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370 पर नेशनल कांफ्रेस चुप, नरम रुख का संकेत; सियासी जमीन को मजबूत बनाने की कोशिश

नेशनल कांफ्रेस की रणनीति में बदलाव का अंदाजा गत रविवार को पार्टी नेताओं की डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला से मुलाकात से हो जाता है।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 08 Oct 2019 10:59 PM (IST)Updated: Tue, 08 Oct 2019 10:59 PM (IST)
370 पर नेशनल कांफ्रेस चुप, नरम रुख का संकेत; सियासी जमीन को मजबूत बनाने की कोशिश
370 पर नेशनल कांफ्रेस चुप, नरम रुख का संकेत; सियासी जमीन को मजबूत बनाने की कोशिश

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के साथ बदली राजनीतिक परिस्थितियों में नेशनल कांफ्रेंस को भी शायद ऑटोनामी के नारे के आप्रसंगिक होने की हकीकत समझ आ गई है। इसके अलावा 370 पर पार्टी की चुप्पी उनके नरम रुख का संकेत दे रही है। हालांकि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) का शीर्ष नेतृत्व अभी भी हकीकत को समझने को तैयार नजर नहीं आता। यही वजह है कि पीडीपी अभी भी सियासी तौर पर निष्क्रिय है।

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अनुच्छेद 370 से आजादी के साथ ही राज्य में ऑटोनामी और सेल्फ रूल जैसे नारों की सियासत खत्म हो गई। तब से नेशनल कांफ्रेस, पीडीपी, कांग्रेस, पीपुल्स कांफ्रेंस समेत कई दलों के प्रमुख नेता व कार्यकर्ता हिरासत या नजरबंदी में हैं। राज्य के तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी हिरासत में हैं।

मौजूदा परिस्थितियों में रवैया बदलने का संकेत

कयास लगाए जा रहे थे कि केंद्र के फैसले पर नेशनल कांफ्रेस और पीडीपी की तरफ से तीव्र प्रतिक्रिया होगी, लेकिन बीते दो माह के दौरान ऐसा कुछ होता नजर नहीं आया। यह बात अलग है कि नेशनल कांफ्रेस के सांसदों ने केंद्र के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया जरूर जाहिर की, लेकिन वह भी लोगों को इस मुददे पर कहीं खड़ा नहीं कर पाए। यही कारण है कि नेशनल कांफ्रेस ने मौजूदा परिस्थितियों में अपना रवैया बदलने का संकेत देना शुरू कर दिया है।

370 को लेकर जारी नहीं किया कोई बयान 

नेशनल कांफ्रेस की रणनीति में बदलाव का अंदाजा गत रविवार को पार्टी नेताओं की डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला से मुलाकात से हो जाता है। इस मुलाकात के बाद नेशनल कांफ्रेस नेताओं ने कहीं भी अनुच्छेद 370 को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है। हालांकि नेशनल कांफ्रेस नेताओं ने जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आंदोलन चलाने का जरूरत संकेत दिया। यह पहला मौका नहीं है जब नेशनल कांफ्रेस ने ऑटोनामी के नारे को छोड़ने का संकेत दिया है। इससे पूर्व अगस्त माह के दौरान भी नेशनल कांफ्रेस के एक वरिष्ठ नेता जो सेंट्रल में बंद हैं,ने दावा किया था कि फारूक अब्दुल्ला फिलहाल सभी को स्टेटहुड के लिए आंदोलन के लिए तैयार रहने को कहा है।

पीडीपी के सियासी एजेंडे में बदलाव नहीं

पीडीपी की तरफ से अपने सियासी एजेंडे में कोई बदलाव नजर नहीं आ रहा है। यही कारण है कि पार्टी अध्यक्षा महबूबा मुफ्ती ने पार्टी नेताओं के एक दल के साथ मुलाकात को टाल दिया। पीडीपी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि महबूबा मुफ्ती केंद्र के फैसले से परेशान व रुष्ट हैं। वह नहीं चाहती कि पार्टी नेताओं से मुलाकात को लेकर केंद्र को किसी तरह की बयानबाजी का मौका मिले।

अपनी सियासी जमीन को मजबूत बनाएगी

कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार आसिफ कुरैशी ने कहा कि नेशनल कांफ्रेस ने ऑटोनामी का नारा छोड़ा है या कुछ दिन के लिए ठंडे बस्ते में डाला है। यह अभी तय नहीं है,लेकिन वह कश्मीर में पहले हालात सामान्य बनाने के लिए जरूर अपने रवैये में नरमी ला सकती है। इसलिए वह स्टेटहुड के लिए बात कर रही है। पहले वह बदले हालात में अपनी सियासी जमीन को मजबूत बनाएगी और उसके बाद ही अगला कदम उठाएगी।


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