंवैधानिक होगा। पत्र में आगे लिखा कि 'आपने फ्लोर टेस्ट कराने में आनाकानी करने की बात लिखी तो मैं बता दूं पिछले 15 महीनों में कई बार सदन में बहुमत सिद्घ किया है। अब भाजपा यह आरोप लगा रही है तो अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से फ्लोर टेस्ट कराया जा सकता है। उन्होंने लिखा है कि मुझे पता चला है कि अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत कर दिया है, जो विधानसभा अध्यक्ष के पास लंबित है। ऐसे में अब अध्यक्ष ही कार्यवाही करेंगे।

शिवराज बोले- प्रयास सफल नहीं होगा

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बेंगलुरु में ठहरे विधायक साथियों ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी मर्जी से यहां हैं। इस सरकार के खिलाफ हैं और सबने खुलकर आज देश के सामने अपनी बात रखी है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि कमलनाथ समय लेने की कोशिश कर रहे हैं। दबाव बनाकर यह प्रयास कर रहे हैं कि सरकार बच जाए, लेकिन अब यह सरकार बच नहीं सकती।


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