भारत की एक और बड़ी उपलब्धि, संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश बन सकेंगे आइएसए के सदस्य
सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 30 नवंबर 2015 को पेरिस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष प्रयास से अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन अस्तित्व में आया।
गुरुग्राम [आदित्य राज]। संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्य देश अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आइएसए) के सदस्य बन सकेंगे। इसके लिए वर्ष 2018 में आयोजित आइएसए के सम्मेलन में एक संशोधन बिल भारत ने पेश किया था, जिस पर सम्मेलन में शामिल 44 देशों में 30 देशों ने हस्ताक्षर करके स्वीकृति दे दी। संशोधन बिल पास करने के लिए सम्मेलन में उपस्थित देशों में से दो तिहाई की स्वीकृति आवश्यक थी। बिल पर दो दिन पहले तंजानिया द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद 30 की संख्या पूरी हो गई।
सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 30 नवंबर 2015 को पेरिस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष प्रयास से अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन अस्तित्व में आया था। इसमें फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति ने भी भारत का बढ़-चढ़कर सहयोग दिया था। शुरू में इसे कर्क व मकर रेखा के बीच आने वाले देशों का संगठन ही बनाने का निर्णय लिया गया था।
कर्क व मकर रेखा के बीच कुल 121 देश आते हैं। बाद में दायरे से बाहर वाले कुछ देशों ने आपत्ति व्यक्त की तो वर्ष 2018 के दौरान भारत की ओर से संशोधन बिल पेश किया गया। आपत्ति व्यक्त करने वाले देशों ने कहा था कि जब सौर ऊर्जा पूरी दुनिया की जरूरत है फिर आइएएस में सभी देशों को शामिल होने की छूट देनी चाहिए। अब संशोधन बिल पर 30 देशों के हस्ताक्षर होने के बाद संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देश आइएसए के भी सदस्य बन सकेंगे। फिलहाल दुनिया के 66 देश जहां सदस्य बन चुके हैं वहीं 87 देश सदस्य बनने के लिए सहमति व्यक्त कर चुके हैं। उम्मीद की जा रही है अब जल्द ही संयुक्त राष्ट्र में शामिल अधिकतर देश आइएसए के सदस्य बन जाएंगे।
193 देशों की मिट्टी लाई जाएगी
आइएसए का मुख्यालय गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड पर राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान के सूर्य भवन में चल रहा है। संस्थान के परिसर में ही इसका मुख्यालय बनाया जाएगा। मुख्यालय का निर्माण शुरू होने पर 193 देशों से मिट्टी लाई जाएगी। यही नहीं मुख्यालय में 193 देशों के झंडे लगाए जाएंगे।
संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय की तरह ही आइएसए के मुख्यालय में 193 देशों के झंडे होंगे। यह भारत के लिए गर्व की बात है। आइएसए के सदस्य देश के रूप में भारत ने ही संशोधन बिल पेश किया था। दुनिया का कोई भी संगठन इतनी तेजी से कभी भी आगे नहीं बढ़ा। यह भारत की बहुत बड़ी उपलब्धि है।
उपेंद्र त्रिपाठी, महानिदेशक, अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन