... तो इंदिरा गांधी ने वाजपेयी को देखते ही रुकवा दिया था अपना काफिला
टल जी के जन्मदिन पर मैं उन्हें पगड़ी बांधने के लिए कोठी पर गया तो किसी ने मुझे रोका, लेकिन अटल जी ने कहा कि धर्मदेव नहीं मानेगा, इसे पगड़ी बांधने दो।
नई दिल्ली (भगवान झा)। दिल्ली देहात से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का बड़ा गहरा नाता रहा है। जनसंघ की स्थापना के समय कार्यकर्ता के रूप में जुड़े पालम निवासी मास्टर हरिकृष्ण सोलंकी से उनके गहरे ताल्लुकात थे। उनके घर में वाजपेयी का उनका अक्सर आना-जाना होता था। यहां तक कि दिल्ली में अगर कहीं वाजपेयी को जाना होता था तो मास्टर हरिकृष्ण ही उनके लिए गाड़ी का इंतजाम करते थे और अपने बेटे धर्मदेव सोलंकी को उनके साथ भेजते थे।
पांच बार विधायक रहे धर्मदेव सोलंकी ने वाजपेयी से जुड़ी यादों के बारे में बयां करते हुए कहा कि वाजपेयी के कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक बार तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का काफिला नजफगढ़ रोड से एक जनसभा स्थल की ओर जा रहा था। इसी दौरान वाजपेयी भी नजफगढ़ अपनी एक सभा को संबोधित करने के लिए जा रहे थे। मैं खुद वाजपेयी के साथ था। जैसे ही इंदिरा गांधी की नजर गाड़ी में जा रहे वाजपेयी पर पड़ी, उन्होंने अपने काफिले को रुकवाया और वाजपेयी ने भी अपनी गाड़ी का शीशा नीचे कर इंदिरा गांधी का अभिवादन किया। इसके बाद दोनों का काफिला आगे बढ़ गया। यह बात दर्शाता है कि वाजपेयी का कद सभी की नजरों में बड़ा था।
धर्मदेव सोलंकी ने कहा कि मैं अक्सर उनके साथ देहात की सभाओं में जाता था। वहां सम्मान के तौर पर उन्हें हर बार पगड़ी बांधता था। अटल जी के जन्मदिन पर मैं उन्हें पगड़ी बांधने के लिए कोठी पर गया तो किसी ने मुझे रोका, लेकिन अटल जी ने कहा कि धर्मदेव नहीं मानेगा, इसे पगड़ी बांधने दो।
... जब अटल जी ने कहा-अम्मा, मैंने शादी नहीं की है
दूसरे संस्मरण के बारे में धर्मदेव ने बताया कि वर्ष 1966 में मेरी बहन की शादी थी। मेरे पिताजी हरिकृष्ण अटल जी को लेकर मेरी दादी के पास गए और बोले कि अटल बिहारी वाजपेयी आए हैं। मेरी दादी ने उनके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा कि तुम्हारा नाम काफी सुना था, लेकिन पहली बार देखा है। हरिकृष्ण एक-एक महीने घर नहीं आता है। इसके बच्चे काफी परेशान रहते हैं। तुम्हारे बच्चे भी परेशान रहते होंगे। इस पर अटल जी ने मुस्कुराते हुए कहा कि अम्मा, मैंने शादी नहीं की है। इसके बाद वहां ठहाके गूंजने लगे।
... जाओ, चुनाव की तैयारी करो
धर्मदेव ने बताया कि वर्ष 1993 में दिल्ली में चुनाव होने वाले थे। उस दौरान पालम विधानसभा सीट से किसी अन्य व्यक्ति को टिकट दे दिया गया था। मैं वाजपेयी जी की कोठी पर गया और यह बात बताई। वाजपेयी जी सिर्फ मुस्कुराए और कहा कि जाओ चुनाव की तैयारी करो। इसके बाद संसदीय बोर्ड की बैठक में वाजपेयी गए। उन्हें दिल्ली की विभिन्न सीटों के बारे में जानकारी दी जाने लगी। कुछ देर बाद उन्होंने कहा कि पालम विधानसभा का क्या हाल है। इस पर उन्हें कहा गया कि लोकदल से आए एक नेता को टिकट दिया गया है। वे गुस्से में उठे और बैठक छोड़कर जाने लगे। उन्हें काफी मनाकर लाया गया, तब उन्होंने कहा कि जब तक पालम विधानसभा सीट से धर्मदेव सोलंकी को टिकट नहीं दिया जाएगा, तब तक वह आगे बात नहीं करेंगे। अंत में उनकी बात मानी गई।