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निशिकांत दुबे ने शशि थरूर से जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा पर समिति की बैठक रद करने की अपील

निशिकांत दुबे ने सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर से जम्मू-कश्मीर समेत अन्य राज्यों में इंटरनेट सेवा के बाधित होने को लेकर बैठक रद करने को कहा है।

By TaniskEdited By: Published: Thu, 27 Aug 2020 08:56 AM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2020 08:56 AM (IST)
निशिकांत दुबे ने शशि थरूर से जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा पर समिति की बैठक रद करने की अपील
निशिकांत दुबे ने शशि थरूर से जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा पर समिति की बैठक रद करने की अपील

नई दिल्ली, प्रेट्र। भाजपा सांसद और सूचना व तकनीक की स्थाई संसदीय समिति के सदस्य निशिकांत दुबे ने समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस नेता शशि थरूर से जम्मू-कश्मीर समेत विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इंटरनेट सेवाओं के बाधित होने को लेकर बैठक को रद करने को कहा है। निशिकांत दुबे का यह पत्र लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के सभी संसदीय समितियों के अध्यक्षों को एक एडवाइजरी जारी करने के एक दिन बाद आया है।

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बिरला ने इस पत्र में कहा था कि समितियों की बैठक में नियमों और तौर-तरीकों का पालन पूरी सख्ती से हो। भाजपा और विपक्षी दलों के बीच जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा बाधित होने और फेसबुक को अगली बैठक से पहले समन भेजने पर हुई तीखी बहस के बीच बिरला ने यह एडवाइजरी जारी की है। मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सभी समितियों के अध्यक्षों को पत्र लिखकर कहा कि संसदीय समितियों की कार्यवाही को 'मिनी संसद' समझा जाए। एक तरफ तो यह सरकार और संसद के बीच की अहम कड़ी है। दूसरी तरफ, संसद और जनता के बीच का पुल है। उन्होंने सख्ती से नियमों के पालन पर बल देते हुए निर्देश 55 और नियम 270 का उल्लेख किया।

इसी के बाद, निशिकांत दुबे ने शशि थरूर को बुधवार को लिखे पत्र में कहा कि चूंकि यह मुद्दा मौजूदा समय में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है, इसलिए इस बारे में और कोई विवेचना ना सिर्फ नियमों का उल्लंघन होगी बल्कि लोकसभा अध्यक्ष की हाल ही एडवाइजरी के भी विरुद्ध होगी। इसलिए वह अपील करते हैं कि सूचना तकनीक पर इस मकसद से बुलाई गई पूर्वकथित बैठक को तत्काल निरस्त कर दिया जाए।

ध्यान रहे कि इस मुद्दे को लेकर भाजपा सांसद लगातार थरूर की समिति के अध्यक्ष पद से बर्खास्तगी की मांग कर रहे हैं। शशि थरूर पर तब से प्रहार जारी हैं जब उन्होंने वॉल स्ट्रीट जनरल की एक रिपोर्ट के बाद फेसबुक को समन भेजा। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इस सोशल मीडिया नेटवर्क ने दुर्भावनापूर्ण बयान देने वाले कुछ सत्तारूढ़ नेताओं पर नियमों के अनुरूप कार्रवाई करने से इन्कार कर दिया है।


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