Move to Jagran APP

मुलायम के नमो प्रेम से महागठबंधन में सेंध, नेताजी ने दिया विपक्ष को तगड़ा झटका

लोकसभा चुनाव में उतरने से पहले नेताजी मुलायम सिंह यादव के मोदी प्रेम की सच्चाई पर आश्चर्य जताया जा सकता है, लेकिन उन्होंने यूपी में सपा-बसपा गठबंधन को नकार भी दिया।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 13 Feb 2019 09:12 PM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 07:52 AM (IST)
मुलायम के नमो प्रेम से महागठबंधन में सेंध, नेताजी ने दिया विपक्ष को तगड़ा झटका
मुलायम के नमो प्रेम से महागठबंधन में सेंध, नेताजी ने दिया विपक्ष को तगड़ा झटका

प्रशांत मिश्र [ त्वरित टिप्पणी ]। लोकसभा चुनाव में उतरने से पहले नेताजी मुलायम सिंह यादव के 'मोदी प्रेम' ने विपक्ष को तगड़ा झटका दे दिया है। उनके इस प्रेम की सच्चाई और गहराई पर आश्चर्य जताया जा सकता है, सवाल भी उठाया जा सकता है, पैंतरा भी बताया जा सकता है। लेकिन इससे कोई असहमत नहीं होगा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश में बने गठबंधन और अपने पुत्र तथा सपा अध्यक्ष अखिलेश के निर्णय से खुद को अलग ही नहीं किया बल्कि नकार भी दिया है। शायद इसीलिए यह कहने से भी नहीं चूके कि विपक्ष भाजपा जैसा बहुमत नहीं पा सकता है। कांग्रेस को भी संकेत दे दिया है कि उनकी राजनीति कांग्रेस के साथ नहीं हो सकती है।

loksabha election banner

यूं तो चुनाव से पहले लोकसभा की समाप्ति पर आपसी शुभकामनाओं का दौर चलता है, लेकिन बुधवार को जिस तरह मुलायम बोले उसका संदेश स्पष्ट था। संशय की कोई जगह नहीं थी कि वह सपा की राजनीतिक गतिविधि से नाराज हैं। अपने समर्थकों और मतदाताओं तक भी वह यह संदेश भेजना चाहते हैं।

सपा को अपने कंधों पर खड़ा करने वाले नेताजी की राजनीति कांग्रेस के खिलाफ रही है और लंबे अरसे से बसपा से दूरी रही है। वह बसपा के साथ गठबंधन के खासे विरोधी है। अखिलेश यादव ने दोनों सिद्धांतों को तोड़ कर फेंक दिया है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से समझौता किया और लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बसपा को औपचारिक रूप से बड़ी पार्टी मान लिया है। इस फैसले से न तो नेता जी खुश है और न ही बड़ी संख्या में कार्यकर्ता। संगठन में नेताजी के हनुमान रहे शिवपाल यादव भी सपा से दूर हैं। ऐसे में मोदी के लिए मुलायम की शुभकामना सपा-बसपा गठबंधन के लिए बड़ा झटका है।

परोक्ष रूप से समर्थकों के लिए संदेश भी है कि उनकी ओर से खुली छूट है, वह जिधर जाना चाहें जाएं। इसमें भी संदेह नहीं होना चाहिए कि आज के दिन भी वही यादवों के सबसे बड़े नेता हैं।

अखिलेश के लिए मुश्किलें और बढ़ सकती हैं क्योंकि माना जा रहा था कि प्रियंका गांधी वाड्रा के मैदान में उतरने के बाद से वह कांग्रेस को गठबंधन में शामिल करने की सोचने लगे थे। अगर ऐसा हुआ तो सपा का कद और घटेगा जो मुलायम कभी नहीं चाहेंगे।

यह मानकर चला जा रहा है कि चुनाव के बाद जरूरत हुई तो बसपा और सपा भी महागठबंधन का हिस्सा बन सकती है। मुलायम ने एक तरह से उसे भी खारिज कर दिया। उन्होंने यह भी मान लिया कि विपक्ष चाहे भी तो भाजपा जितने बहुमत में नहीं आ सकता है।

उनका यह बयान इसलिए खासा महत्व रखता है क्योंकि जब मुलायम का भाषण चल रहा था लगभग उसी वक्त एक किलोमीटर की दूरी पर जंतर मंतर पर विपक्षी दलों का भाजपा के खिलाफ जमावड़ा हुआ था। उसमें भी सपा के प्रतिनिधि के तौर पर राम गोपाल यादव शामिल थे।

हालांकि कांग्रेस के भी बड़े नेता गैर-मौजूद थे। वहां मोदी की नीतियों पर सवाल उठाए जा रहे थे। दूसरी ओर से सदन से मुलायम ने मोदी की सबका साथ सबका विकास के नारे पर मुहर लगा दी। अब सपा-बसपा गठबंधन चाहे तो भी समर्थकों के बीच खुद के लिए विश्वास पैदा नहीं कर सकता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.