भारत-सऊदी अरब के बीच सुरक्षा संबंधों की नई शुरुआत, मोदी की रियाद यात्रा के दौरान हुए 12 समझौते
सऊदी अरब और भारत के बीच किया गया सबसे अहम समझौता रणनीतिक साझेदारी परिषद के गठन से संबंधित है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विगत में पाकिस्तान के साथ अपने रक्षा संबंधों की वजह से भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी प्रगाढ़ करने से परहेज करने वाला सऊदी अरब ने अपनी स्पष्ट राय बना ली है। सउदी अरब ने भारत को ना सिर्फ एक मजबूत रणनीतिक साझीदार के तौर पर चिन्हित किया है बल्कि उसे भविष्य में रक्षा उपकरणों के आपूर्तिकर्ता के तौर पर भी देख रहा है।
भारत-सऊदी अरब के बीच 12 समझौते
दोनों देशों के बीच बढ़ते सुरक्षा सहयोग की गंभीरता इस बात से समझी जा सकती है कि पीएम नरेंद्र मोदी के रियाद दौरे के दौरान भारत व सउदी अरब के बीच हुए 12 समझौतों में से तीन सुरक्षा से जुड़े हुए हैं।
तीन अहम समझौते
सऊदी अरब और भारत के बीच किया गया सबसे अहम समझौता रणनीतिक साझेदारी परिषद के गठन से संबंधित है। जबकि दूसरा अहम समझौता सुरक्षा सहयोग से जुड़ा है। तीसरा समझौता दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच किया गया है जो इनके बीच हथियारों की खरीद-बिक्री व हथियारों के विकास व शोध के काम से जुड़े सहयोग को स्थापित करेंगे।
रणनीतिक साझेदारी परिषद का गठन
जानकारों की मानें तो सऊदी अरब का पाकिस्तान के साथ वर्ष 1982 का सुरक्षा सहयोग समझौता भी इतना व्यापक नहीं है। खासतौर पर रणनीतिक साझेदारी परिषद के गठन को लेकर पाकिस्तान की मीडिया व राजनीति में काफी हड़कंप मचा हुआ है। सऊदी अरब ने इसके पहले सिर्फ ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के साथ किया हुआ है। भारत चौथा देश है जबकि आगे जापान, कोरिया, अमेरिका व रूस के साथ ऐसा ही समझौता करने की घोषणा की गई है।
परिषद की अध्यक्षता भारत के पीएम और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस करेंगे
इसकी अहमियत इस बात से भी समझी जा सकती है कि परिषद की अध्यक्षता भारत के पीएम नरेंद्र मोदी और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान करेंगे। इसमें दोनो देशों के विदेश व रक्षा मंत्री सदस्य होंगे। इसके तहत कई उपसमितियां काम करेंगी जो समूचे रणनीतिक रिश्तों को आगे बढ़ाने पर सलाह देने का काम करेगी।
सउदी अरब और भारत के रिश्तों में आयाम बदलने लगे हैं
विदेश मंत्रालय के उच्च स्तरीय अधिकारियों के मुताबिक सउदी अरब और भारत के रिश्तों में आयाम पूरी तरह से बदलने लगे हैं। पहले दोनों देशों के बीच सिर्फ कच्चे तेल की खरीद बिक्री तक सीमित थी जिसमें भारत की स्थिति कमोबेश एक याचक जैसी होती थी, लेकिन हालात बदलने लगे हैं और अगले चार पांच वर्षो में ऊर्जा क्षेत्र के परस्पर हित एक दूसरे से जुड़े होंगे।
भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरी में हिस्सेदारी
सऊदी अरब की कंपनी भारत की सबसे बड़ी रिफाइनरी में हिस्सेदारी होगी और साथ ही यहां के पेट्रोलियम रिटेल में भी उसकी हिस्सेदारी होगी। इसके अलावा भारत के पेट्रोलियम रणनीतिक भंडार से भी सऊदी अरब का सीधा हित जुड़ा होगा। इसके लिए भी एक समझौता मंगलवार को दोनों देशों के बीच किया गया है।