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एनके सिंह ने कहा- यूपी में सामाजिक विकास और रोजगार को लेकर चिंतित है वित्त आयोग

वित्त आयोग का मानना है कि राज्य सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती सामाजिक विकास क्षेत्र में है। यूपी अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत पीछे है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 11:56 PM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 12:09 AM (IST)
एनके सिंह ने कहा- यूपी में सामाजिक विकास और रोजगार को लेकर चिंतित है वित्त आयोग
एनके सिंह ने कहा- यूपी में सामाजिक विकास और रोजगार को लेकर चिंतित है वित्त आयोग

नितिन प्रधान, नई दिल्ली। वित्तीय स्थिति संतोषजनक होने के बावजूद 15वां वित्त आयोग उत्तर प्रदेश में सामाजिक विकास के मापदंडों और रोजगार की मौजूदा स्थिति को लेकर चिंतित है। इतना ही नहीं आयोग राज्य में पावर सेक्टर में उदय के बाद प्रदेश स्तर पर और सुधार के कदम उठाये जाने का पक्षधर है। आयोग का मानना है कि कृषि क्षेत्र को बिजली पर सब्सिडी देने के लिए राज्य सरकार को डीबीटी के जरिए किसानों के खाते में सीधे पैसा देने का रास्ता अपनाना चाहिए।

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वित्त आयोग आज से उत्तर प्रदेश के दौरे पर

वित्त आयोग शनिवार से उत्तर प्रदेश के दौरे पर रहेगा और राज्य की आर्थिक सामाजिक हालात का जायजा लेगा। अपनी रिपोर्ट तैयार करने के क्रम में आयोग सभी राज्यों का दौरा कर रहा है। रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पूर्व अभी उत्तर प्रदेश के अलावा गोवा और जम्मू कश्मीर का आयोग का दौरा बाकी है। उत्तर प्रदेश के अपने दौरे को महत्वपूर्ण बताते हुए 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एनके सिंह ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा 'भारत का आर्थिक सामाजिक विकास उत्तर प्रदेश के भविष्य से जुड़ा है।'

वित्त आयोग का वाराणसी दौरा

शनिवार को आयोग वाराणसी जाएगा और मौके पर जाकर प्रदेश की विभिन्न स्कीमों का जायजा लेगा। इसके बाद आयोग लखनऊ जाएगा जहां मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ आयोग के चेयरमैन की मुलाकात होगी।

वित्तीय मानकों पर यूपी की स्थिति काफी बेहतर

सिंह का मानना है कि वित्तीय मानकों पर प्रदेश की स्थिति अब काफी बेहतर है। प्रदेश सरकार राजकोषीय घाटे को एफआरबीएम की सीमा 3 फीसद से नीचे रखने में कामयाब रही है। राजस्व संग्रह में भी स्थिति ठीक है। हालांकि आयोग का मानना है कि राज्य को जीडीपी के अनुपात में कर्ज की स्थिति पर ध्यान देना होगा।

सामाजिक विकास पर यूपी सभी मापदंडों पर बहुत पीछे

राज्य में सामाजिक विकास के संकेतकों को लेकर आयोग बेहद चिंतित है। सिंह का मानना है कि राज्य सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती इसी क्षेत्र में है। सामाजिक विकास के तकरीबन सभी मापदंडों पर उत्तर प्रदेश अन्य राज्यों के मुकाबले बहुत पीछे है। सिंह ने कहा खासतौर पर साक्षरता दर, नवजात मृत्यु दर, एनीमिया, बच्चों अस्पतालों में प्रसव की दर बेहद कम है। इन सभी क्षेत्रों में बहुत प्रगति करने की जरूरत है।

जन्म दर पर नियंत्रण

हालांकि सिंह ने माना कि संतोषजनक बात यह है कि जन्म दर पर प्रदेश में नियंत्रण रखा गया है। यह 2.4 पर आ गया है। जबकि पूरे देश का 2.8 है। लेकिन सतत विकास के जो निर्धारित लक्ष्य हैं उनसे अभी भी काफी नीचे है। एसडीजी इंडेक्स में उत्तर प्रदेश का रैंक 29 है जो उचित नहीं है।

राज्य के पास वित्तीय क्षमता उपलब्ध है। कर्ज पर नियंत्रण और फंड का सही इस्तेमाल से सामाजिक विकास के संकेतकों में सुधार किया जा सकता है। इसके लिए आउटकम आधारित बजट की पद्धति को अपनाना होगा।

यूपी में बेरोजगारी दर को लेकर वित्त आयोग चिंतित

उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी की समस्या को लेकर भी आयोग ने चिंता जतायी है। सिंह ने बताया कि 5वीं रोजगार रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी की दर बेहद ऊंची 7.4 फीसद पर है। जबकि पूरे देश में यह पांच फीसद है। आयोग प्रदेश के दौरे में यह जानने की कोशिश करेगा कि प्रदेश सरकार इस दिशा में क्या कदम उठा रही है।

पावर सेक्टर में भी यूपी के समक्ष बड़ी चुनौती

सिंह के मुताबिक पावर सेक्टर में भी राज्य के समक्ष बड़ी चुनौती है। उदय योजना लागू करने के बावजूद इसके ट्रांसमीशन में होने वाला नुकसान बहुत अधिक है। यह 2017-18 में 18000 करोड़ रुपये के पार चला गया है। जबकि 2012-13 में यह 11800 करोड़ रुपये था। सिंह का मानना है कि मूल समस्या इसमें क्रॉस सब्सिडी की है। मीटरिंग होने के बावजूद बिना मीटर वाली बिजली की खपत बहुत अधिक है।

सिंह के मुताबिक पावर सेक्टर में उदय के बाद निश्चित रूप से सुधारों की जरूरत है क्योंकि ट्रांसमिशन लॉस को कम करना होगा। यह सही है कृषि क्षेत्र को मुफ्त बिजली नहीं मिल रही। लेकिन सब्सिडी का इस्तेमाल कौन कर रहा है अभी यह पता नहीं। 'मेरा मानना है कि पावर सब्सिडी देने के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर का इस्तेमाल करना चाहिए।'


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