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Video : संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले- बीते 75 वर्षों में​ जितना आगे बढ़ना चाहिए था... हम उतना आगे नहीं बढ़े

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि बीते 75 वर्षों में​ जितना आगे बढ़ना चाहिए था... हम उतना आगे नहीं बढ़े हैं। देश को आगे ले जाने के रास्ते पर चलेंगे तो आगे बढ़ेंगे...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 21 Nov 2021 05:44 PM (IST)Updated: Mon, 22 Nov 2021 07:20 AM (IST)
Video : संघ प्रमुख मोहन भागवत बोले- बीते 75 वर्षों में​ जितना आगे बढ़ना चाहिए था... हम उतना आगे नहीं बढ़े
मोहन भागवत का कहना है कि 75 वर्षों में​ जितना आगे बढ़ना चाहिए था... हम उतना आगे नहीं बढ़े हैं।

नई दिल्‍ली, जेएनएन/एजेंसियां। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि बीते 75 वर्षों में​ जितना आगे बढ़ना चाहिए था... हम उतना आगे नहीं बढ़े हैं। देश को आगे ले जाने के रास्ते पर चलेंगे तो आगे बढ़ेंगे... उस रास्ते पर नहीं चले इसलिए आगे नहीं बढ़े। संघ प्रमुख मोहन भागवत यहां संत ईश्वर सम्मान 2021 कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्‍होंने यह भी कहा कि दुनिया के सारे देश मिलाकर अब तक जितने महापुरुष हुए होंगे उतने हमारे देश में गत 200 वर्षों में हो गए। एक-एक का जीवन सर्वांगीण जीवन की राह उजागर करता है...

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संघ प्रमुख ने कहा कि अपना स्‍वार्थ छोड़कर लोगों की भलाई करने का काम हमेशा कठिन होता है। भारत में इस रास्‍ते को बताने वाले महापुरुषों की संख्‍या दुनिया में सबसे ज्‍यादा रही है। दुनिया के सारे देश मिलाकर अब तक जितने महापुरुष हुए होंगे उतने हमारे देश में गत 200 वर्षों में हो गए। एक-एक का जीवन सर्वांगीण जीवन की राह उजागर करता है लेकिन जब राह उजागर होती है तो उसके कांटे भी नजर आते हैं। ऐसे रास्‍तों पर चलने वाले लोग हमारे जैसे ही होते हैं। ये लोग किसी प्रकार की अपेक्षा नहीं रखते हैं...

भागवत (RSS chief Mohan Bhagwat) ने कहा कि भारत ने आदिकाल से पूरी दुनिया को सुसंस्कृत बनाने का काम किया। भारत की मंशा कभी किसी को जीतने की नहीं रही ना तो किसी को बदलने की रही। आजादी के बाद 75 वर्ष में जितना हमको आगे बढ़ना चाहिए था उतना नहीं बढ़ पाए। जिस दिशा में देश को आगे ले जाना चाहिए था हम उस दिशा में नहीं चले इसलिए नहीं बढ़ पाए लेकिन जब हम सहोदर भाव के साथ काम करेंगे तब देश का पूरा विकास हो जाएगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि देश की 130 करोड़ जनता अगर बंधुत्व की भावना के साथ सेवा कार्य में जुट जाए तो देश की तेज प्रगति का रास्ता खुल जाएगा जो काम पिछले 75 वर्षों में नहीं हो सका वह 10-15 वर्षों में ही हो जाएगा। सेवा कार्य के लिए लोगों का आह्वान करते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि आप इसे अपने आसपास से शुरू करें। अपने आसपास देखें कि कौन अभावों से ग्रस्त है, कौन जरूरतमंद है, उसकी मदद करें। यही सच्ची सेवा है। सेवा के लिए किसी धन, शक्ति या साम‌र्थ्य की आवश्यकता नहीं है, बल्कि मन में करुणा और संवेदना होगी तो सेवा की राह खुद-ब-खुद निकल आएगी।

विज्ञान भवन में रविवार को आयोजित संत ईश्वर सम्मान-2021 समारोह में भागवत ने देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी धुन में निस्वार्थ भाव से सेवा कार्यों में जुटीं 15 हस्तियों एवं संस्थाओं को संत ईश्वर फाउंडेशन की ओर से चार श्रेणियों में सम्मानित किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा भी मौजूद थे। राष्ट्रीय सेवा भारती के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम में सरसंघचालक ने बुजुर्गों द्वारा युवा पीढ़ी को लेकर जताई जा रहीं चिंताओं को सामने रखते हुए कहा कि अगर हमने अपना परिवार ठीक से संभाल लिया, उन्हें अपने आचरण से ऐसा वातावरण दिया कि वे संस्कारी बनें तो देश की कोई भी पीढ़ी कभी भटक नहीं सकती।

भागवत ने कहा कि वैसे आज की युवा पीढ़ी काफी समझदार है। वह अभावों में ही अपना रास्ता ढूंढ लेती है। वहीं अर्जुन मुंडा ने कहा कि आदिवासियों को मुख्य धारा में लाना जरूरी मुंडा ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाने के फैसले को अभूतपूर्व बताते हुए कहा कि जो उचित सम्मान आजादी के बाद अब तक नहीं मिला, वह मौजूदा केंद्र सरकार में मिला है। यह मौजूदा सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि झारखंड से लेकर देश के विभिन्न राज्यों में रहने वाले आदिवासियों को जब तक मुख्य धारा में नहीं लाया जाता, तब तक देश का सर्वांगीण विकास असंभव है।

बीते शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख डा. मोहन भागवत ने छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले के मदकूद्वीप में आयोजित घोष शिविर को संबोधित किया था। अपने संबोधन में संघ प्रमुख ने बिना नाम लिए मिशनरियों पर निशाना साधा था। उन्‍होंने कहा था कि हमें किसी का मतांतरण नहीं करवाना है बल्कि जीने का तरीका सिखाना है। ऐसी सीख सारी दुनिया को देने के लिए हमारा जन्म भारत भूमि में हुआ है। भागवत ने कहा था कि हमारा पंथ किसी की पूजा पद्धति, प्रांत और भाषा बदले बिना लोगों को अच्छा मनुष्य बनाता है।


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