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स्कूली शिक्षा में योग की वकालत करने वाले पहले प्रधानमंत्री थे मोरारजी देसाई

Former Prime Minister Morarji Desai Birth Anniversary यह बात कम-जानी है कि देश के एक और गुजराती प्रधानमंत्री ने पहली बार स्कूली स्तर पर योग को सम्मिलित करने की बात कही थी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 29 Feb 2020 02:18 PM (IST)Updated: Sat, 29 Feb 2020 02:25 PM (IST)
स्कूली शिक्षा में योग की वकालत करने वाले पहले प्रधानमंत्री थे मोरारजी देसाई
स्कूली शिक्षा में योग की वकालत करने वाले पहले प्रधानमंत्री थे मोरारजी देसाई

नई दिल्ली, नलिन चौहान। Former Prime Minister Morarji Desai Birth Anniversary आज भारत में योग के प्रति नए सिरे से जन सामान्य की रुचि पैदा करने और उसे सामाजिक जीवन की मुख्यधारा में लाने के प्रयासों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका जग जाहिर है, पर यह बात कम-जानी है कि देश के एक और गुजराती प्रधानमंत्री ने पहली बार स्कूली स्तर पर योग को सम्मिलित करने की बात कही थी।

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8 अप्रैल, 1977 को नई दिल्ली में आयोजित एक योग प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह में तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने पहली बार स्कूलों में योग कक्षाएं शुरू करने का आह्वान किया था। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय पाठ्यचर्या कार्यढांचा (एनसीएफ), 2005 में योग को स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा का अभिन्न अंग बनाने की सिफारिश की गई थी। तब देश की राजधानी में इस योग प्रशिक्षण शिविर का आयोजन महाराष्ट्र के लोनावला जिले की कैवल्यधाम नामक संस्था और केंद्रीय शिक्षा और समाज कल्याण मंत्रालय ने संयुक्त रूप से किया था।

मोरारजी देसाई ने इस शिविर में शामिल हुए 150 प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा था कि योग हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण घटक है। सांस्कृतिक मूल्यों में अवमूल्यन के कारण वर्तमान में अनेक समस्याओं से जूझना पड़ रहा था, जिन्हें दूर किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि योग, स्वस्थ मन और शरीर के विकास का एक साधन था। सरकार अकेले अपने भरोसे योग का प्रचार नहीं कर सकती। सामाजिक कार्यकर्ताओं को समाज की सेवा की भावना के रूप में यह कार्य अपने हाथ में लेना होगा।

इस समारोह की अध्यक्षता करते हुए सांसद एचवी करियथ ने कैवल्यधाम के साथ अपने लंबे यादगार जुड़ाव की बात की जानकारी देते हुए आशा व्यक्त की थी कि योग का संदेश समुद्र पार की दुनिया के सभी हिस्सों में फैलेगा। तब कैवल्यधाम लोनावला में एक योग अस्पताल और एक वैज्ञानिक अनुसंधान विभाग चलता था। कैवल्यधाम ने उसी वर्ष (1977) के अंत में दिल्ली में एक और योग शिविर आयोजित करने की योजना भी बनाई थी।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1924 में स्वामी कुवलयानंद ने कैवल्यधाम स्वास्थ्य एवं योग अनुसंधान केंद्र की स्थापना की थी। वे देश की शिक्षा प्रणाली की मुख्यधारा में व्यवस्थित-पद्धतिगत योग प्रशिक्षण के समावेश के विचार की कल्पना करने वाले पहले व्यक्ति थे। वर्ष 1932 में, संयुक्त प्रांत की सरकार ने उन्हें योग शिक्षा में स्कूल शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए आमंत्रित किया गया था। इस आमंत्रण के परिणामस्वरूप उन्होंने वर्ष 1937 में एक महीने के भीतर शिक्षकों के अनेक समूहों को प्रशिक्षित किया था। उन्होंने वर्ष 1932 के आरंभ में शिक्षकों के प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में एक विषय के रूप में योग की शुरुआत की थी। भारतीय इतिहास में पहली बार स्वामी जी ने मुंबई स्टेट में शारीरिक शिक्षा के तहत योग अभ्यासों का एक क्रमबद्ध पाठ्यक्रम तैयार किया था। इस तरह, वर्ष 1949 के बाद से ही कैवल्यधाम, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से सहायता प्राप्त संस्थान है।

नई दिल्ली स्थित बंगला साहिब गुरुद्वारे के ठीक सामने और भारतीय डाक विभाग के गोल डाकखाने से अशोक रोड की दाहिनी तरफ अपने निजी जीवन में भी योग के प्रति आग्रह का भाव रखने वाले और प्राकृतिक चिकित्सा नामक पुस्तक लिखने वाले मोरारजी देसाई के नाम पर भारत सरकार के आयुष मंत्रालय का योग संस्थान है। यह योग विश्वविद्यालय, दुनिया के अपनी तरह के कुछ ही संस्थाओं में से एक है। भारत सरकार से पूर्ण मान्यता प्राप्त और वित्त पोषित मोराजजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, समिति पंजीकरण अधिनियम 1860 के अधीन पंजीकृत एक स्वायत्त संगठन है। जो कि वर्ष 1976 में स्थापित तत्कालीन केंद्रीय योग अनुसंधान के विलय के बाद एक अप्रैल 1998 को अस्तित्व में आया।

मोराजजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान योग के राष्ट्रीय उपयोग को बढ़ावा देने के लिए मानक विकसित करने में विश्व स्वास्थ्य संगठन को सहायता देने के साथ-साथ उसके साथ कार्य करता है। इस योग संस्थान ने योग विशिष्ट परिणामों को हासिल करने में कार्य करने वाला दुनिया का एकमात्र विश्व स्वास्थ्य संगठन सहयोग केंद्र होने का गौरव प्राप्त किया है। वर्ष 2013 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस संस्थान के योग चिकित्सा एवं प्रशिक्षण विभाग को पारंपरिक चिकित्सा के लिए अपने सहयोग केंद्र के रूप में नामित किया था।

यह संस्थान योग से संबंधित आधारभूत और साथ ही नैदानिक अनुसंधान के आयोजन में शामिल है। यह साक्ष्य आधारित योग की उपयोगिता और स्वास्थ्य संवर्धन में योग की भूमिका के बारे में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य पेशेवरों और विश्व स्वास्थ्य संगठन संगी के लिए विशिष्ट रूप से तैयार प्रशिक्षण मॉड्यूल का संचालन करता है। इतना ही नहीं, यह राष्ट्रीय योग संस्थान देश-विदेश के लिए योग सूचना के आदान-प्रदान के लिए एक योग संसाधन केंद्र के रूप में कार्य करता है। इसका उद्देश्य योग में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में कार्य करना, योग के वैज्ञानिक एवं कलात्मक पक्षों का विकास, संवर्धन एवं उनका प्रचार-प्रसार करना और इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए प्रशिक्षण, शिक्षण एवं अनुसंधान की सुविधाएं प्रदान करना तथा संवर्धन करना है।

[दिल्ली के अनजाने इतिहास के खोजी]

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