MP Politics: पेनड्राइव में भाजपा को कैद करने की मंशा, खुद उलझ गए कमल नाथ
तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ ने इसकी पेनड्राइव का जिक्र कर भाजपा को संकेत दिए थे कि वह उमंग सिंघार के मामले में नर्म रूख अपनाए लेकिन कोरोना पर दिए विवादित बयान से खुद घिर गए। उन्होंने इसे इंडियन वैरिएंट कहा तो भाजपा ने थाने में एफआइआर दर्ज करा दी।
भोपाल, धनंजय प्रताप सिंह। सत्ता से लेकर विपक्ष और नौकरशाही तक को झकझोर देने वाला हनी ट्रैप मामला एक बार फिर मध्य प्रदेश की सियासत के केंद्र में है। तत्कालीन मुख्यमंत्री कमल नाथ ने इसकी पेनड्राइव का जिक्र कर भाजपा को संकेत दिए थे कि वह उमंग सिंघार के मामले में नर्म रूख अपनाए, लेकिन कोरोना पर दिए विवादित बयान से खुद घिर गए। उन्होंने इसे इंडियन वैरिएंट कहा तो भाजपा ने थाने में उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज करा दी। हालांकि नाथ के बचाव में आई कांग्रेस ने कोरोना के आंकड़ों में हेरफेर के आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ एफआइआर के आवेदन थानों में सौंपे।
एफआइआर के शोर में दबा उमंग सिंघार के आवास पर आत्महत्या का मामला
दरअसल, मामले की शुरुआत हुई थी कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार के आवास पर महिला की आत्महत्या की घटना से, लेकिन दबाव की राजनीति के फेर में तब हनी ट्रैप तक पहुंच गई, जब कमल नाथ ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि इसकी पेनड्राइव उनके पास है।
उनके बयान से सियासी गलियारे में सन्नाटा सा खिंच गया, जिसने उन अनुमानों को ही बल दिया कि हनी ट्रैप की आंच सियासत से लेकर कई आला अफसरों तक पहुंचती है, जिसमें से कई प्रशासनिक तो कई पुलिस सेवा में हैं तो कुछ सेवानिवृत्त हो चुके हैं। नाथ का ये दांव सरकार को सिंघार के प्रति नर्म रख रखने का संकेत माना गया, लेकिन खुद नाथ ही भाजपा को इससे उबरने का मौका दे बैठे, जब उन्होंने कोरोना को इंडियन वैरियंट बता दिया।
हनी ट्रैप कांड पर एक बार फिर केंद्रित हो रही मध्य प्रदेश की सियासत
भाजपा ने इस अवसर को लपक लिया और उनके खिलाफ पूरे प्रदेश में आंदोलन की रणनीति पर काम शुरू कर दिया। सबसे पहले भोपाल में ही उनके खिलाफ झूठी खबर फैलाने के तहत एफआइआर करा दी। हालांकि संवैधानिक बाध्यताओं के चलते कांग्रेस भी हनी ट्रैप की पेनड्राइव को लेकर सीधा मोर्चा लेने की स्थिति में नहीं है, इसलिए वह भी कोरोना पर ही बचाव और आक्रमण की रणनीति अपनाए हुए है। राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा सहित सभी कांग्रेसी कानूनी कार्रवाई कर कमल नाथ पर एफआइआर को चुनौती देने के लिए विमर्श में जुटे हैं।
बड़ा सवाल : इन मामलों की जांच का क्या हुआ
खास बात ये है कि हनी ट्रैप मामले के शोर में सिंघार के आवास पर आत्महत्या का मामला दब गया, जबकि दोनों ही मामलों में जांच कहां तक पहुंची, कार्रवाई की स्थिति क्या है, दोषी कौन है, जैसे कई सवालों के जवाब आज तक सामने नहीं आ सके हैं। हनी ट्रैप मामला कमल नाथ सरकार के कार्यकाल में सामने आया था, जिसकी जांच जोर- शोर से शुरू हुई, आरोपित महिलाओं को गिरफ्तार कर लिया गया।