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चुनावी ट्रेंड बदलने वाले सियासी सरदार बने नीतीश कुमार, बनाए ये सब रिकार्ड

साढ़े चार दशक में हिंदी पट्टी के राज्यों में लगातार चौथी जीत का बनाया रिकार्ड। चुनावी जनादेश के इस ट्रेंड के बीच मौजूदा दौर में सबसे लंबे समय से सत्ता में बने रहने का रिकार्ड गुजरात की भाजपा सरकार के नाम है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 06:12 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 06:12 PM (IST)
चुनावी ट्रेंड बदलने वाले सियासी सरदार बने नीतीश कुमार, बनाए ये सब रिकार्ड
चुनावी ट्रेंड बदलने वाले सियासी सरदार बने नीतीश कुमार।

नई दिल्ली, संजय मिश्र। बिहार चुनाव में कांटे के मुकाबले में मिली शानदार जीत के साथ ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक साथ कई नए राजनीतिक रिकार्ड बना दिए हैं। इस जीत के दम पर फिर सूबे के सियासी सरदार बनने जा रहे नीतीश ने हिंदी पट्टी के राज्यों के बीते साढ़े चार दशक के चुनावी इतिहास की परिपाटी को भी पलट दिया है। 1977 के बाद हिंदी भाषी राज्यों में लगातार चौथी पारी का जनादेश हासिल करने वाले नीतीश पहले मुख्यमंत्री बन गए हैं। इतना ही नहीं बराबरी के गठबंधन में लगातार चार चुनावी जीत के बाद मुख्यमंत्री बनने का रिकार्ड भी अब नीतीश के नाम दर्ज हो जाएगा। उनके पहले हिंदी पट्टी में यह रिकार्ड राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडि़या के नाम था।

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चुनावी जनादेश के इस ट्रेंड के बीच मौजूदा दौर में सबसे लंबे समय से सत्ता में बने रहने का रिकार्ड गुजरात की भाजपा सरकार के नाम है। लगातार छह जनादेश के साथ भाजपा गुजरात में 22 साल से सत्ता में कायम है। ओडिशा में बीजद सन 2000 से लगातार पांच चुनाव जीतकर सत्ता पर काबिज है। वर्तमान में सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकार्ड भी नवीन पटनायक के नाम ही है। बतौर मुख्यमंत्री वह 21 साल पूरे कर चुके हैं।

समकालीन राजनीति में नीतीश किसी गठबंधन सरकार की लगातार चौथी बार कमान संभालने वाले पहले मुख्यमंत्री होंगे। तकनीकी रूप से यह रिकार्ड बंगाल में वाममोर्चा के मुख्यमंत्री रहे ज्योति बसु के नाम भले हो मगर इस गठबंधन में माकपा का बोलबाला था। बिहार के राजग गठबंधन में पिछले चुनावों में भाजपा और जदयू लगभग बराबर के साझीदार रहे हैं। इस चुनाव में भी दोनों पार्टियों ने बराबर सीटों पर चुनाव लड़ा।

नीतीश के साथ बिहार ने भी इस चुनाव में हिंदी पट्टी के राज्यों के लगातार तीन बार से अधिक किसी दल या शख्सियत को सूबे की सत्ता नहीं सौंपने के बीते 45 साल के ट्रेंड को बदल दिया है। चौथे जनादेश के जरिये नीतीश ने बिहार में लालू-राबड़ी की लगातार तीन चुनावी जीत को पीछे छोड़ दिया है। सबसे बड़े हिंदी राज्य उत्तर प्रदेश में 1989 के बाद से अब तक किसी राजनीतिक दल को लगातार दूसरा जनादेश नहीं मिला है। राजस्थान और हिमाचल प्रदेश का चुनावी इतिहास भी कुछ ऐसा ही रहा है। वर्ष 2000 में राज्य बने उत्तराखंड में भी कोई पार्टी लगातार दूसरी सियासी जीत हासिल नहीं कर पाई है। कुछ यही कहानी झारखंड की भी रही है। दिल्ली में शीला दीक्षित की कांग्रेस सरकार ने 1998 से लगातार तीन जनादेश हासिल किए थे तो अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को लगातार दो जनादेश मिल चुके हैं। वैसे सिक्किम में पवन कुमार चामलिंग 1994 से 2019 तक सबसे अधिक समय तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकार्ड बना चुके हैं।


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