Ayodhya Case: ट्रस्ट में अपनी भूमिका जानने के लिए पीएम मोदी से मिलेगा निर्मोही अखाड़ा
निर्मोही अखाड़ा के प्रवक्ता कार्तिक चोपड़ा कहते हैं कि बैठक में फैसला लिया गया कि नये ट्रस्ट में अपनी स्पष्ट भूमिका जानने के लिए प्रधानमंत्री से मिला जाएगा।
माला दीक्षित, नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नया ट्रस्ट गठित कर मंदिर निर्माण के लिए सारी जमीन उसे सौंपने का आदेश दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद नये ट्रस्ट के गठन को लेकर चर्चा तेज है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में सरकार को साफ निर्देश दिया गया है कि गठित किये जाने वाले नये ट्रस्ट में वह निर्मोही अखाड़ा को शामिल करेगी। ऐसे में निर्मोही अखाड़ा ने ट्रस्ट में अपनी भूमिका जानने के लिए प्रधानमंत्री से मिलने का फैसला किया है।
निर्मोही अखाड़ा ने रविवार को अयोध्या में बैठक की और इस बैठक में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विचार किया गया। बैठक में सरपंच रामचंद्रा आचार्य सहित सभी 13 पंचों ने भाग लिया। निर्मोही अखाड़ा के प्रवक्ता कार्तिक चोपड़ा कहते हैं कि बैठक में फैसला लिया गया कि नये ट्रस्ट में अपनी स्पष्ट भूमिका जानने के लिए प्रधानमंत्री से मिला जाएगा। पंच जानना चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ट्रस्ट में उनकी क्या भूमिका तय कर रही है। इसके लिए इसी सप्ताह निर्मोही अखाड़ा प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगेगा।
निर्मोही अखाड़ा फैसले से है खुश
चोपड़ा का कहना है कि वैसे तो निर्मोही अखाड़ा फैसले से खुश है क्योंकि उसने 150 साल तक जिस मंदिर के निर्माण के लिए लड़ाई लड़ी उसके बनने का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन फिर भी अखाड़ा के संत इस बात से निराश हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने आखिर किस आधार उनके शैबियत (सेवापूजा) के अधिकार को खारिज कर दिया जबकि कोर्ट फैसले में निर्मोही अखाड़ा की उस जगह पर ऐतिहासिक मौजूदगी मान रहा है।
अखाड़ा सरपंच राजा रामचंद्रा आचार्य का कहना है कि फैसले का अध्ययन किया जा रहा है प्रधानमंत्री से मिलने बाद और ट्रस्ट में भूमिका का पता चलने के बाद ही निर्मोही अखाड़ा इस मामले में आगे की रणनीति तय करेगा।
संत समाज में विचार विमर्श है तेज
जब से फैसला आया है ट्रस्ट में शामिल होने और उसमें भूमिका को लेकर संत समाज में चर्चा और विचार विमर्श तेज है। कई ओर से सरकार को सुझाव और विचार दिये जा रहे हैं। लेकिन निर्मोही अखाड़ा के बारे में फैसले में ही स्थिति स्पष्ट कर दी गई है। निर्मोही अखाड़ा का हमेशा से राम जन्मभूमि में सेवा व पूजा प्रबंधन का दावा रहा है। उसने सुप्रीम कोर्ट मे भी इसी दावे और अधिकार का मुकदमा दाखिल किया था
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा का मुकदमा समय बाधित बता कर खारिज कर दिया है। मुकदमा खारिज किये जाने के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा की राम जन्मभूमि पर ऐतिहासिक मौजूदगी को देखते हुए संविधान में प्राप्त विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सरकार को निर्देश दिया है कि वह नये बनने वाले ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़ा को भी शामिल करे।