JNU violence: जेएनयू हिंसा पर लद्दाख के सांसद नांग्याल बोले - लोकतांत्रिक अधिकारों का न हो दुरुपयोग
JNU violence लद्दाख से भाजपा सांसद जामयांग सरिंग नांग्याल ने 5 जनवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के परिसर में हुई हिंसा की निंदा की।
नई दिल्ली, एएनआइ। लद्दाख से भाजपा सांसद जामयांग सरिंग नांग्याल ने 5 जनवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के परिसर में हुई हिंसा की निंदा की। उन्होंने कहा कि देश में लोकतांत्रिक अधिकारों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। नांग्याल ने समाचार एजेंसी एएनआइ को कहा, 'मैं इसे बहुत दुर्भाग्यपूर्ण मानता हूं। हम देश के किसी भी हिस्से में हिंसा और बर्बरता की कड़ी निंदा करते हैं। हम एक लोकतांत्रिक देश में रह रहे हैं। इस लोकतंत्र का उपयोग करें, दुरुपयोग न करें।'
उन्होंने आगे छात्रों से सवाल उठाने और 'हंगामा' न करने का आग्रह नहीं किया।अगर आपको कोई चिंता है सवाल करें। आप हंगामा क्यों कर रहे हैं? जेएनयू मामले में परीक्षा से संबंधित समस्या है। संबंधित अधिकारी पहले से ही इस पर काम कर रहे हैं।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सम्मेलन में भाग लेने दिल्ली आए थे नांग्याल
भाजपा सांसद नांग्याल लद्दाख में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देश भर के टूर ऑपरेटरों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए दिल्ली आए थे। उनके साथ लद्दाख के पहले लेफ्टिनेंट-गवर्नर राधा कृष्ण माथुर भी थे। नांग्याल ने कहा कि लद्दाख को आर्थिक, शिक्षा और अन्य मोर्चों पर आगे बढ़ने की जरूरत है।
आर्थिक, शिक्षा और अन्य मोर्चों पर आगे बढ़ना चाहते हैं
नांग्याल ने कहा, 'हम आर्थिक, शिक्षा और अन्य मोर्चों पर आगे बढ़ना चाहते हैं ताकि हम अपनी अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सकें और राष्ट्र के विकास में भी योगदान कर सकें। लद्दाख में पर्यटन इस मुद्दे पर काफी मदद कर सकता है।'
5 जनवरी को हुई जेएनयू हिंसा
बता दें कि जेएनयू परिसर में रविवार 5 जनवरी को कुछ नकाबपोश लोग लाठी-डंडे के साथ घुसे और उन्होंने छात्रों और शिक्षकों से मारपीट की। इस दौरान छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष समेत 30 से ज्यादा लोग घायल हुए। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच मामले की जांच कर रही है।
तेजतर्रार भाषण के लिए जाने जाते हैं नांग्याल
युवा भाजपा सांसद नांग्याल को तेजतर्रार भाषण के लिए जाना जाता है। पिछले साल अगस्त में लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन बिल पर चर्चा के दौरान भाषण सबका ध्यान अपनी ओर खींचा था। इस दौरान जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और इसे दो भाग जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने का फैसले लिया गया था।