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एनसीएम ने कहा- अयोध्या पर पुनर्विचार याचिका से हिंदू-मुस्लिम एकता को होगा नुकसान

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष गयूरुल हसन रिजवी ने कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत जैसे मुस्लिम संगठन अपने वादे से मुकर रहे हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 24 Nov 2019 09:58 PM (IST)Updated: Sun, 24 Nov 2019 09:58 PM (IST)
एनसीएम ने कहा- अयोध्या पर पुनर्विचार याचिका से हिंदू-मुस्लिम एकता को होगा नुकसान
एनसीएम ने कहा- अयोध्या पर पुनर्विचार याचिका से हिंदू-मुस्लिम एकता को होगा नुकसान

नई दिल्ली, प्रेट्र। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) के अध्यक्ष गयूरुल हसन रिजवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण पर आए फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करना मुस्लिमों के हित में नहीं होगा। इससे हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच एकता को नुकसान पहुंचेगा।

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पुनर्विचार याचिका से मंदिर निर्माण लटक सकता है

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के प्रमुख ने कहा कि पुनर्विचार याचिका दायर करने से हिंदुओं के बीच ऐसा संदेश जाएगा कि वे राम मंदिर के निर्माण के रास्ते में रोड़े अटका रहे हैं। उन्होंने मुस्लिम पक्ष से मस्जिद के लिए दी गई पांच एकड़ की वैकल्पिक भूमि को स्वीकार करने का भी अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि ऐसा करना न्यायपालिका का सम्मान होगा।

मुस्लिमों को मंदिर और हिंदुओं को मस्जिद बनाने में मदद करनी चाहिए

रविवार को एक साक्षात्कार में रिजवी ने कहा कि एनसीएम ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एक बैठक की थी और उसके सभी सदस्यों ने एक सुर में कहा था कि फैसले को स्वीकार करना चाहिए। एनसीएम अध्यक्ष ने कहा कि मुस्लिमों को अयोध्या में मंदिर बनाने में मदद करनी चाहिए जबकि हिंदुओं को मस्जिद के निर्माण में मदद करनी चाहिए।

सामाजिक सौहार्द को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होगा

उन्होंने कहा कि यह दोनों समुदायों के बीच सामाजिक सौहार्द को मजबूत करने में मील का पत्थर साबित होगा। रिजवी के अनुसार, पुनर्विचार याचिका दायर करने से हिंदुओं के बीच यह संदेश जाएगा कि मुस्लिम समुदाय अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की राह में रोड़े अटकाना चाहता है। उन्होंने कहा कि इससे हिंदू-मुस्लिम एकता को 'नुकसान' पहुंचेगा।

एआइएमपीएलबी और जमीयत जैसे संगठन वादे से मुकरे

उन्होंने कहा, 'पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआइएमपीएलबी) और जमीयत उलेमा-ए-हिंद समेत सभी पक्षों ने वादा किया था कि सुप्रीम कोर्ट के गए फैसले का सम्मान किया जाएगा।' उन्होंने आरोप लगाया कि एआइएमपीएलबी और जमीयत जैसे मुस्लिम संगठन अपने वादे से मुकर रहे हैं।

आम मुस्लिम याचिका के पक्ष में नहीं

रिजवी ने पूछा, 'सिर्फ अभी नहीं बल्कि कई वर्षों से वे कह रहे हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करेंगे तो फिर पुनर्विचार की क्या जरूरत है?' उन्होंने पूछा कि पुनर्विचार याचिका दायर करने का क्या औचित्य है जब वे भी कह रहे हैं कि याचिका '100 फीसद' खारिज कर दी जाएगी। एनसीएम प्रमुख ने कहा, 'इस देश का आम मुस्लिम पुनर्विचार याचिका के पक्ष में नहीं है क्योंकि वह नहीं चाहता कि जो मामले सुलझ गए हैं उन्हें फिर उठाया जाए और समुदाय ऐसी चीजों में फंसे।'

ओवैसी मुस्लिमों का इस्तेमाल कर रहे

रिजवी ने कहा कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत एआइएमपीएलबी के सिर्फ चार-पांच सदस्य ही पुनर्विचार याचिका के पक्ष में हैं। एनसीएम प्रमुख ने आरोप लगाया कि ओवैसी मुस्लिमों का इस्तेमाल करके राजनीति करते हैं और वह उन्हें ऐसे मुद्दों में उलझाए रखना चाहते हैं ताकि उन्हें वोट मिल सकें।


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