Modi 2.0: मंत्रिमंडल गठन के साथ PM ने पूरा किया वादा, पहली बार बना जलशक्ति मंत्रालय
Narendra Modi Cabinet 219 देश में बढ़ रहे जल संकट से निपटने के लिए विशेषज्ञ लंबे समय से युद्ध स्तर पर जल प्रबंधन शुरू करने की बात कह रहे हैं। जलशक्ति मंत्रालय से ये संभव होगा।
नई दिल्ली, एएनआई। मंत्रिमंडल के गठन और मंत्रालयों के वितरण के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र का एक वादा पूरा कर दिया है। उन्होंने पहली बार जलशक्ति मंत्रालय का गठन किया है, जिसका वादा उन्होंने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी किया था। पहली बार बनाए गए जलशक्ति मंत्रालय की जिम्मेदारी कैबिनेट मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को सौंपी गई है।
मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान अपने चुनावी घोषणा पत्र में देश की जनता को सुरक्षित पीने का पानी उपलब्ध कराने का वादा किया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि ये देश की जनता का अधिकार है कि उसे पीने के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध हो। इस नए जलशक्ति मंत्रालय की जिम्मेदारी जोधपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनकर आए सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत को सौंपी गई है। गजेंद्र सिंह शेखावत ने यहां राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को शिकस्त दी थी।
जलशक्ति मंत्रालय पहले के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय को पुनर्गठित कर बनाया गया है। पिछली सरकार में ये मंत्रालय नितिन गडकरी के पास था। अब पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय को भी इसमें जोड़ दिया गया है। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने तमिलनाडु में आयोजित एक चुनावी रैली में मतदाताओं से वादा किया था कि अगर वह दोबारा केंद्र की सत्ता में वापस आते हैं तो अलग से एक जलशक्ति मंत्रालय का गठन करेंगे। मंत्रिमंडल के गठन के साथ ही प्रधानमंत्री ने अपना ये वादा पूरा कर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी के अनुसार इस मंत्रालय के पास पानी से जुड़े कई मसले होंगे। एनडीए सरकार जल स्रोतों को लेकर बहुत गंभीर है। इस नए मंत्रालय का काम होगा देश की जनता को पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना और किसानों को सिंचाई के लिए बेहतर व पर्याप्त पानी मुहैया कराना। भाजपा के घोषणा पत्र में जल संकट को खत्म करने के लिए एकीकृत जल मंत्रालय बनाने का वादा किया गया था।
मालूम हो कि अप्रैल से जुलाई के महीने में जब देश में भीषण गर्मी पड़ती है, लगभग पूरे देश में लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है। इस दौरान आठ राज्यों में भीषण सूखे और आपातकाल जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। प्रत्येक वर्ष इन्हीं चार महीनों में बहुत से लोगों और जानवरों की जान चली जाती है।
इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए हाल में ही केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु को विस्तृत एडवाइजरी जारी की थी। इन राज्यों से कहा गया था कि वह अपने क्षेत्र में विवेकपूर्ण तरीके से पानी का इस्तेमाल करें, क्योंकि बांधों में पानी का भंडारण खतरनाक स्तर तक गिर चुका है। इससे कभी भी इन राज्यों में भीषण जल संकट पैदा हो सकता है।
भारत के ज्यादातर राज्यों में जल संकट तेजी से बढ़ रहा है। फिलहाल देश में कृषि और घरेलु उपयोग के लिए पानी आवश्यकता पूरी तरह से मानसून की बारिश पर निर्भर है। तेजी से बढ़ रहे जल संकट को देखते हुए विशेषज्ञ लंबे समय से युद्ध स्तर पर जल प्रबंधन (Water Management) की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं। अब मोदी सरकार ने नया मंत्रालय जलशक्ति गठित कर इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने की पहल की है। अपने पहले कार्यकाल में भी मोदी सरकार ने नदियों की सफाई, नदियों को जोड़ने, नदी मार्ग बनाने और जल प्रबंधन के लिए कई कदम उठाए थे। अब अलग मंत्रालय बनने से माना जा रहा है कि इस काम में और तेजी आएगी।
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