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गांधी व जिन्ना के बीच राजनीतिक खटास दूर करने को भोपाल के नवाब ने लिखा था उर्दू में पत्र

इस पत्र के साथ ही तीन पेज का सुझाव भरा प्रस्ताव भी नवाब ने गांधीजी को भेजा था। हालांकि इस पर किसी के हस्ताक्षर नहीं थे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 03:08 AM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 07:12 AM (IST)
गांधी व जिन्ना के बीच राजनीतिक खटास दूर करने को भोपाल के नवाब ने लिखा था उर्दू में पत्र
गांधी व जिन्ना के बीच राजनीतिक खटास दूर करने को भोपाल के नवाब ने लिखा था उर्दू में पत्र

भोपाल, राज्य ब्यूरो। आजादी से पहले महात्मा गांधी और मोहम्मद अली जिन्ना के बीच राजनीतिक खटास दूर करने के लिए भोपाल के तत्कालीन नवाब हमीदुल्ला खान ने अपने निजी संबंधों का हवाला देते हुए 16 फरवरी 1946 में महात्मा गांधी को उर्दू में पत्र लिखा था।

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राजनीतिक खटास भारत के भविष्य के लिए अच्छा नहीं

पत्र में नवाब ने महात्मा गांधी से कहा था कि आपके व जिन्ना के बीच राजनीतिक खटास भारत के भविष्य के लिए अच्छी नहीं है। उन्होंने पत्र में महात्मा गांधी व उनकी पत्नी कस्तूरबा के स्वास्थ्य का हालचाल भी पूछा था। इस पत्र के साथ ही तीन पेज का सुझाव भरा प्रस्ताव भी नवाब ने गांधीजी को भेजा था। हालांकि, इस पर किसी के हस्ताक्षर नहीं थे।

यह राजफाश क्राइम ब्रांच को मिले दस्तावेजों से हुआ

यह राजफाश शनिवार को क्राइम ब्रांच में पुरातत्वविदों द्वारा दस्तावेजों के अध्ययन से हुआ है। दरअसल, 18 फरवरी को क्राइम ब्रांच ने एक ट्रक से 90 बॉक्स व 61 बोरियां बरामद की थीं। इसमें भोपाल रियासत के ऐतिहासिक महत्व से संबंधित दस्तावेज मिले थे। इन्हीं दस्तावेजों की जांच पुरातत्वविद कर रहे हैं।

पुरातत्वविदों ने कहा- बरामद दस्तावेज 1885 से लेकर 1949 तक के हैं

पुरातत्वविदों ने स्पष्ट किया है कि ट्रक से बरामद दस्तावेज 1885 से लेकर 1949 तक के हैं। यह दस्तावेज 75 साल पुराने हैं, इसलिए एंटीक आइटम के दायरे में आते हैं। मामले में एंटिक्विटी एंड आर्ट ट्रेजरी एक्ट 1972 के तहत मामला दर्ज किया गया है। बरामद सभी बक्सों को पुलिस ने सील कर दिया है और अब इन्हें राज्य अभिलेखागार को सौंपने की कार्रवाई की जाएगी।

पुरातत्वविद मुमताज बेग ने कहा- दस्तावेज हस्तलिखित हैं

पुरातत्वविद मुमताज बेग ने बताया कि यह दस्तावेज महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह मूल कॉपी और हस्तलिखित है, इसलिए इसकी सत्यता पर सवाल खड़े नहीं किए जा सकते। इन दस्तावेजों में नवाब की अप्रकाशित जीवनी के कुछ हिस्से और प्रशासनिक कार्यो से संबंधित कई जानकारियां हैं। साथ ही भोपाल रिसायत के इतिहास से संबंधित महत्वपूर्ण दस्तावेज भी मिले हैं।

नरेंद्र मंडल के लिए अंग्रेजी में होता था पत्राचार

ट्रक से जब्त दस्तावेजों में करीब 700 फाइलें और 61 बोरियों में अभिलेख हैं। इसमें कुछ किताबें, नक्शे, हस्तलिखित दस्तावेज और नरेंद्र मंडल के साथ हुए अहम पत्राचार भी शामिल हैं। पुरातत्वविद के अनुसार, नवाब प्रशासनिक कार्य उर्दू में करते थे, वहीं नरेंद्र मंडल से संबंधित पत्राचार अंग्रेजी में करते थे। मालूम हो, नरेंद्र मंडल का अंग्रेजी नाम चेंबर ऑफ प्रिंसेस है।

अंग्रेजी शासनकाल की 584 रियासतों को स्वायत्ता प्रदान की गई थी

तत्कालीन समय में अंग्रेजी शासनकाल की 584 रियासतों को स्वायत्ता प्रदान की गई थी। इन रियासतों का इंपीरियल (रजवाड़ा) स्तर पर एक प्लेटफार्म था। जिनमें प्रशासनिक कार्यो को लेकर आपस में पत्राचार होता था। यह पत्राचार अंग्रेजी में होता था। नवाब हमीदुल्ला खान दो बार नरेंद्र मंडल के प्रमुख रहे थे।


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