सेना में महिलाओं के लिए नहीं बंद होना चाहिए कोई दरवाजा: राजनाथ सिंह
राजनाथ सिंह ने कहा कि कार्यक्षेत्रों में महिलाओं की मौजूदगी राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान देने के साथ ही महिलाओं के उन्नयन का भी काम करेगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि विगत वर्षो में सेना में महिलाओं की सहभागिता बढ़ी है। उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं के लिए सेना का कोई दरवाजा बंद नहीं होना चाहिए। गणतंत्र दिवस परेड में सेना के पुरुष दस्ते का नेतृत्व करने वाली तानिया शेरगिल का उदाहरण देते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि आज महिलाएं उन मोर्चो पर भी नेतृत्व कर रही हैं, जो अब तक उनके लिए बंद थे।
नीति आयोग की तरफ से आयोजित 'वूमेन ट्रांसफॉर्म इंडिया अवार्ड' समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सेना में महिलाओं को सशक्त करना मोदी सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। राजनाथ सिंह ने कहा कि कार्यक्षेत्रों में महिलाओं की मौजूदगी राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक विकास में योगदान देने के साथ ही महिलाओं के उन्नयन का भी काम करेगा। उन्होंने कहा कि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए महिलाओं की भागीदारी जरूरी है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन दिए जाने पर अपनी मुहर लगा दी। कोर्ट ने इसके लिए एक समय सीमा भी निश्चित कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर सेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन का गठन करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर महिला सैन्य अधिकारियों ने खुशी जताई है।
मार्च 2021 तक महिलाओं का पहला बैच होगा शामिल
इसी बीच 100 महिला सैनिकों के पहले बैच को मार्च 2021 तक सेना में शामिल किए जाने की संभावना है। सेना के सूत्रों ने कहा कि 100 महिलाओं वाले इस बैच का प्रशिक्षण इसी साल दिसंबर में शुरू होगा। महिला सैनिकों को भारतीय सेना के कॉर्प्स ऑफ मिलिट्री पुलिस में कमीशन दिया जाएगा सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि प्रशिक्षण अवधि पुरुष सैनिकों के समान ही 61 सप्ताह की होगी। इतनी महिला सैनिकों को प्रत्येक वर्ष प्रशिक्षित कर कमीशन दिया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि सैन्य पुलिस में महिला सैनिकों का कैडर 1700 की निश्चित संख्या में रखा जाएगा।