प्रियंका की पैरोकारी कर रहे कांग्रेस नेताओं को नटवर ने दिया टॉनिक
मगर नये नेतृत्व पर राहुल की लक्ष्मण रेखा है प्रियंका की राह में बाधा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस के नये अध्यक्ष की जारी खोज के बीच पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के बयान ने पार्टी की कमान प्रियंका गांधी वाड्रा को सौंपने की वकालत करने वाले नेताओं को अपनी आवाज और मुखर करने का जज्बा दे दिया है। प्रियंका की पैरोकारी करने वाले नेताओं का मानना है कि किसी गैर गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने पर 24 घंटे में ही पार्टी में बिखराव की नटवर की टिप्पणी एक बार फिर गांधी परिवार के नेतृत्व का रास्ता खोल सकता है।
राहुल गांधी के उत्तराधिकारी के तौर पर गांधी परिवार के बाहर के चेहरे को ढूंढ़ने में संघर्ष कर रही कांग्रेस ने औपचारिक या अनौपचारिक तरीके से भले ही नटवर सिंह के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
मगर संसद के गलियारे में पार्टी के कई नेताओं ने अनौपचारिक बातचीत में माना कि नटवर के बयान के बाद प्रियंका को कांग्रेस का नेतृत्व सौंपने की मांग तेज हो सकती है। खासकर यह देखते हुए कि राहुल के उत्तराधिकारी की कांग्रेस की तलाश लगातार लंबी होती जा रही है। कार्यसमिति की बैठक में इस्तीफे के उनके ऐलान के अब दो महीने होने वाले हैं और कांग्रेस गांधी परिवार के बाहर के किसी चेहरे पर अभी तक सहमति नहीं बना सकी है।
नये अध्यक्ष पर आम राय नहीं बन पाने की वजह से ही कार्यसमिति की बैठक बुलाकर राहुल का इस्तीफा स्वीकार कर नये अध्यक्ष का चुनाव नहीं किया जा सका है। ऐसे में गांधी परिवार को नेतृत्व सौंपने के पक्षधर नेताओं के लिए नटवर का बयान सियासी टॉनिक से बन सकता है।
वहीं प्रियंका गांधी ने इस बीच सोनभद्र हिंसा के पीडि़तों से मुलाकात के लिए उत्तरप्रदेश सरकार से सियासी तौर पर आमने सामने की जंग में अपनी निडरता दिखा कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को नई उम्मीद भर दी है। संसद के गलियारे में नटवर सिंह के बयान का नोटिस लेते हुए कुछ सांसदों ने अनौपचारिक चर्चा में कहा भी कि राहुल के इस्तीफे के बाद बीते दो महीने में कांग्रेस में बेहद निराशा का दौर है मगर सोनभद्र में प्रियंका ने लड़ाई का जज्बा दिखा पार्टी को भविष्य की एक उम्मीद दिखाई है।
इन सांसदों का कहना था कि भले ही अभी ज्यादा लोग खुलकर सामने न आएं मगर पार्टी के अधिकांश नेता नटवर सिंह के बयान से पूरी तरह सहमत हैं। वैसे श्रीप्रकाश जायसवाल, अनिल शास्त्री और पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के बेटे कांग्रेस नेता अभिजीत मुखर्जी सरीखे पार्टी नेता प्रियंका के सोनभद्र जाने से पहले ही पार्टी की कमान उनको सौंपने की वकालत कर चुके हैं।
गांधी परिवार से बाहर काअध्यक्ष बनने की स्थिति में कांग्रेस में 24 घंटे में बिखराव होने की नटवर सिंह की टिप्पणी इसलिए भी मायने रखती है कि फिलहाल वे कई वर्षो से कांग्रेस से बाहर हैं और उनके सीधे राजनीतिक हित नहीं हैं।
तेल के बदले अनाज संबंधी वोल्कर रिपोर्ट में घिरने के बाद यूपीए सरकार से इस्तीफा देने से पहले नटवर सिंह का दशकों तक नेहरू-गांधी परिवार से करीबी रिश्ता रहा था।
नेतृत्व को लेकर कांग्रेस में जारी असमंजस के दौर के बावजूद प्रियंका को राहुल का उत्तराधिकारी बनाने की राह फिलहाल कठिन है। खुद राहुल ने इस्तीफे का ऐलान करते हुए गांधी परिवार से बाहर के चेहरे को कांग्रेस की कमान सौंपने की बात कह दी थी।
कार्यसमिति की 25 मई की बैठक में भी उन्होंने प्रियंका के नाम का प्रस्ताव करने की कोशिश नहीं करने की पार्टी नेताओं को हिदायत दे दी थी। ऐसे में प्रियंका के नेतृत्व की पैरोकारी करने वाले नेताओं के लिए राहुल द्वारा खींची गई सियासी लक्ष्मण रेखा को फिलहाल पार करना बेहद मुश्किल है।