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राकांपा प्रमुख शरद पवार का कांग्रेस पर तंज, कहा- पुराने दिन बीत चुके, अब वास्तविकता करें स्‍वीकार

राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस के नेताओं को मान लेना चाहिए कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक अब उनका बोलबाला नहीं रहा जैसा कि एक जमाने में हुआ करता था। उन्‍होंने कांग्रेस को एक नसीहत भी दी....

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 10 Sep 2021 01:23 AM (IST)Updated: Fri, 10 Sep 2021 01:26 AM (IST)
राकांपा प्रमुख शरद पवार का कांग्रेस पर तंज, कहा- पुराने दिन बीत चुके, अब वास्तविकता करें स्‍वीकार
शरद पवार (NCP chief Sharad Pawar) ने गुरुवार को महाराष्ट्र में राकांपा की सहयोगी पार्टी कांग्रेस पर तंज कसा।

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। शरद पवार (NCP chief Sharad Pawar) ने महाराष्ट्र में राकांपा की सहयोगी पार्टी कांग्रेस पर तंज कसा है। राकांपा अध्यक्ष ने गुरुवार को कहा कि कांग्रेस के नेताओं को मान लेना चाहिए कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक अब उनका बोलबाला नहीं रहा, जैसा कि एक जमाने में हुआ करता था। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक पवार ने मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को वास्तविकता स्वीकार कर लेने का सुझाव भी दिया।

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एक निजी मीडिया समूह से बात करते हुए राकांपा सुप्रीमो शरद पवार (NCP chief Sharad Pawar) ने कहा कि एक दौर था, जब कांग्रेस कश्मीर से कन्याकुमारी तक सत्‍ता में थी, लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं है। इस हकीकत को स्वीकार कर लेना चाहिए। कांग्रेस एक बार जब मानसिक रूप से इस सच्‍चाई को स्‍वीकार कर लेगी तो अन्य विपक्षी पार्टियों से उसकी नजदीकियां बढ़ेंगी।

पूर्व केंद्रीय मंत्री (NCP chief Sharad Pawar) ने कहा कि जब नेतृत्व का सवाल आता है तो कांग्रेस के हमारे सहयोगी इसके लिए तैयार भी नहीं होते कि वे किसी दूसरे विकल्प पर विचार करें। दरअसल इस बातचीत में पवार से कहा गया कि जब 2024 के लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी को विपक्ष का संयुक्त चेहरा बनाने की चर्चा चली तो कांग्रेस के लोगों ने कहा कि उनके पास राहुल गांधी हैं।

पवार (NCP chief Sharad Pawar) ने कहा कि सभी पार्टियां विशेषकर कांग्रेस के सहयोगी नेतृत्व के सवाल पर अलग रुख अपनाने के लिए तैयार नहीं होते हैं। अपनी बात समझाने के लिए राकांपा अध्यक्ष ने उत्तर प्रदेश के जमींदारों का किस्सा सुनाया।

उन्‍होंने (NCP chief Sharad Pawar) कहा कि किसी समय उत्तर प्रदेश में जमींदारों के पास बहुत सारी जमीन और हवेली हुआ करती थी। बाद में सीलिंग कानून के चलते उनकी जमीन घट गई। उनके पास हवेली तो बनी रही, लेकिन उसके रखरखाव और मरम्मत कराने की क्षमता तक नहीं रही। 


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