Move to Jagran APP

MP Politics: जानें क्‍यों ज्योतिरादित्य सिंधिया को सालभर बाद भी भूल नहीं पा रही कांग्रेस

ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए एक साल हो गया। भाजपा सिंधिया और उनके समर्थकों के पार्टी में एकरस होने का दावा भी करती रही है लेकिन कांग्रेस एक साल बाद भी सिंधिया को भूल नहीं सकी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 10 Mar 2021 08:07 PM (IST)Updated: Wed, 10 Mar 2021 11:20 PM (IST)
MP Politics: जानें क्‍यों ज्योतिरादित्य सिंधिया को सालभर बाद भी भूल नहीं पा रही कांग्रेस
ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए एक साल हो गया।

धनंजय प्रताप सिंह, भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए एक साल हो गया। भाजपा सिंधिया और उनके समर्थकों के पार्टी में एकरस होने का दावा भी करती रही है, लेकिन कांग्रेस एक साल बाद भी सिंधिया को भूल नहीं सकी है। इसके स्पष्ट संकेत कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान से मिलते हैं। इसमें सिंधिया के कांग्रेस से जाने पर उन्होंने पीड़ा जताते हुए कहा था कि भाजपा में वह बैकबेंचर बन गए हैं। यदि कांग्रेस में होते तो आज सीएम (मुख्यमंत्री) बन चुके होते। इस बयान के बाद से सियासी हलचल तेज हो गई है। दरअसल, सिंधिया के बाद अब कांग्रेस में कोई युवा नेता नहीं बचा है। दिग्गज नेता कमल नाथ और दिग्विजय सिंह बुजुर्ग हो गए हैं और दोनों के बीच शीत युद्घ भी चल रहा है।

loksabha election banner

बिना किसी युवा चेहरे के जीत फिलहाल असंभव

कांग्रेस में पीढ़ी परिवर्तन की बात सतह पर भले न हो, लेकिन राहुल गांधी का खेमा इसे लेकर सक्रिय रहा है। उनकी टीम में बुजुर्ग चेहरे कम और पर्दे के पीछे ही रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया की राहुल और प्रियंका से करीबी भी जगजाहिर है। सिंधिया के कांग्रेस से जाने पर भी राहुल ने कोई सख्त प्रतिक्रिया नहीं दी थी। युवा नेताओं की कमी के साथ कांग्रेस को कुछ ही दिन बाद नगरीय निकाय, 2023 में विधानसभा और 2024 में लोकसभा चुनाव का सामना करना है। इसमें बिना किसी युवा चेहरे के जीत फिलहाल असंभव है। यही कारण है कि सिंधिया को लेकर कांग्रेस की बेचैनी बार-बार सामने आती रहती है।

रच-बस गए सिंधिया

इधर, भाजपा में सालभर में सिंधिया भगवा रंग में रच-बस गए हैं। उन्होंने भाजपा के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी तगड़ी पैठ बना ली है। भाजपा के नेता ही मानते हैं कि सिंधिया अब पार्टी का भविष्य हैं। वहीं, कांग्रेस की बेचैनी ये है कि उसके पास सिंधिया जैसा साफ-सुथरी छवि वाला युवा चेहरा नहीं है।

वंशवाद से बचने की चुनौती

भाजपा ने जिस तरह वंशवाद को मुद्दा बनाकर राहुल पर सियासी हमले किए हैं, उसके चलते मप्र में बुजुर्ग नेताओं को अपने पुत्रों-रिश्तेदारों को आगे बढ़ाने में भी मुश्किल हो रही है, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिता माधवराव सिंधिया के बाद अपनी अलग पहचान बनाने में कामयाबी हासिल की है। कमल नाथ के पुत्र नकुल नाथ छिंदवाड़ा से सांसद हैं, तो दिग्जिवय के पुत्र जयवर्धन सिंह प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वहीं, अरण और सचिन यादव पूर्व उप मुख्यमंत्री सुभाष यादव की राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं। कांतिलाल भूरिया के पुत्र विक्रांत युवा कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, तो जमुना देवी के भतीजे उमंग सिंगार भी मंत्री रहे हैं।

मध्‍य प्रदेश कांग्रेस के महासचिव (मीडिया) केके मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस सिंधिया को याद नहीं रख रही है बल्कि उनके द्वारा की गई गद्दारी का बार-बार अहसास करा रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.