लोकसभा की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित, नहीं पेश हो सका अविश्वास प्रस्ताव
वाईएसआर कांग्रेस और तेलुगु देसम पार्टी (टीडीपी) ने केंद्र सरकार के खिलाफ आज अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया था।
नई दिल्ली, एजेंसी। मोदी सरकार के खिलाफ आज संसद में पहला अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने की तैयारी थी, मगर हंगामे के कारण वाईएसआर और तेलुगू देसम पार्टी (टीडीपी) के मंसूबे पर पानी फिर गया। एक तरफ जहां लोकसभा की कार्यवाही को पहले 12 बजे तक के लिए और फिर कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया, वहीं राज्यसभा की कार्यवाही को भी विपक्षियों के विरोध-प्रदर्शन के चलते मंगलवार तक के लिए स्थगित करना पड़ेगा।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हम चाहते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो और सभी इसके लिए सहयोग करें। मगर विपक्षियों के हंगामे के कारण संसद के बजट सत्र का एक और दिन इसकी भेंट चढ़ गया।
प्रस्ताव लाने वाले कर रहे हंगामा
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि एक ताफ वे अविश्वास प्रस्ताव लाने को कह रहे हैं और दूसरी तरफ वे संसद में हंगामा कर रहे हैं ताकि चर्चा के लिए प्रस्ताव स्वीकार ना हो सके। वे खुद ही नहीं जानते कि वे क्यों अविश्वास प्रस्ताव ला रहे हैं।
आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने से नाराज वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी ने केंद्र सरकार के खिलाफ आज लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया था। आंध्र प्रदेश की दोनों पार्टियों ने इस संबंध में नोटिस दिया था।
कार्यवाही शुरू होने से पहले टीडीपी ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर बजट सत्र के अंत तक संसद आने का निर्देश दिया था। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर छिड़ी नाक की लड़ाई में टीडीपी को राजग का साथ छोड़ना पड़ा है।
इस बीच टीडीपी का संसद में महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन जारी रहा। इस मौके पर कांग्रेस नेता रेणुका चौधरी भी साथ दिखीं। एआइएडीएमके सांसदों ने भी कावेरी मुद्दे को लेकर संसद परिसर में विरोध-प्रदर्शन किया।
वहीं केंद्रीय संसदीय मामलों के मंत्री अनंत कुमार ने कहा है कि हम अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने को तैयार हैं, क्योंकि सदन में हमारा समर्थन है।
इससे पहले टीडीपी सांसद आरएम नायडू ने कहा था कि हम संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने जा रहे हैं। सभी पार्टियों की जिम्मेदारी है कि वे हमारा समर्थन करें। ज्यादा से ज्यादा समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि बहस हो सके। सरकार की गिराने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।
वाईएसआरसीपी सांसद वीएएस रेड्डी ने कहा था कि हम आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद पिछले चार साल से विशेष राज्य के दर्जे के लिए लड़ रहे हैं। 2016 तक भाजपा और चंद्रबाबू नायडू कहते रहे हैं कि विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा। इसके अचानक उन्होंने भाजपा से हाथ मिला लिया। वह एक गिरगिट की तरह हैं, उन्होंने राज्य के खिलाफ फैसला लिया।
वहीं टीडीपी और वाईएसआरसीपी के अविश्वास प्रस्ताव पर आंध्र प्रदेश भाजपा प्रमुख के हरिबाबू ने कहा था कि भाजपा के पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत है। ये सभी पार्टियों एक साथ होकर भी मोदी सरकार को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकती हैं।
शिवसेना से संजय राउत ने कहा था कि हम इंतजार करेंगे और देखेंगे। हमें देखना होगा कि अविश्वास प्रस्ताव को स्पीकर की अनुमति मिलती है या नहीं। अविश्वास प्रस्ताव पर हमने कोई फैसला नहीं किया है, इस बारे में उद्धव जी फैसला करेंगे।
गौरतलब है कि टीडीपी के लोकसभा में 16 सदस्य हैं, जबकि वाईएसआर कांग्रेस के नौ सदस्य हैं। दोनों दल विपक्षी पार्टियों से अपने-अपने नोटिस के समर्थन के लिए लामबंद करने में जुटे हुए हैं। सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए किसी भी नोटिस को कम से कम 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत होती है।
उधर सरकार ने अपने बहुमत का भरोसा जता दिया है। कहा है कि अगर अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में पेश भी हुआ तो वह उसे आसानी से परास्त कर देगी। 539 सदस्यों वाली लोकसभा में भाजपा के पास खुद के 274 सदस्य हैं, जबकि बहुमत के लिए 270 सदस्यों की ही जरूरत है।