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इस बार देश के अंदरूनी मामलों पर होगा विशेष ध्यान, जरूरी अंतरराष्ट्रीय दौरे ही करेंगे पीएम

मोदी की अगुआई वाली नई सरकार के फोकस में होंगे अंदरुनी मुद्दे। बहुत जरूरी होने पर ही अंतरराष्ट्रीय दौरों पर जाएंगे पीएम मोदी।

By Amit SinghEdited By: Published: Sat, 25 May 2019 09:24 PM (IST)Updated: Sat, 25 May 2019 09:25 PM (IST)
इस बार देश के अंदरूनी मामलों पर होगा विशेष ध्यान, जरूरी अंतरराष्ट्रीय दौरे ही करेंगे पीएम
इस बार देश के अंदरूनी मामलों पर होगा विशेष ध्यान, जरूरी अंतरराष्ट्रीय दौरे ही करेंगे पीएम

नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बनने वाली सरकार के स्वरूप बनने में तो अभी कुछ दिनों का वक्त लगेगा, लेकिन सरकार के काम काज के तौर तरीके को लेकर कुछ बातें सामने आने लगी है। विभिन्न मंत्रालयों के नौकरशाहों को अभी तक जो संदेश दिए गए हैं, उससे यह साफ है कि पीएम मोदी के अगले कार्यकाल में देश के भीतर के मामलों पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।

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नई सरकार अंदरूनी मामलों पर फोकस करेगी। ऐसे में इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अंतरराष्ट्रीय दौरे भी पहले के मुकाबले कम होंगे। जिसे देश के लिए बेहद जरुरी माना जाएगा, पीएम उन्हीं देशों की यात्रा करेंगे और इस बात का खास तौर पर ख्याल रखा जाएगा उस दौरे का भी भरपूर इस्तेमाल हो। वैसे पीएम पहले भी विदेशी दौरों में इस बात का ख्याल रखते रहे हैं।

नई सरकार के आगामी एजेंडे को तैयार करने में जुटे कुछ मंत्रालयों के अधिकारियों से हुई बातचीत में यह बात भी सामने आ रही है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पीएम मोदी को देश की जो छवि बनानी थी वह अपने पहले दौर मे बना चुके हैं। दोबारा मजबूत बहुमत से सत्ता में आने से विदेशों में उनकी छवि और मजबूत हो गई है। ऐसे में उनको अब भारत के नए नेतृत्व करने वाले राजनेता के तौर पर कोशिश नहीं करनी है।

भारत के लिए बेहद मायने रखने वाले अंतरराष्ट्रीय नेताओं (चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, जापान के पीएम शिंजो आबे, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन आदि) के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध पहले ही विकसित हो चुके हैं। यह एक वजह है कि बेहद जरुरी होने पर ही विदेशी दौरे आयोजित किये जाएंगे। हां, बहुराष्ट्रीय सम्मेलनों में शिरकत करने में कोई कटौती नही होगी। इसके पीछे वजह यह है कि इन सम्मेलनों में एक साथ कई देशों के प्रमुखों से मुलाकात हो जाती है।

अंदरुनी नीतियों को लेकर बेहद चौकस रणनीति की शुरुआत पिछले कार्यकाल के दौरान देश भर में शुरु की गई तकरीबन 250 ढांचागत परियोजनाओं की सख्त निगरानी से होगी। इनमें से कई अहम परियोजनाओं को वर्ष 2022 (आजादाी की 75वीं वर्षगांठ) तक पूरा करने का लक्ष्य रखा जाएगा। इसी तरह से एक बड़ा बदलाव गरीबी उन्मूलन से जुड़ी तमाम परियोजनाओं मे दिखेगा। गरीबी उन्मूलन करने के पीछे नई सरकार का मकसद गरीब लोगों को महज गरीबी रेखा के उपर ले जाने की नहीं होगी बल्कि इन परिवारों को आधुनिक जीवन की कई सुविधाओं को उपलब्ध कराना भी होगा।

इसके लिए मौजूदा सरकार के कार्यकाल में शुरु की गई हर घर बिजली देने की सौभाग्य और हर गरीब के घर में एलपीजी कनेक्शन देने की उज्जवला योजना को आधार बनाया जाएगा। मसलन, जिन घरों में बिजली पहुंचाई जा चुकी है उन्हें बिजली से चलने वाले कुछ उपभोक्ता सामान सरकार की स्कीमों के तहत दी जा सकती है। यह कुछ वैसे ही होंगी जैसे पहले एलईडी बल्ब लगाने की स्कीम लागू की गई थी। उज्ज्वला योजना के बारे में भी कुछ बदलाव होंगे ताकि कनेक्शन लेने वाले ग्राहक खाना पकाने के लिए पूरी तरह से इसी के भरोसे रहे।

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