अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की कोशिश फिर नाकाम, लोकसभा की कार्यवाही कल तक स्थगित
एक तरफ पार्टियां लोकसभा में केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करना चाहती हैं तो दूसरी तरफ हंगामा करने से भी बाज नहीं आ रही हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। मोदी सरकार के खिलाफ आज फिर संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने की कोशिश नाकाम रही। लोकसभा की कार्यवाही शुरू होते ही 'वी वांट जस्टिस' के नारे लगाए जाने लगे, जिसके बाद सदन की कार्यवाही पहले 12 बजे तक के लिए और फिर कल तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
वाईएसआर कांग्रेस और तेगुगू देसम पार्टी (टीडीपी) जैसी पार्टियां मंगलवार को भी लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने की कोशिश में थीं। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने से नाराज दोनों पार्टियां ये कदम उठा रही हैं और कई विपक्षी पार्टियां इनके समर्थन में हैं।
इस मांग को लेकर टीडीपी लगातार संसद में प्रदर्शन भी कर रही है। पार्टी सांसद थोटा नरसिम्हम ने मंगलवार को कहा कि जब तक हमारी मांग पूरी नहीं हो जाती, तब हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा। वहीं कावेरी मुद्दे को लेकर एआइएडीएमके सांसदों का भी आज संसद में प्रदर्शन जारी रहा। इस बीच, हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही भी दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
अब एक तरफ वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी जैसी पार्टियां लोकसभा में केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करना चाहती हैं तो दूसरी तरफ हंगामा करने से भी बाज नहीं आ रही हैं। ऐसे में संसद की कार्यवाही बाधित हो रही है और सोमवार को भी यही हुआ। विपक्षियों के विरोध-प्रदर्शन के चलते लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। मगर दोनों पार्टियों ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने को लेकर एक बार फिर नोटिस दिया है।
वैसे सरकार ने साफ कर दिया है कि वह अविश्वास प्रस्ताव सहित विपक्ष की ओर उठाए जा रहे सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन चर्चा तभी संभव होगी जब सदन सुचारू रूप से चले। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि सरकार अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार है, लेकिन इसके लिए सबसे पहले सदन में शांति जरूरी है। तभी चर्चा हो सकती है।
सरकार की ओर से पहले भी कहा जा चुका है कि लोकसभा में उसके पास पूर्ण बहुमत है, इसीलिए अविश्वास प्रस्ताव से डरने की कोई जरूरत नहीं है। इसके पहले शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा था कि अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करना और उस पर चर्चा शुरू कराना उनकी जिम्मेदारी है, लेकिन सदन के सुचारू हुए बिना यह संभव नहीं हो सकता है।
539 सदस्यों वाली लोकसभा में भाजपा के पास खुद के 274 सदस्य हैं, जबकि बहुमत के लिए 270 सदस्यों की ही जरूरत है।
टीडीपी के लोकसभा में 16 सदस्य हैं, जबकि वाईएसआर कांग्रेस के नौ सदस्य हैं। दोनों दल विपक्षी पार्टियों से अपने-अपने नोटिस के समर्थन के लिए लामबंद करने में जुटे हुए हैं। सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए किसी भी नोटिस को कम से कम 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत होती है।