RSS नेता ने बॉलीवुड एक्टर नसीरुद्दीन पर बोला हमला, कहा- लोकतंत्र के खिलाफ है बयान
आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने कहा कि इस तरह के बयान संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ हैं।
नई दिल्ली,जेएनएन। मशहूर अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के बयान को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने लोकतंत्र के खिलाफ बताया है। आरएसएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य एवं वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने कहा कि इस तरह के बयान संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ हैं। ऐसे बयान देने वाले लोगों को सोचना चाहिए कि जब जम्मू-कश्मीर में पुलिस व सेना के जवानों पर पत्थर चलते हैं तब क्या उन्हें दर्द होता है। क्या दर्द की व्याख्या अपने-अपने ढंग से होगी? यह देश सांप्रदायिक और असहिष्णु नेताओं से नहीं चल सकता। चाहे हामिद अंसारी हों या फिर नसीरूद्दीन शाह या आमिर खान।
हरियाणा भवन में राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच की प्रेसवार्ता में इंद्रेश कुमार ने कहा 1857 की क्रांति के समय के लोगों ने गाय को आस्था का विषय समझ लिया था तो वर्ष 2018 वाले लोगों को समझने में क्या दिक्कत है। इस मुद्दे का मजाक बनाना पाप व अपराध है। बुलंदशहर हिंसा में लोगों की जान नहीं जानी चाहिए थी, वह दुखद है, लेकिन जिन्होंने गायों की हत्या की उन्हें भी गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
राममंदिर मुद्दे का न बने उपहास
राममंदिर निर्माण को लेकर इंद्रेश कुमार ने कहा कि अदालत को इस मुद्दे का उपहास नहीं बनाना चाहिए नहीं तो लोग उस पर भी सवाल उठाएंगे। राम मंदिर के लिए सरकार और विपक्ष को इस पर कार्य करना चाहिए।
चुनाव में राजनीति का स्तर न घटे
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा की हार के मायने के सवाल पर इंद्रेश कुमार ने कहा कि वर्ष 2019 में फिर से सरकार बनेगी, क्योंकि देश में दाल व सब्जियां मंहगी नहीं हुई हैं। पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने के बाद के बाद भी वाहन महंगे नहीं हुए। ताकतवर माने जाने वाला चीन बिना गोली और गाली के डोकलाम से हट गया। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से अपील की कि चुनाव में भाषा और सभ्यता का ध्यान रखें।
27 को राष्ट्रीय सुरक्षा पर होगा
मंथन इंद्रेश कुमार ने कहा कि देश की बाहरी, आंतरिक और साइबर सुरक्षा पर 27 दिसंबर को मंथन कार्यक्रम का आयोजन होगा। डॉ. अंबेडकर इंटरनेशनल सेटर में राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच इस कार्यक्रम का आयोजन करेगा। इसमें विभिन्न विषयों के विशेषज्ञ जैसे कि न्यायाधीश, सेवानिवृत्त नौकरशाह और पत्रकार अपने विचार रखेंगे।