2जी घोटालाः HC के इस फैसले से ए राजा व कनिमोई समेत कई की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
संप्रग सरकार में दूरसंचार विभाग द्वारा 2जी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस आवंटन में ये कथित भ्रष्टाचार हुआ था। CAG ने कहा था कि दूरसंचार कंपनियों को कौड़ियों के भाव में 2जी लाइसेंस बांटे गए।
नई दिल्ली (जेएनएन)। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले को लेकर हाई कोर्ट बेहद गंभीर है और अब इसकी सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तर्ज पर नियमित होगी। अब इस केस में लंबी तारीखें नहीं पड़ेंगी। मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने इसके संकेत तब दिए जब आरोपितों ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए और समय देने की मांग की।
केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) की चुनौती याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने आरोपितों की तरफ से जवाब न दाखिल करने पर नाराजगी जताई। हाई कोर्ट ने पूर्व संचार मंत्री ए राजा, डीएमके राज्यसभा सदस्य कनिमोई समेत अन्य आरोपितों की खिंचाई करते हुए कहा कि आखिर मामले में जवाब दाखिल करने में देरी क्यों की जा रही है।
हाई कोर्ट ने कहा कि सभी आरोपितों को जवाब दाखिल करने के लिए आखिरी मौका दिया जा रहा है। अगली सुनवाई 7 जनवरी 2019 को होगी। सुनवाई के दौरान आरोपितों के वकील ने कहा कि सीबीआइ द्वारा अब तक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। इस पर अदालत ने कहा कि यह समस्या एक फोन कॉल से हल की जा सकती है।
मालूम हो कि संप्रग सरकार के दौरान 2008 में दूरसंचार विभाग द्वारा टूजी स्पेक्ट्रम के लाइसेंस आवंटन में कथित तौर पर भ्रष्टाचार हुआ था। सीएजी ने कहा था कि दूरसंचार कंपनियों को कौड़ियों के भाव में 2जी के लाइसेंस बांटे गए। इससे सरकारी खजाने को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। मामले में सुनवाई पूरी कर पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसंबर 2017 को पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा, राज्यसभा सदस्य कनिमोई सहित दूसरे सभी 19 आरोपियों को बरी कर दिया था। सीबीआई ने निचली अदालत के इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।