Move to Jagran APP

अयोध्या भूमि अधिग्रहण कानून को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती

याचिका में कहा गया है कि संसद को यह जमीन अधिग्रहित करने का अधिकार नहीं है। याचिका स्वयं को रामभक्त और सनातन धर्म का अनुयायी बताने वाले सात लोगों ने दाखिल की है।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 04 Feb 2019 03:39 PM (IST)Updated: Mon, 04 Feb 2019 10:08 PM (IST)
अयोध्या भूमि अधिग्रहण कानून को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती
अयोध्या भूमि अधिग्रहण कानून को सुप्रीम कोर्ट मे चुनौती

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में एक नयी याचिका दाखिल हुई है जिसमें अयोध्या भूमि अधिग्रहण कानून 1993 को नये सिरे से चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि संसद को यह जमीन अधिग्रहित करने का अधिकार नहीं है। याचिका स्वयं को रामभक्त और सनातन धर्म का अनुयायी बताने वाले सात लोगों ने दाखिल की है। उधर दूसरी ओर अखिल भारत हिन्दू महासभा ने भी सोमवार को अर्जी दाखिल कर विवादित जमीन को छोड़कर बाकी अधिगृहित जमीन पर यथास्थिति कायम रखने का आदेश समाप्त करने की मांग की है।

loksabha election banner

केंद्र सरकार ने 1993 में कानून के जरिये अयोध्या में विवादित भूमि सहित कुल 67.703 एकड़ भूमि अधिग्रहित की थी। सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 1994 में इस्माइल फारुखी केस में इस अधिग्रहण को वैध ठहराया था। हालांकि कोर्ट के आदेश से फिलहाल वहां यथास्थिति कायम है। कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट मे अर्जी दाखिल कर अधिग्रहित भूमि में से विवादित भूमि को छोड़ कर बाकी भूमि मूल भूस्वामियों को वापस करने की इजाजत मांगी थी।

सोमवार को वकील विष्णु शंकर जैन के जरिये दाखिल की गई नयी रिट याचिका में मांग की गई है कि अयोध्या भूमि अधिग्रहण कानून 1993 को निरस्त किया जाए क्योंकि संसद को राज्य की जमीन के अधिग्रहण के बारे में यह कानून पास करने का अधिकार नहीं है। यह भी कहा गया है कि यह कानून हिन्दुओं को अनुच्छेद 25 में प्राप्त धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

मांग की गई है कि कोर्ट केंद्र व उत्तर प्रदेश सरकार को आदेश दे कि वह अधिगृहित जमीन पर स्थित मंदिरों विशेषकर राम जन्मभूमि न्यास, मानस भवन, संकट मोचन मंदिर, राम जन्मस्थान मंदिर, जानकी महल और कथा मंडप में स्थिति मंदिरों में पूजा दर्शन व रीतिरिवाज करने से न रोके। याचिका मे केन्द्र के भूमि अधिग्रहण कानून को चुनौती देते हुए कहा गया है कि अयोध्या उत्तर प्रदेश में स्थिति है और उसकी जमीन उत्तर प्रदेश सरकार की संपत्ति मे आती है और केन्द्र का उस भूमि पर कोई अधिकार नहीं है।

संविधान में तीर्थस्थल के बारे में कानून बनाने का राज्य सरकार को विशेष अधिकार दिया गया है। सिर्फ संसद द्वारा कानून के जरिए राष्ट्रीय महत्व के घोषित किये गये स्थलों को छोड़कर ऐतिहासिक स्मारकों के बारे मे कानून बनाने का राज्य सरकार को विशेष अधिकार है। कहा गया है कि अयोध्या स्थिति संपत्ति को राष्ट्रीय महत्व में संसद द्वारा कानून बना कर ऐतिहासिक या प्राचीन स्मारक नहीं घोषित किया गया है। ऐसे में उसके बारे मे कानून बनाने का सिर्फ राज्य सरकार को अधिकार है।

अयोध्या राम जन्मभूमि मामला

-सात लोगों ने रिट याचिका दाखिल कर कहा संसद को अयोध्या की जमीन अधिग्रहण का कानून पास करने का अधिकार नहीं।

-कहा अधिग्रहित जमीन पर स्थिति मंदिरों में पूजा दर्शन में दखल देने से केन्द्र और राज्य सरकार को रोका जाए- दूसरी ओर अखिल भारत हिन्दू महासभा ने सुप्रीम कोर्ट में एक नयी अर्जी दाखिल की।

-कहा विवादित भूमि छोड़कर बाकी अधिग्रहित जमीन से हटाया जाए यथास्थिति कायम रखने का आदेश।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.