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मुसलमान ने खोजी थी अमरनाथ गुफा, आतंकियों के कारण यात्रा बनी चुनौतीपूर्ण, जानिए- पूरा हाल

सरकार के लिए चुनौती बनती गई अमरनाथ यात्रा। चार साल तक नहीं हुई थी यात्रा। हर साल सुरक्षाकर्मियों की संख्या में इजाफा करना पड़ता है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Mon, 01 Jul 2019 09:19 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 09:46 PM (IST)
मुसलमान ने खोजी थी अमरनाथ गुफा, आतंकियों के कारण यात्रा बनी चुनौतीपूर्ण, जानिए- पूरा हाल
मुसलमान ने खोजी थी अमरनाथ गुफा, आतंकियों के कारण यात्रा बनी चुनौतीपूर्ण, जानिए- पूरा हाल

नई दिल्ली, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर में पवित्र अमरनाथ यात्रा एक जुलाई से शुरू हो गई है। इस यात्रा की सुरक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार, सुरक्षाबलों और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। घाटी में आतंकियों के सफाये के लिए चल रहे ऑपरेशन ऑलआउट के मद्देनजर इस बार अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा एजेंसियां अतिरिक्त सतर्कता बरत रही हैं।

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बढ़ती गई मुश्किल
आतंक के साए में होने वाली इस यात्रा के दौरान खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। लिहाजा सरकार को शांतिपूर्वक यात्रा सुनिश्चित कराने के लिए सुरक्षाकर्मियों की संख्या में इजाफा करना पड़ता है।

साल, कुल यात्री, तैनात सुरक्षाकर्मी

  • 2015- 3,52, 771, 15,000
  • 2016- 2,20,490, 18,000
  • 2017- 2,60,003, 30,000
  • 2018- 2,85,006, 32,000
  • 2019- 1,10,000, 40,000

कड़े हैं सुरक्षा के इंतजाम
एक लाख से अधिक तीर्थयात्री 3,880 मीटर ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा के दर्शन करेंगे। तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए 40,000 से अधिक सीआरपीएफ और राज्य पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं। यात्रा के लिए सुरक्षा खतरा एक बड़ा कारण है। इसी लिए गृह मंत्री अमित शाह ने इस सप्ताह कार्यभार संभालने के बाद से जम्मू और कश्मीर की अपनी पहली यात्रा की।

राजनीतिक निहितार्थ
यात्रा का सफल समापन जम्मू और कश्मीर के लिए इस साल के अंत में विधानसभा के लिए मतदान का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। हाल ही में चुनाव आयोग ने कहा है कि अमरनाथ यात्रा के बाद स्थिति का आकलन करने के बाद राज्य में चुनाव कराए जा सकते हैं।

राज्य और तीर्थयात्री
अमरनाथ गुफा 1850 में एक मुस्लिम चरवाहे, बूटा मलिक द्वारा खोजी गई थी। मलिक के परिवार के साथ हिंदू श्राइन बोर्ड मंदिर का संरक्षक है। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड अधिनियम 2000-01 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा द्वारा पारित किया गया। इस अधिनियम के तहत राज्य के राज्यपाल के साथ एक तीर्थ मंडल को बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। तीर्थयात्रा को सुव्यवस्थित करने और तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाओं में सुधार करने के लिए बोर्ड धर्मस्थल का संरक्षक है।

कब-कब हुए हमले
1990 और 2017 के बीच, अमरनाथ यात्रा पर 36 आतंकवादी हमले हुए हैं, जिसमें 53 तीर्थयात्रियों की मौत हुई है और 167 घायल हुए हैं। दो प्रमुख आतंकी घटना 2000 और 2017 में हुईं। 2000 में, पहलगाम में एक आतंकवादी हमले में 25 लोगों (17 तीर्थयात्रियों सहित) की मौत हो गई, जबकि 2017 में, दक्षिणी अनंतनाग के बोटेंग्रो में एक आतंकवादी हमले में 8 तीर्थयात्री मारे गए और 19 घायल हो गए।

चार साल नहीं हुई यात्रा
1991 से 1995 तक आतंकी खतरों के कारण यात्रा नहीं हुई। इस दौरान जम्मू-कश्मीर में आतंक चरम पर था।

बढ़ा है खतरा
पुलवामा हमले के भारत के मुंहतोड़ जवाब से बौखलाए आतंकी इस यात्रा को निशाना बना सकते हैं। हालांकि सूबे से आतंक का सफाया तेजी से हो रहा है। पिछले साल 257 की तुलना में इस वर्ष अब तक लगभग 115 आतंकवादी सुरक्षा बलों द्वारा मारे गए हैं। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, अभी भी जम्मू-कश्मीर में करीब 290 आतंकवादी सक्रिय हैं।

मारे गए आतंकी
साल, संख्या

  • 2014, 110
  • 2015, 108
  • 2016, 150
  • 2017, 213
  • 2018, 257
  • 2019, 115

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