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मुगल शासक के वंशज ने कहा, अयोध्‍या में मंदिर निर्माण के लिए देंगे सोने की ईंट

बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) के वंशज याकूब हबीबुद्दीन तुसी (Prince Habeebuddin Tucy) ने अयोध्‍या में राम मंदिर की इच्‍छा जताई है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 02:59 PM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 03:24 PM (IST)
मुगल शासक के वंशज ने कहा, अयोध्‍या में मंदिर निर्माण के लिए देंगे सोने की ईंट
मुगल शासक के वंशज ने कहा, अयोध्‍या में मंदिर निर्माण के लिए देंगे सोने की ईंट

हैदराबाद, आइएएनएस। Mughal descendant offers gold brick for Ram temple आखिरी मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर (Bahadur Shah Zafar) के वंशज याकूब हबीबुद्दीन तुसी (Prince Habeebuddin Tucy) ने अयोध्‍या में राम मंदिर की इच्‍छा जताई है। तुसी ने कहा कि यदि अयोध्‍या में राम मंदिर का निर्माण होता है तो मंदिर की नींव के लिए सोने की ईंट दान करेंगे। उन्‍होंने यह भी कहा कि पहले मुगल सम्राट बाबर ने सन 1529 में विवादित ढांचे का निर्माण कराया था, चूंकि वह उनके वंशज हैं इसलिए जमीन उन्‍हें सौंप दी जानी चाहिए। उन्‍होंने दावा किया कि वंशज होने के नाते असल में वह खुद जमीन के असली हकदार हैं। 

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तुसी ने रविवार को कहा कि य‍दि सुप्रीम कोर्ट उन्‍हें जमीन सौंप देता है तो वह लोगों की भावनाओं का सम्‍मान करते हुए पूरी जमीन को राम मंदिर के लिए दान कर देंगे। लोगों का मानना है कि राम मंदिर वहीं मौजूद था जहां विवादित ढांचे का निर्माण कराया गया था। हालांकि, छह दिसंबर 1992 को सैकड़ों कार सेवकों द्वारा विवादित ढांचे को ध्‍वस्‍त कर दिया गया था। हाल ही में 50 वर्षीय तुसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके उन्हें अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस का पक्षकार बनाने की भी मांग की थी। हालांकि, शीर्ष अदालत ने तुसी की याचिका को अब तक स्वीकार नहीं किया है। 

तुसी ने तर्क दिया कि अयोध्‍या में विवादित जमीन को लेकिर किसी भी पक्षकार के पास अपने पक्ष को साबित करने के लिए कोई दस्‍तावेज नहीं है। चूंकि वह मुगल वंशज हैं इसलिए जमीन पर उनका हक है। उन्‍होंने कहा, 'मैं पहले ही तय कर चुका हूं कि पूरी जमीन मंदिर निर्माण के लिए दान कर दूंगा। सनद रहे कि तुसी अब तक तीन बार अयोध्‍या जाकर भगवान राम की पूजा कर चुके हैं। यही नहीं वह हिंदू समुदाय से राम मंदिर ध्‍वंस को लेकर माफी भी मांग चुके हैं। यही नहीं उन्‍होंने अपने सिर पर चरण पादुका रखकर प्रतीकात्‍मक रूप से क्षमा याचना की थी। 


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