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इतिहास रचने वाले 7 पूर्व CM समेत देश ने खोया इन दिग्गज नेताओं को, ये हैं कुछ अजब संयोग

यह महज इत्तेफाक है कि अगस्त 2018 से लेकर अगस्त 2019 तक एक साल से भी कम समय में देश ने तकरीबन दर्जन भर दिग्गज नेताओं को खो दिया है। इनमें ज्यादातर नेता कांग्रेस-BJP के हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 02:02 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 11:26 AM (IST)
इतिहास रचने वाले 7 पूर्व CM समेत देश ने खोया इन दिग्गज नेताओं को, ये हैं कुछ अजब संयोग
इतिहास रचने वाले 7 पूर्व CM समेत देश ने खोया इन दिग्गज नेताओं को, ये हैं कुछ अजब संयोग

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। 9 अगस्त से दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences) में भर्ती भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को दुनिया को अलविदा कह दिया। एम्स में भर्ती रहने के दौरान उन्होंने 15 दिन तक जिंदगी की जंग लड़ी और मौत को मात देने की कवायद में जुटे रहे, लेकिन शनिवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली जिंदगी की जंग हार गए और उनका निधन हो गया।

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यह महज इत्तेफाक है कि अगस्त, 2018 से लेकर अगस्त, 2019 तक एक साल से भी कम समय में देश ने तकरीबन दर्जन भर दिग्गज नेताओं को खो दिया है। इनमें ज्यादातर नेता कांग्रेस (Congress) और भारतीय जनता पार्टी (Bhartiay Janta Party) से जुड़े थे और इन सभी ने किसी-न-किसी रूप में इतिहास रचा। इनमें सबसे बड़ा नाम भारत रत्न और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का है, जिनका निधन 16 अगस्त, 2018 को दिल्ली के एम्स में ही हुआ था। इसके बाद मदन लाल खुराना, शीला दीक्षित, मनोहर पर्रिकर, जयपाल रेड्डी, सुषमा स्वराज, नारायण दत्त तिवारी, जगन्नाथ मिश्रा, बाबू लाल गौर और शनिवार को अरुण जेटली ने भी एम्स में अंतिम सांस ली।

भाजपा के तीन पूर्व केंद्रीय समेत और एक सीएम का अगस्त महीने में निधन
यह मजह इत्तेफाक है कि इस साल अगस्त महीने में ही तीन पूर्व केंद्रीय मंत्रियों (मनोहर पर्रिकर, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली) का निधन हुआ, जबकि बाबू लाल गौर का निधन भी अगस्त महीने में हुआ। बता दें कि मूलरूप से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के रहने वाले बाबू लाल गौर ने मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनकर एक इतिहास ही रचा था।

वहीं, बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा का निधन 19 अगस्त को दिल्ली के द्वारका में हुआ था। उन्हें बिहार में तीन बार मुख्यमंत्री रहने का रुतबा हासिल था। 

28 जुलाई को हुआ केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी का निधन
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयपाल रेड्डी (Jaipal Reddy) का पिछले महीने 28 जुलाई को हैदराबाद में निधन हो गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी पिछले कई दिनों से खराब स्वास्थ्य की समस्या से गुजर रहे थे। उनके निधन पर राज्यसभा में श्रद्धांजली देने के दौरान उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु रो पड़े थे।

7 पूर्व सीएम का एक साल से भी कम समय में निधन
इनमें पांच, नारायाण दत्त तिवारी, मदन लाल खुराना, शीला दीक्षित, सुषमा स्वराज (दिल्ली), जगन्नाथ मिश्रा (बिहार) और बाबू लाल गौर (मध्य प्रदेश)  के सीएम रह चुके थे। इनमें सबसे बड़ा नाम तो नारायण दत्त तिवारी का था, जिन्होंने इस लिहाज से इतिहास रचा था कि वे दो राज्यों (उत्तर प्रदेश और उत्तरांखड) के सीएम रहे इकलौते भारतीय नेता था। अब तक यह रिकॉर्ड उन्हीं के नाम है। 

इमानदारी की मिसाल माने जाने वाले गोवा के सीएम रहे मनोहर पर्रिकर का भी निधन 17 मार्च, 2019 को हुआ। उन्होंने रक्षामंत्री के तौर पर अपनी अहम भूमिका निभाई। 

दिल्ली से जुड़े 4 बड़े नेताओं का निधन
दिल्ली से जुड़े तीन बड़े नेताओं शीला दीक्षित (20 जुलाई), सुषमा स्वराज (6 अगस्त) और अरुण जेटली (24 अगस्त) का निधन हुआ। इनमें दो (शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज) नेता तो दिल्ली के पूर्व सीएम रह चुके थे, जबकि अरुण जेटली 1999 से 2012 तक दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (Delhi and District Cricket Association)  के अध्यक्ष भी रहे। 

माना जाए तो एक साल के भीतर दिल्ली ने तीन नहीं चार बड़े नेताओं (मदन लाल खुराना, शीला दीक्षित, सुषमा स्वराज और अरुण जेटली) को खोया है, जिनका राज्य स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में भी दखल था। चारों ही केंद्रीय मंत्री रहे चुके थे। 

दो नेताओं ने की थी डीयू से पढ़ाई
इनमें अरुण जेटली और शीला दीक्षित ने तो दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi university) से पढ़ाई की थी। केंद्र में वित्त मंत्री जैसा अहम महकमा संभालने वाले अरुण जेटली ने तो दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (Delhi University Students Union) से राजनीति के करियर की शुरुआत की थी। 

तीन का जन्म पंजाब में, बाद में बने दिल्ली के सीएम
मदन लाल खुराना, शीला दीक्षित और सुषमा स्वराज तीनों का रिश्ता पंजाब से रहा था। जहां सुषमा स्वराज का जन्म अंबाला (फिलहाल हरियाणा में, विभाजन से पहले यह पंजाब में था) में हुआ तो शीला दीक्षित का जन्म पंजाब के कपूरथला में हुआ था। वहीं, मदन लाल खुराना का जन्म पंजाब (पाकिस्तान) में हुआ था। बाद में तीनों की दिल्ली के मुख्यमंत्री बने।

मदनलाल खुराना और सुषमा स्वराज का रात को हुआ निधन
यह महज संयोग है कि भाजपा से जुड़े दोनों मुख्यमंत्रियों (मदन लाल खुराना और सुषमा स्वराज) का निधन रात को हुआ। जब मदन लाल खुराना ने 27 अक्टूबर को अंतिम सांस ली तो वह दिन शनिवार का था और समय रात का था। वहीं, सुषमा स्वराज का निधन भी रात को ही हुआ।

शीला, मदन लाल खुराना और अरुण जेटली का शनिवार को हुआ निधन
यह भी महज संयोग है कि शीला दीक्षित, मदन खुराना और अरुण जेटली का जिस दिन निधन हुआ वह दिन शनिवार ही था। 

शीला, मदन लाल खुराना, मनोहर पर्रिकर और सुषमा स्वराज चारों रहे केंद्रीय मंत्री
यह भी संयोग अजब है कि चारों ही केंद्रीय मंत्री रहे। जहां शीला दीक्षित सीएम बनने से पहले केंद्रीय मंत्री बनीं तो सुषमा स्वराज और मदनलाल खुराना पूर्व मुख्यमंत्री होने के बाद केंद्रीय मंत्री के पद पर रहे। वहीं, मनोहर पर्रिकर गोवा के कई बार सीएम रहे फिर केंद्रीय मंत्री रहने के बाद फिर से सीएम का पद संभाला।

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