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कश्मीर में महसूस हो रही है राजनीतिक राज्यपाल की जरूरत! जल्द होगा एलान

वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व बहुत लंबे समय तक राज्यपाल शासन के पक्ष में नहीं है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 21 Jun 2018 08:12 PM (IST)Updated: Fri, 22 Jun 2018 07:03 AM (IST)
कश्मीर में महसूस हो रही है राजनीतिक राज्यपाल की जरूरत! जल्द होगा एलान
कश्मीर में महसूस हो रही है राजनीतिक राज्यपाल की जरूरत! जल्द होगा एलान

आशुतोष झा, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर फिर से राज्यपाल शासन में है तो यह चर्चा भी तेज हो गई है कि अगला राज्यपाल किसी फौजी को बनाया जाए, किसी प्रशासक को या लंबे अरसे बाद किसी राजनीतिज्ञ को कमान देकर स्थिति संभालने की कोशिश की जाए। कोई भी घोषणा अमरनाथ यात्रा की समाप्ति के बाद ही होगी क्योंकि तब तक वर्तमान राज्यपाल एनएन वोहरा को ही बनाए रखने का विचार है, लेकिन उसके बाद संभव है कि दिल को जीतने के लिए किसी राजनीतिज्ञ पर भरोसा किया जाए।

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पिछले पैंतीस सालों में सेना या प्रशासक पृष्ठभूमि से बने हैं राज्यपाल

जम्मू-कश्मीर राजनीतिक रूप से बहुत अस्थिर रहा है। अलगाववाद की समर्थक विचारधारा, मध्यम मार्ग और राष्ट्रवादी विचारधारा के टकराव में जनता किसी भी एक पार्टी पर भरोसा नहीं जता पा रही है। जिस तरह भाजपा और पीडीपी का अलगाव हुआ उसके बाद घाटी में स्थिति थोड़ी और खराब हो इससे इनकार करना मुश्किल है। प्रदेश के तीनों क्षेत्र एक ही मुद्दे पर अलग-अलग भावना जताने से नहीं चूकते हैं। ऐसे में कश्मीर की हवा बदलने के लिए केवल सख्ती ही नहीं सटीक राज्यपाल की भी जरूरत है। सूत्रों की माने तो नए राज्यपाल की पृष्ठभूमि को लेकर थोड़ा मतभेद है।

कुछ लोगों का मानना है कि जब सेना को आपरेशन आलआउट में पूरी ताकत से जुटने की छूट दी जा रही है तो राज्यपाल भी किसी सैनिक को ही बनाना चाहिए। वह सेना की जरूरतों को ज्यादा अच्छी तरह समझ पाएंगे, लेकिन बड़ा मत इसका उल्टा है। दरअसल जो जम्मू-कश्मीर का जो हाल है उसमें मंझे हुए राजनीतिज्ञ की है जो सेना की जरूरत को भी समझें और नागरिकों व नेताओं की उलझनों को सुलझाने की कोशिश भी कर सकें।

गौरतलब है कि पिछले पचास साल के इतिहास में सिर्फ एक दो राजनीतिज्ञों ने प्रदेश में राज्यपाल की कमान संभाली है। वह भी शुरूआत में। खासकर 1984 के बाद जब जगमोहन पहली बार राज्यपाल बने थे तब से अब तक या तो सैनिक पृष्ठभूमि या फिर प्रशासक की पृष्ठभूमि वालों को ही राज्यपाल बनाया गया। स्थिति थोड़े बहुत उतार-चढ़ाव के साथ एक सी बनी रही है।

ध्यान रहे कि वर्तमान राजनीतिक नेतृत्व बहुत लंबे समय तक राज्यपाल शासन के पक्ष में नहीं है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से दिल जीतने की बात कही गई है। इसीलिए पुराने रुख में थोड़ा बदलाव करते हुए हुर्रियत से भी बातचीत की तैयारी होने लगी थी।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी हाल के दौरे में कहा कि वह 'लाइक माइंडेड ही नहीं राइट माइंडेड' लोगों के साथ बात करने के लिए आए हैं। कांग्रेस समेत प्रदेश दूसरे दलों की ओर से भी स्थिति जल्द से जल्द सामान्य कर चुनाव करवाने की बात कही जा रही है। ऐसी स्थिति में ऐसे व्यक्ति की तलाश हो सकती है जो संवेदनशीलता के साथ राजनीतिक माहौल तैयार कर सकें। 


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