देवेंद्र स्वरूप जैसे साधक की वर्तमान समय में आवश्यकता: मोहन भागवत
सर संघचालक मोहन भागवत ने देवेंद्र स्वरूप को ऋषि बताते हुए कहा कि उन्होंने एक ऋषि के समान लोकहित में ज्ञान की साधना की। ज्ञान के द्वारा सत्य को पाना ही उनकी इच्छा थी।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। इतिहासवेत्ता, लेखक, चिंतक व संघ विचारक प्रो. देवेंद्र स्वरूप को दिल्ली के डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गईं। आयोजित स्मृति सभा में उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, गुजरात के राज्यपाल ओपी कोहली, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत समेत अन्य विशिष्ट अतिथियों ने श्रद्धासुमन अर्पित किए और उन्हें याद किया।
इस अवसर पर मोहन भागवत ने देवेंद्र स्वरूप को ऋषि बताते हुए कहा कि उन्होंने एक ऋषि के समान लोकहित में ज्ञान की साधना की। ज्ञान के द्वारा सत्य को पाना ही उनकी इच्छा थी। उनके निधन से मर्माहत संघ प्रमुख ने कहा कि देवेंद्र जैसे व्यक्ति और साधक आज के समय की आवश्कता है। जिस प्रकार उन्होंने बौद्धिक लड़ाई में अपना प्रचंड योगदान दिया। उनका व्यापक और गहरा अध्ययन मार्गदर्शन का काम करता रहा। वह बिना किसी भूमिका के खरी-खरी बात रखते थे। वैसे में उन्हें कुछ और साल रहना चाहिए था। फिर भी अब वह हमारे बीच नहीं हैं तो जिस कार्य को लेकर चले, वह चलता रहे। यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। पांचजन्य पत्रिका के पूर्व संपादक देवेंद्र स्वरूप का 93 वर्ष की अवस्था में 14 जनवरी को निधन हो गया था।
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि वह भक्ति समन्वित ज्ञान युक्त कर्मयोगी थे। उन्होंने ज्ञान, जीवन के साथ देहदान तक की। ओपी कोहली ने उनके साथ के संस्मरणों का जिक्र करते हुए कहा कि वह अपनी बात तथ्यों के साथ रखते थे। उनके लिखे से संघ के व्यक्तित्व, कृतित्व और चरित्र को भी सही रूप से समझा जा सकता है। इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा का शोक संदेश भी पढ़ा गया।
विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने राममंदिर आंदोलन में उनके योगदान का जिक्र करते हुए बताया कि उन्होंने राममंदिर के प्रमाण के लिए तमाम दस्तावेजों व प्रमाणों का गहराई से अध्ययन किया वही, विहिप के दस्तावेज बने।