आरक्षित सीटों से होकर गुजरती है दिल्ली की सत्ता की राह, अनुसूचित जाति को जोड़ने में लगी भाजपा
चुनावी इतिहास बताता है कि 12 अनुसूचित जाति की सीटों पर जीत दर्ज करने वाली पार्टी दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने में सफल रही है।
संतोष कुमार सिंह, नई दिल्ली। दिल्ली में 12 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। चुनावी इतिहास बताता है कि इन सीटों पर जीत दर्ज करने वाली पार्टी दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने में सफल रही है। भाजपा के लिए यह बड़ी चुनौती है। विधानसभा गठन के बाद 1993 में हुए पहले चुनाव को छोड़ दिया दिया जाए तो एक भी चुनाव में पार्टी दो से ज्यादा सुरक्षित सीटें नहीं जीत सकी है। पहले चुनाव में पार्टी इनमें से आठ सीटें जीतकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई थी। हालांकि, मई में हुए लोकसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर भाजपा को बढ़त मिली थी जिससे पार्टी के नेता उत्साहित हैं और उन्हें इस बार स्थिति बदलने की उम्मीद लगा रहे है।
आरक्षित सीटों पर पिछले दो चुनावों में आम आदमी पार्टी का दबदबा
आरक्षित सीटों पर कांग्रेस का दबदबा रहता था, लेकिन वर्ष 2013 से यह स्थिति बदल गई है। पिछले दो चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) का दबदबा रहा है। 2013 में उसने नौ सीटें जीती थीं और मौजूदा समय में इन सभी विधानसभाओं क्षेत्रों में उसका कब्जा है। वह अपना कब्जा बनाए रखने के लिए पूरी कोशिश में लगी हुई है। दूसरी ओर कांग्रेस इन सीटों पर अपना जनाधार वापस पाने की कोशिश में लगी हुई है। भाजपा भी इस बार इन सीटों पर बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है।
आरक्षित सीटों पर पार्टियों का प्रदर्शन
1993 विधानसभा चुनाव
कुल 13 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थीं, जिसमें से आठ सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। पांच सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी विजयी रहे थे। भाजपा की सरकार बनी थी।
1998 विधानसभा चुनाव
आरक्षित सीटों की संख्या कम होकर 12 हो गई और सभी पर कांग्रेस को जीत मिली थी। भाजपा को सत्ता से हटाकर कांग्रेस ने सरकार बनाई थी।
2003 विधानसभा चुनाव
12 में से दस सीटों पर कांग्रेस और दो सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। कांग्रेस की सरकार बनी थी।
2008 विधानसभा चुनाव
कांग्रेस को नौ, भाजपा को दो और बहुजन समाज पार्टी को एक सीट पर जीत मिली थी। कांग्रेस की सरकार बनी थी।
वर्ष 2013 विधानसभा चुनाव
आप को नौ, भाजपा को दो और कांग्रेस को एक सीट मिली थी। आप ने कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई थी।
वर्ष 2015 विधानसभा चुनाव
सभी सीटों पर जीत हासिल करके आप ने सरकार बनाई।
ये हैं सुरक्षित विधानसभा क्षेत्र
सुल्तानपुर माजरा, बवाना, मंगोलपुरी, मादीपुर, अंबेडकर नगर, देवली, करोलबाग, पटेल नगर, गोकलपुर, कोंडली, सीमापुरी एवं त्रिलोकपुरी।
'मोदी सरकार की योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ अनुसूचित जाति के लोगों को मिला है। पिछले चुनाव में लोगों ने उम्मीद के साथ आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया था, लेकिन उनके निराशा मिली। अर¨वद केजरीवाल सरकार ने इनके लिए कोई काम नहीं किया है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध करने से भी आप व कांग्रेस के प्रति लोगों ने नाराजगी है, क्योंकि पड़ोसी देशों से आकर भारत में रहने वाले शरणार्थियों में से 70 फीसद अनुसूचित जाति के लोग हैं। इन्हें इस कानून का लाभ मिल रहा है। भाजपा छोटी बैठकों व सम्मेलन के माध्यम से लोगों को अपने साथ जोड़ने में सफल रही है। लोकसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर भाजपा को बढ़त मिली थी और विधानसभा चुनाव में भी जीत मिलेगी-मोहन लाल गिहारा (भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष)।'