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जानिए कौन हैं नमिता भट्टाचार्य, जिन्होंंने दी अटल जी को मुखाग्नि

आखिरी कुछ सालों में अटल जी नमिता और अपनी नातिन निहारिका के साथ ही रहे।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 17 Aug 2018 11:04 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 12:27 AM (IST)
जानिए कौन हैं नमिता भट्टाचार्य, जिन्होंंने दी अटल जी को मुखाग्नि
जानिए कौन हैं नमिता भट्टाचार्य, जिन्होंंने दी अटल जी को मुखाग्नि

नई दिल्ली(जेएनएन)। पूर्व प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी पंच तत्व में विलीन हो गए। ता उम्र एक स्वयंसेवक के तौर पर संघ और पार्टी के लिए समर्पित रहे अटल जी ने शादी नहीं की थी। लेकिन उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज में अपनी सहपाठी रहीं राजकुमारी कौल की बेटी नमिता को गोद लिया था। 

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 Former prime minister and Bharat Ratna #AtalBihariVajpayee cremated with full state honours at Smriti Sthal in Delhi pic.twitter.com/Y3ff4o43SP

— ANI (@ANI) 17 August 2018

देखें अंतिम संस्कार का वीडियो:

 LIVE : Last rites of former PM Atal Bihari Vajpayee Ji from BJP HQ to Rashtriya Smriti Sthal, Delhi. #AtaljiAmarRahhttps://t.co/rZdeVvCNkg

— BJP (@BJP4India) 17 August 2018

नमिता का विवाह रंजन भट्टाचार्य से हुआ है, जिन्होंने अटल जी के ओएसडी के रूप में भी कार्य किया था, इन दोनों की एक बेटी निहारिका है, आखिरी कुछ सालों में अटल जी नमिता और अपनी नातिन निहारिका के साथ ही रहे। वो नातिन निहारिका के काफी करीब थे। आखिरी के कुछ दिनों में भी नमिता और निहारिका उनके पास रहीं। यही वजह है कि अटल जी के अंतिम संस्कार के वक्त उनके परिवार के अलावा उनकी गोद ली हुई बेटी और उनका पूरा परिवार मौजूद रहा। नमिता भट्टाचार्य ने ही अटल जी को मुखाग्नि दी। इस मौके पर उन्हें सैनिकों ने सम्मान दिया।

 वाजपेयी जी कई वर्षों से बीमार चल रहे थे। तबीयत ज्यादा खराब होने के बाद उन्हें 11 जून को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया था, जहां कुछ दिनों तक लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर रहने के बाद 16 अगस्त को उन्होंने अंतिम सांस ली। जून 2018 में उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था, वे किडनी में संक्रमण और पेशाब संबंधी परेशानी से जूझ रहे थे। अटल बिहारी वाजपेयी 2009 से ह्वील चेयर पर थे और डिमेंशिया रोग से पीड़ित थे।

2009 तक अटल जी उत्तर प्रदेश के लखनऊ से सांसद रहे, लेकिन बाद में सेहत का साथ नहीं मिलने की वजह से उन्होंने सक्रिय राजनीति से खुद को दूर कर लिया। वाजपेयी जी ने 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन किया, जब जनता पार्टी खत्म हो गई थी।


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